विचार

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं लद्दाख का रिंचन कश्मीर का राजा बन गया था, यहां तक तो ठीक है, लेकिन रिंचन मुसलमान बन गया और उसके पीछे-पीछे सारे कश्मीरी भेड़ों की तरह मुसलमान हो गए, इसको कश्मीर में भी दंत कथा से ज्यादा महत्त्व नहीं दिया जाता। सोज के इस रहस्योद्घाटन को

राज्यसभा में भाजपा-एनडीए का अल्पमत में होने के बावजूद जीत हुई है। सहयोगी जनता दल-यू के सांसद हरिवंश 125 वोट हासिल कर उपसभापति चुने गए हैं। विरोधी कांग्रेस के बीके हरिप्रसाद को 105 वोट ही मिल पाए। उच्च सदन में पहली बार भाजपा का कोई सहयोगी उपसभापति चुना गया है। पहली बार राज्यसभा सांसद और

राजेश कुमार चौहान मुजफ्फपुर बालिका गृह की घिनौनी घटना ने यह साबित कर दिया कि आज रक्षक ही भक्षक बन गए हैं। इस घिनौनी घटना ने सरकारों के लड़कियों की सुरक्षा के खोखले दावों की पोल खोल दी है, परंतु अपने हितों, आरक्षण या अन्य मांगें मनवाने वाले जो लोग सड़कों पर उतरते हैं, वे

विकास, चलवाड़ा, कांगड़ा देश में हुए दंगों की तहरीरों को अगर खंगाला जाए, तो देश की लहूलुहान हुई तस्वीर नजर आती है। वहीं लगभग हर वर्ग, समुदाय की हड़तालों की चक्की में पिसता देश ही है। रोजमर्रा की हो रही इन हड़तालों के मद्देनजर यह सवाल चस्पां होते हैं कि मांगें मनवाने के लिए क्या

राहुल, चंबा मुख्यमंत्री की समाधि को लेकर न्यायालय देर रात खुला और फैसला इतनी जल्दी आ गया, दूसरी ओर आम जनता की एडि़यां घिस जाती हैं कोर्ट-कचहरी के चक्कर में, पर न्याय नहीं मिलता। नेताओं ने जितनी शिद्दत से मांग मनवा ली, अगर इतनी शिद्दत से जनता के भले में काम करें, तो भारत का

पूजा, जवाली नशे के कारोबारियों के आर्थिक हालात को निखरते और नशे के भंवर में डूबते परिवारों को बिखरते देखा जा सकता है। भारत में नशे के नासूर से जख्मी परिवारों का हिसाब लगाने बैठें, तो यह आंकड़ा हमें रुला देने वाला है। भारत की 30 फीसदी जनसंख्या नशे के दलदल में फंसी हुई है,

सुरेश कुमार लेखक, योल से  हैं यही तो राजनीति है कि चार तक जनता से घुटने टिकाओ और पांचवें साल खुद घुटने टेक दो, तो सत्ता फिर आपकी। ऐसे देश कैसे आगे बढ़ेगा। राजनीति अगर लोकतंत्र के लिए होती, तो ठीक था, पर अब यह भीड़तंत्र बन चुकी है… वक्त की आदत है कि कैसा

नीतिश धीमान जवाली, कांगड़ा आखिर दिल्ली से चला स्वच्छता अभियान मेरे गांव के डस्टबिन तक आ पहुंचा है, तो इसकी समीक्षा हमारी गली की गंदगी भी करेगी। नर्म प्लास्टिक के दो शानदार डिब्बे गांव की गली को बता रहे हैं कि घर के कचरे का निपटान किस तरह करना है। बहरहाल डस्टबिन यह भी बता रहे

हिमाचली निवेश की राह को सशक्त करते हुए सरकार ने सर्वप्रथम रज्जु मार्गों की स्थापना को आसान बनाया है। अगर लक्ष्यों पर केंद्रित परियोजनाएं सरकार की पेशकश पर मोहित होती हैं, तो करीब एक दर्जन नए रज्जु मार्ग सामने आएंगे। निवेश की अड़चनों में रज्जु मार्गों के जरिए सरकार का संदेश मुखर है और इसी