विचार

अहिल्याबाई का जन्म 31 मई, सन् 1725 में हुआ था। अहिल्याबाई के पिता मानकोजी शिंदे एक मामूली किंतु संस्कारवान आदमी थे। इन्होंने घाट बनवाए,कुओं और बावडि़यों का निर्माण करवाया, मार्ग बनवाए, भूखों के लिए सदाव्रत (अन्नक्षेत्र ) खोले, प्यासों के लिए प्याऊ लगाया, मंदिरों में विद्वानों की नियुक्ति की। रानी अहिल्याबाई ने इसके अलावा काशी,

किसी कारणवश, समाचार पत्रों  में ऐसी गंभीर अकादमिक रूप से अच्छे स्तर की सामग्री नहीं छप रही है, जिसे रोजमर्रा पढ़कर आप प्रतियोगी परीक्षाओं में उपयोग कर सकें। याद करें कुछ वर्ष पूर्व की ही बात, जब मां-बाप अपना पेट काटकर अतिरिक्त अखबार या पहला अखबार इसलिए लगाते थे कि घर के बच्चे- बच्ची को

कश्ती में छेद कर डुबाने की साजिश किस की थी आप शामिल नहीं उसमें तो फिर साजिश किस की थी। अपने ही तो थे सवार कोई गैर न था, फिर हमें अलग करने की साजिश किस की थी। जानती हो फिर भी न जाने क्यों चुप हो, कि घर ढहाने की पुरजोर साजिश किस की

फूलों को छूकर देखो पंखुडि़यों को सहलाओ हरी पत्तियों को जी भर कर चूमो सुगंध को दामन में भरकर खुशियों के गीत गुनगुनाओ। झरनों के पानी में जीवन के सुमधुर तराने सुनो उमड़ते-घुमड़ते जलंधरों के साथ-साथ सृजन के सपने बुनो मिट्टी की महक में घुलमिल जाओ और हरियालियों में डूबकर नवपल्लवों में मुस्कराओ। जी भर

बेटियां क्या सच में घर का शृंगार हैं बेटियां, फिर समाज में क्यों दिखती आज भी लाचार हैं बेटियां माना कि पापा की लाड़ली, मां की दुलारी हैं बेटियां, पर सड़क पर आज भी वहशी दरिंदों की शिकार हैं बेटियां । नवरात्रों में देवी और घर की लक्ष्मी हैं बेटियां, पर क्यों कोख में आज

युद्ध में दुर्गावती साक्षात दुर्गा की तरह लड़ी और मुगल सेना हतप्रभ रह गई। प्रकृति ने भी दुर्गावती का साथ नहीं दिया। गोंड सेना के पीछे गौर नदी में बाढ़ आ गई और रानी नदी और मुगल सेना की बाढ़ के मध्य फंस गई। एक तीर रानी की आंख में लगा और जब उसने उसे

रोशन चौहान लेखक,सुंदरनगर, मंडी से हैं स्कूल को इस प्रकार के  कार्र्यों से दूर रहना चाहिए, जिसमें अभिभावकों पर स्कूल परिसर के अंदर या चुनिंदा दुकानदारों से पुस्तकें व नोटबुक, स्टेशनरी, पोशाक और जूते आदि खरीदने के लिए कहा जाता है, जिसमें कि किसी भी प्रकार की आर्थिक छूट नहीं होती… शिक्षा इनसान की जिंदगी

फिरोज बख्त अहमद वरिष्ठ स्तंभकार हैं यूं तो बचपन से लेखक अपने पुरानी दिल्ली के अहाता काले साहब, गली कासिमजान वाले मोहल्ले में अपने बड़ों से यही सुनता चला आया था कि आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) एक मुस्लिम विरोधी संस्था है, जिसने उनका जीना हराम कर रखा है। इस प्रकार की विचारधारा, हम कांग्रेसी नेताओं

अद्भुत शल्य प्रहार धुआं धुआं बंकर हुए, चौकी कर दी खाक, ऐसे भी अब राख हो, इंशा अल्लाह पाक एक रुपइया हेग में, अब चौबीस सेकंड तू इस्लामाबाद में, अब भुगतेगा दंड वाह वाह क्या बात है, अद्भुत शल्य प्रहार बदला जमकर ले लिया, पड़ी बीस पर मार तड़फ रहा है रात-दिन, उठता रोज मरोड़