विचार

विराम मरने से पहले जीने को तवज्जोह न दे सकना हमारी विडंबना है। मरने के बाद जो जीवन है, उसको खंगालने के सभी उपाय करने पर तुले हैं। मुट्ठी में रेत भरी है, लेकिन हीरे समझ संजोने में जुटे हैं। कर सकने की हर संभावना को घंटियों की प्रतिध्वनियों में धकेल रहे हैं। समय की

मैथिलीशरण गुप्त (जन्म-3 अगस्त, 1886, झांसी; मृत्यु-12 दिसंबर, 1964, झांसी) खड़ी बोली के प्रथम महत्त्वपूर्ण कवि थे। महावीर प्रसाद द्विवेदी की प्रेरणा से इन्होंने खड़ी बोली को अपनी रचनाओं का माध्यम बनाया और अपनी कविता के द्वारा खड़ी बोली को एक काव्य-भाषा के रूप में निर्मित करने में अथक प्रयास किया। इस तरह ब्रजभाषा जैसी

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं ममता बनर्जी तो दहाड़ रही हैं कि यदि इन अवैध बांग्लादेशियों को बाहर निकाला, तो देश में गृहयुद्ध छिड़ जाएगा। खून की नदियां बह जाएंगी। कांग्रेस नरेश राहुल गांधी कह रहे हैं कि भाजपा मुसलमान विरोधी है, इसलिए वह इस प्रकार की हरकतें कर रही है। मुलायम

हर गरीब दलित है। हर गरीब भूखा और बेरोजगार है। आखिर दलित कौन है? यदि जातिवादी परिभाषा के मुताबिक ‘दलित’ की व्याख्या करें तो वे समुदाय हैं, जिन्हें 70 साल के आजाद भारत में आरक्षण की सुविधा हासिल है। यदि दलित का शाब्दिक भावार्थ ग्रहण करें, तो गरीब स्वर्ण भी दलित है। इसके मायने हैं-

हिमाचल का संघर्ष समझना हो, तो हमें हर मुख्यमंत्री के दौर में उस विजन का स्पर्श करना होगा, जो आज हमारे अस्तित्व की अमानत है। तीस पहाड़ी रियासतों के कुनबे को एक राज्य की तस्वीर में पेश करने की जद्दोजहद न होती, तो आज भी पर्वत की बात पंजाब से नत्थी होती या लोक जीवन

डा.विनोद गुलियानी, बैजनाथ पहले हिमाचल में सैनिक स्कूल न होने के कारण प्रायः चयनित छात्रों को कपूरथला या कुंजपुरा (करनाल) में दाखिला लेना पड़ता था। 1965 में मुझे भी वार्षिक 2400 रुपए पूर्ण छात्रवृत्ति प्राप्त कर कपूरथला में पढ़ने का अवसर मिला व सात वर्ष से अधिक प्रशिक्षण काल में एनसीसी के विभिन्न शिविर धर्मशाला,

राजेश कुमार चौहान एक तो भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है, दूसरा भारत का बहुत सा कालाधन विदेशी बैंकों की शान बना हुआ है, तीसरा यहां के धार्मिक स्थानों में बेतहाशा धन-दौलत पड़ी है, चौथा यहां अमीरों के लगभग हर समारोह में बेतहाशा खाना कूडे़ का ढेर बन जाता है और पांचवां यहां

सुखदेव सिंह लेखक, नूरपुर से  हैं आज का युवा लक्ष्यहीन बनकर कई नशों की लत में फंसता जा रहा है। स्कूल, कालेज के छात्रों के लिए शराब, नशीली दवाइयां, कोकीन, चरस, गांजा और अफीम आदि का सेवन करना आम बात है। इसी वजह से आज हिमाचल में भी बलात्कार, चोरी, हत्याएं और छेड़छाड़ के मामलों

अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ हिमाचल प्रदेश के जिला चंबा मुख्यालय में आजकल अंतरराष्ट्रीय मिंजर मेले की धूम है। जब आप बनीखेत पहुंचते हैं, तो आप वाया ढुंगयारी, बंगला, नैनी खड्ड होकर चंबा जाना पसंद करेंगे और भगवान लक्ष्मी नारायण के मंदिर में आराधना के पुष्प अर्पित करने के बाद आप खजियार, डलहौजी घूमते हुए पठानकोट के