विचार

( बीरबल शर्मा लेखक, मंडी से हैं ) शिकारी क्षेत्र में पिछले कई सालों से लोग फंसते आ रहे हैं, जिन्हें बचाव दलों ने जान पर खेल कर बचाया है। इसके बावजूद ऐसा कोई उपाय नहीं किया गया कि ऐसी स्थिति में कोई आगे न जा पाए। पहले तो सौभाग्य से जानें बचाई जाती रहीं,

( अनुज आचार्य लेखक, बैजनाथ से हैं ) भारतवर्ष के उच्चतम न्यायालय ने स्वीकार किया है कि सेवानिवृत्ति के बाद नियमित पेंशन पाना किसी भी सरकारी कर्मचारी का अधिकार है। केवल गंभीर कदाचार के आरोपों के चलते ही किसी सरकारी कर्मचारी को पेंशन देने से इनकार किया जा सकता है अथवा पेंशन को जब्त किया

( देव गुलेरिया, योल कैंप, धर्मशाला ) एक दूरदर्शन चैनल के माध्यम से ज्ञात हुआ है कि सभी इस्लामिक देश मिल एक इस्लामिक सेना का गठन कर रहे हैं, जिसमें मुख्य भूमिका में सऊदी अरब और पाकिस्तान हैं। इस सेना का मुख्य कमांडर पाकिस्तान के सेवानिवृत्त सेनाध्यक्ष राहिल शरीफ को नामित किया गया है। इस

( डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर ) मन पर हावी हो गया, अब सेल्फी का रोग, यह संक्रामक है बड़ा, बना मानसिक रोग। चार दिनों की जिंदगी, खाएं-पीएं रहें मस्त, सैल्फी उड़ती ट्रेन से लेकर, होते हो क्यों पस्त। छोड़े भी नहीं छूटता, यह सैल्फी का क्रेज, चलते हम तो धार पर, बेशक खंजर तेज।

रोहड़ू के गांव तांगणू में अग्निकांड के अनेक कारण सामने आएंगे, लेकिन राहत का पैगाम एक ही होगा और यह संभव है कि हिमाचली समाज आगे आकर इनके आंसू पोंछे। बेशक तांगणू गांव के घर छोटे और लागत में भी कमजोर रहे होंगे, लेकिन आशियाना हमेशा जिंदगी से बड़ा होता है। अतः 49 परिवारों के

( डा. राजेंद्र प्रसाद शर्मा, जयपुर (ई-पेपर के मार्फत) ) भारत की चेतावनी के बाद भारतीय ध्वज का अपमान करते तिरंगे झंडे सरीखे दिखने वाले पायदान भले ही अमेजन ने अपनी वेबसाइट से हटा दिए हों, पर इतने मात्र से संतोष नहीं किया जा सकता। इस बात की सराहना की जानी चाहिए कि विदेश मंत्री

कुलदीप नैयर ( कुलदीप नैयर लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं ) स्वतंत्रता के तुरंत बाद ईएमएस नंबूदरीपाद केरल के मुख्यमंत्री चुने गए थे। वह दिल्ली से अलग दृष्टिकोण रखते थे, जहां पर कांग्रेस का शासन था। दिल्ली प्रतिरोधी गिरफ्तारी को आगे बढ़ाना चाहती थी लेकिन नंबूदरीपाद का तर्क था कि यह ब्रिटिश तरीका है और यह

बाबू गुलाबराय भारत के प्रसिद्ध साहित्यकार, निबंधकार और व्यंग्यकार थे। वह हमेशा सरल साहित्य को प्रमुखता देते थे, जिससे हिंदी भाषा जन-जन तक पहुंच सके। उनकी दार्शनिक रचनाएं उनके गंभीर अध्ययन और चिंतन का परिणाम हैं। उन्होंने अपनी रचनाओं में शुद्ध भाषा तथा परिष्कृत खड़ी बोली का प्रयोग अधिकता से किया है। उन्होंने आलोचना और

हजारों दीप मैंने बुझते जलाए हैं, गिला किसका। मैंने वंदे तो क्या पत्थर हंसाए हैं ,गिला किसका। गगन जब था मुसीबत में तो टूटा इस तरह सारा, मैंने सूरज सितारे चांद बचाए हैं ,गिला किसका। मेरे आंसू ने कीमत इस तरह अदा की है, जरूरत पड़ने पर पर्वत उठाए हैं, गिला किसका। नदी के छलकते