विचार

पीटर बफेट  लेखक, संगीतज्ञ एवं वरिष्ठ टिप्पणीकार  हैं। दूसरों पर उपकार करने से ये समस्याएं सुलझाई नहीं जा सकतीं केवल टाली जा सकती हैं। मुझे तो उपकार शब्द से ही नफरत हो चली है। आज हमारी कल्पना भी भंवर में फंसी  है। वैज्ञानिक एलबर्ट आइंस्टाइन ने कहा था कि कोई समस्या उसी मानसिकता से नहीं

मोहिंद्र सिंह चौहान लेखक,हमीरपुर से हैं मध्यम एवं निम्न वर्ग के बच्चे कड़ा परिश्रम करते हुए विकट परिस्थितियों का सामना करके पढ़-लिखकर सैन्य बलों, अर्द्धसैनिक बलों, पुलिस सेवा, अन्य सशस्त्र सेवाओं एवं वन सेवाओं आदि में जाते हैं। उनको ऐसी जगहों पर तैनाती मिलती है, जहां पर उनकी सुरक्षा की कोई मूलभूत गारंटी नहीं होती…

किसी आईटीआई भवन का उद्घाटन समारोह कितना महत्त्वपूर्ण हो सकता है, इसकी एक झलक कांगड़ा विधानसभा के दौलतपुर में देखने को मिली। हम अनेकार्थी सियासत को समझने की कोशिश भले ही करें, लेकिन इसके प्रतीक बदलते हैं और इसी तरह चेहरे भी। मंत्री जीएस बाली द्वारा आईटीआई का उद्घाटन जिस शिद्दत से होना था, उससे

रमजान का पाक महीना था, जुम्मे की नमाज पर श्रीनगर में जामा मस्जिद के भीतर और बाहर का  का दृश्य था। जिन लोगों ने डीएसपी मोहम्मद अयूब पंडित को बेहद बेदर्दी से मारा-पीटा, कपड़े फाड़ डाले, पत्थर मारे, काफी दूर तक घसीटा और मस्जिद की बगल वाली गली में ही लाश को  फेंक दिया। क्या

(शगुन हंस,योल) खबर तो अकसर रोज ही आती है कि कश्मीर में इतने जवान शहीद हुए, छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले में सीआरपीएफ जवान शहीद। कल भी यही खबर आई कि श्रीनगर में सेना के दो जवान और छत्तीसगढ़ में सीआरपीएफ के दो जवान शहीद हुए। यानी यह रोज का ही सिलसिला हो गया। कहां गया

(अक्षित आदित्य, तिलक राज रादौर (हरियाणा)) अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने पाकिस्तान आने के निमंत्रण को न केवल ठुकरा दिया, बल्कि यहां तक कह दिया कि जब तक पाकिस्तान मजार-ए-शरीफ, काबुल की अमरीकन यूनिवर्सिटी और कंधार के हमलों में शामिल आतंकियों को अफगानितान के हवाले नहीं करता, तब तक वह पाकिस्तान में कदम नहीं

(दिनेश नेगी, मंडी) संधोल तहसील बनाने की घोषणा तो हुई, पर यहां एसडीएम कार्यालय नहीं खुला। तीन पुश्तों से संधोल के लोग सरकाघाट तहसील में काम करवाने के लिए जाते थे। अभी भी यही दशा है। पिछली सरकार ने कई वर्ष पूर्व संधोल तहसील बनाई थी। संधोल की जनता को खुशी हुई थी, परंतु अभी

(डा. सत्येंद्र शर्मा, चिम्बलहार, पालमपुर) आइए जिंदगी के मजे लीजिए, कुछ हवा लीजिए कुछ पी लीजिए। जिदंगी चार दिन की है, मस्ती करें, विष खा लीजिए, विष पी लीजिए। गलता है कलेजा तो गलता रहे, पलता है जो विषधर तो पलता रहे। नशे के मजे कुछ तो ले लीजिए, कुछ जी लीजिए, कुछ तो मर

प्रदेश में हर साल बरसात कहर बनकर  टूट पड़ती है। मूसलाधार बारिश-बादल फटने के अलावा भू-स्खलन से भी जान-माल का नुकसान होता है। बरसात से पहले हर बार प्रशासन तैयारियां करता है, लेकिन कुदरत के आगे सारे इंतजाम धराशायी हो जाते हैं। अभी बरसात सिर पर है तो मानसून से निपटने के लिए कितना तैयार