विचार

मनवीर चंद कटोच  लेखक, भवारना से हैं हमारा देश हमेशा से उदारवादी और शांति की विचारधारा में विश्वास रखता है और अपने साथ अपने पड़ोसी देशों में भी विकास और शांति बनी रहे, ऐसी सकारात्मक सोच रखता है, लेकिन इसके बावजूद हमारे दुश्मन पड़ोसी हमारी नीतियों को हमेशा नजरअंदाज रखकर युद्ध के लिए मजबूर करना

अक्तूबर, 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जो सिख-विरोधी दंगे भड़के थे, उनमें 2733 लोगों की हत्या का अनुमान है। यह आंकड़ा आहूजा कमेटी ने जांच के बाद दिया था। अब वही सर्वमान्य है। जिन्होंने वे दंगे देखे हैं, वे मानते हैं कि उनसे वीभत्स और जघन्य हिंसा नहीं की जा

आशीष बहल लेखक, चंबा से हैं शहीदों को याद करने का कोई खास समय नहीं होता है, परंतु कुछ दिन इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखे हुए हैं। उन्हीं में से एक है 26 जुलाई 1999 का वह दिन जब भारत ने कारगिल युद्ध पर विजय हासिल की और  दुश्मन देश पाकिस्तान को मुंह की

राजेश कुमार चौहान हमारे समाज में जब भी कोई अनैतिक कार्य होता है या नौजवानों द्वारा कोई गलत रास्ता अपना लिया जाता है, तो कुछ लोग उसके लिए पश्चिमी सभ्यता को दोष देते हैं। जो कोई भी अनैतिक कार्य करता है, क्या उसके पास अपना दिमाग नहीं होता है? जैसे रास्ते में गड्ढा आ जाए,

चंबा के प्रसिद्ध सांस्कृतिक समारोह में मिंजर महोत्सव की कीमत का फैसला व्यापार के तंबू में होता है, तो एक साथ चार चौगान निर्वस्त्र हो जाते हैं और सकपकाई घास पर बाजार के कदम पुनः रौंद के निकल जाते हैं। एक बार फिर चंबा के चौगान बिक गए, ताकि मिंजर में खूब व्यापार हो और

कांग्रेस कार्यसमिति ने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार माना है। यह कांग्रेस की ‘दरबारी कमेटी’ है, तो वह अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष के बाहर कहां जा सकती है! कांग्रेस का अब भी मुगालता है कि वह सबसे व्यापक पार्टी है और गली-गली, मुहल्ले-मुहल्ले तक उसका विस्तार है। लिहाजा कांग्रेस ने यह भी तय किया है कि

डा. चिरंजीत परमार लेखक, मंडी से हैं नई अंतरराष्ट्रीय व्यापार नीतियों के कारण बाहरी देशों से सेब का आयात भी होने लगा है, जिससे प्रदेश के सेब उत्पादकों लिए एक नई प्रतिस्पर्धा पैदा हो गई है। अतः प्रदेश के सेब उत्पादक अब कुछ नया करें, वरना नए परिदृश्य में मार्केट में टिकना मुश्किल होगा… हालांकि

डा. शिल्पा जैन, सुराणा, वारंगल आए दिन अखबारों में भीड़ द्वारा लोगों को पीट-पीट कर मार देने की खबरें खतरनाक स्थिति की चेतावनी दे रही हैं। भीड़ द्वारा कानून अपने हाथ में लेना इस बात का संकेत है कि लोगों का अब पुलिस और प्रशासन से विश्वास उठ गया है। दुखद बात यह है कि

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं इस समस्या का समाधान यह हो सकता है कि उच्च शिक्षा को सरकार द्वारा अवश्य अनुदान दिया जाए, लेकिन यह अनुदान केवल यूनिवर्सिटी पर सरकार के स्वामित्व के आधार पर न दिया जाए, बल्कि शिक्षण संस्था के कार्य की गुणवत्ता के आधार पर दिया जाए। जैसे