विचार

चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में भारत और पाकिस्तान की क्रिकेट टीमें आमने-सामने…बेशक जंग के मैदान सरीखा एहसास होगा। वैसी ही उत्तेजना और तनाव…एक टीम चैंपियन बनेगी, तो दूसरी टीम उपविजेता रहेगी। ऐसा सुपरहिट फाइनल 10 सालों के बाद खेला जा रहा है। 2007 में टी-20 के विश्व कप फाइनल में भारत-पाक भिड़ंत हुई थी और

सड़क छाप खलनायक (डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर ) मुंडा है खुद सड़क का, खलनायक हैवान। हाफिज का है सगा, या निशिचर, शैतान। कसैली जिह्वा विष भरी, मिलता इसे सुकून। नमक खा रहा पाक का, शायर यह नापाक। मां को किया निर्वस्त्र खुद, इज्जत कर दी खाक। हरते हैं गुंडे कई, भारत मां का चीर।

(किशन सिंह गतवाल, सतौन, सिरमौर ) आज भारतीय किसान बेचैन है। खेत खलिहान छोड़ वह सड़कों पर है। दरअसल हमारा कृषक वर्ग उपेक्षित, शोषित और असहाय अनुभव करता है। उस पर कर्ज भार बहुत है और आज तक उसे कोरे आश्वासन मिले और निराशा ही हाथ लगी। जिसका भी दांव लगा, उसने ही किसान को 

प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं ताकतवर लोगों के साथ संबंध बनाना मीडिया के लिए आवश्यक है, लेकिन इसके साथ ही पेशेवर नैतिकता को बनाए रखना भी मीडया की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। दिल्ली में ऐसे चिन्हित स्थान है, जहां पर पत्रकारों द्वारा बड़े-बड़े सौदों को अंजाम दिया जाता

( डा. राजन मलहोत्रा, पालमपुर ) भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रति जिस संबोधन का उपयोग किया है और जिसके कारण उन्हें मीडिया में काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है, वह एक दुर्भाग्यपूर्ण एवं निंदनीय वक्तव्य है। शायद अमित शाह यह भूल गए हैं कि अंगे्रजों के साथ लोहा

( केसी शर्मा, गगल ) पंडित जवाहर लाल नेहरू ने विश्व शांति के लिए अथाह प्रयत्न किए। स्वतंत्र भारत को मजबूत आधार देने के लिए नेहरू ने चीन और सोवियत संघ से प्रगाड़ मैत्री कायम करने के लिए खुले दिल से कई मैत्रीपूर्ण बातचीत और दक्षिण एशियन समूह की संपूर्ण शांति के लिए उस समय

सूरज धीमान लेखक, वसुधा संस्था के चेयरमैन  हैं धर्मशाला को विश्वस्तर की स्पोर्ट्स सिटी के तौर पर विकसित किया जा सकता है। पालमपुर और मनाली में फिल्म सिटी का निर्माण किया जा सकता है। सोलन और हमीरपुर को शिक्षा के हब के रूप में और अच्छे से विकसित किया जा सकता है… हिमाचल प्रदेश की

रक्तदान (  डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर ) रक्तदान सर्वोच्च है, इससे बड़ा न दा, कतरा कतरा खून का , देता जीवन दान। सेवा कार्य महान है , असली मानव धर्म, बन आई हो जान पर, वह ही समझे मर्म। बालक होश गवां रहा, परिजन हुए हताश, लाल बंद न फूंक दी, फिर जीने की

जंगल की सिसकियों में मातम का मंजर और पहरेदार की लाश का सबूत इस काबिल भी नहीं कि हम बता पाएं कि कसूर किसका और कसूरवार कौन। वन रक्षक होशियार सिंह की लाश से अशांत होने का सबब बढ़ता है और इसीलिए विरोध प्रदर्शन पूरे मामले से जुड़े आक्रोश को बयां कर रहे हैं। क्या