विचार

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं  दरअसल, रुपए का अवमूल्यन सदैव हानिकारक ही हो, ऐसा नहीं है। रुपए के अवमूल्यन से विदेशों में जाकर शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों का खर्च एकदम से बढ़ जाता है और आयात महंगा हो जाता है, लेकिन इससे निर्यातकों को लाभ होने के अवसर बढ़ जाते

रविंद्र सिंह भड़वाल लेखक, नूरपुर से हैं इस साझा मुहिम में हर राज्य अपनी भूमिका ईमानदारी से निभाए। हालांकि सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए बना साझा सचिवालय एक कारगर कदम है। नशे के खिलाफ लड़ाई में सूचना एक कारगर औजार साबित हो सकती है और समाज इसे मजबूत बनाने में अहम योगदान दे सकता है…

अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ यदि आप बैजनाथ से पालमपुर जा रहे हों, तो बनोडू पुल के ऊपर और अपर बनूरी के पास पिछले लंबे समय से मुंह चिढ़ाती ऐसी दो टूटी-फूटी पुलियां दिखाई पड़ती हैं, जो निरंतर ट्रैफिक जाम के साथ-साथ किसी बड़े सड़क हादसे को आमंत्रित करती प्रतीत होती हैं। बैजनाथ-शाहपुर और पठानकोट रूट

डा. विनोद गुलियानी, बैजनाथ 17 अगस्त को डेंगू के साथ मधुमेह ग्रसित रविंद्र सुंदरनगर अस्पताल में था, फिर 18 अगस्त को मंडी अस्पताल व तबीयत बिगड़ते ही 19 अगस्त को पीजीआई रैफर किया गया, परंतु रास्ते में ही उसकी मृत्यु हो गई। यह हमारे स्वास्थ्य विभाग के लिए चिंतनीय विषय है। कारण चाहे कुछ भी

एक बार फिर चिट्ठी चर्चा में है। चिट्ठी पुरानी है या नई है, इसकी तह में जाने के बजाय यह कहा जा सकता है कि चिट्ठी का विषय और साजिश की रणनीति का खुलासा वही है, जो जून की चिट्ठी  में था। इस बार भी चर्चा में नक्सलवादी हैं और निशाने पर प्रधानमंत्री मोदी हैं।

आपसी समझौते का रुख अगर एक बांध परियोजना को अंगीकार कर रहा है, तो इसके मतलब को आशा की गहराई तक देखना होगा। यानी केंद्र अगर सामूहिक प्रयास का सेतु बन जाए तो हिमाचल जैसे कई राज्य एक साथ प्रगति के पथ पर पहंुच जाएंगे। जिस शिद्दत से उत्तराखंड की लखवाड़ बांध परियोजना का श्रीगणेश

रूप सिंह नेगी, सोलन हाल में चुनाव आयोग ने चुनाव संबंधित मुद्दों पर राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों की बैठक बुलाई थी, लेकिन दलों की बेरुखी के कारण किसी ठोस  नतीजे पर न पहुंच पाने को दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा। एवीएम के मामले में सत्ताधारी दल अड़ा रहा और चुनाव खर्चे पर अंकुश लगाने

राजेश कुमार चौहान पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की कीमतों में आग बढ़ती जा रही है, लेकिन मोदी सरकार इसके लिए कुछ करती नहीं दिख रही। क्या ऐसे होते हैं अच्छे दिन? पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों और इनसे भी जरूरी रसोई गैस की कीमतों में निरंतर वृद्धि ने साबित कर दिया है कि मोदी सरकार भी

सुरेश कुमार, योल अभी हाल ही में सावन के महीने में हिमाचल श्रद्धालुओं से लबालब भरा था। यह तो साबित हो गया कि हिमाचल में पर्यटकों को खींचने की ताकत है और साथ में यह भी साबित हुआ कि हम उन्हें संभालने में कितने सक्षम हैं। टूटी सड़कें और यातायात अव्यवस्था का आलम। इन सबसे