विचार

( सतपाल लेखक, एचपीयू में शोधार्थी हैं ) हिमाचल के लगभग सभी जिलों में पर्यटन के विकास की प्रचुर संभावनाएं हैं, परंतु सही मायनों में पर्यटन विकास कुछ क्षेत्रों तक सिमित रहा है,  फिर चाहे चंबा का खजियार हो, डलहौजी, शिमला, कांगड़ा का धर्मशाला या कुल्लू का मनाली क्षेत्र। आज हम अंग्रेजों द्वारा स्थापित इन्हीं

( डा. राजन मल्होत्रा, पालमपुर ) रोहड़ू के गांव तांगणू में अग्निकांड के बारे में समाचार पढ़कर मन को गहरा अघात लगा। इस दर्दनाक हादसे में गांव के 50 से भी ज्यादा आशियाने जलकर राख हो गए। हैरानी यह कि इस हादसे के लिए भी कई ऐसे कारण जिम्मेदार रहे, जो अतीत में भी प्रदेश

राजनीति में रिश्ते बेमानी होते हैं। खून पानी हो जाता है। शाहजहां और औरंगजेब की उपमाएं दी जाने लगती हैं। मुलायम सिंह तो वैसे भी औरंगजेब को अपना आदर्श मानते थे। आज बेटा औरंगजेब साबित हो रहा है। शुक्र है कि मुलायम को शाहजहां नहीं बनना पड़ा। राजनीति इतनी कमीनी होती है कि बेटा जीतता

( कविता, घुमारवी ) भारत की कुल 58 प्रतिशत संपत्ति पर देश के मात्र एक प्रतिशत अमीरों का कब्जा है। अभी हाल ही में हुए एक अध्ययन के मुताबिक दुनिया के मामले में यह आंकड़ा 50 प्रतिशत है यानी कि भारत में अमीरों और गरीबों के बीच अधिक असमानता है। दुनिया में लगातार बढ़ती आर्थिक

हिमाचल के अनेक पक्ष बर्फ से भी ज्यादा उज्ज्वल हैं, लेकिन क्या इन उपलब्धियों के सहयोगी कभी चिन्हित हुए। क्या सरकारों ने कभी शाइनिंग हिमाचल की गरिमा में पार्टनर को पहचानने की कोशिश की। तरक्की के ढोल-नगाड़ों के बीच एक ऐसा हिमाचल है, जो खामोशी से अपने राज्य के प्रति मेहनत करता हुआ इसके भविष्य

( अनिल कुमार जसवाल, ऊना रोड, गगरेट ) 130 करोड़ के करीब आबादी वाला भारत आज वश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शुमार है, जबकि आज भी कुल धन का एक बड़ा हिस्सा काले धन के रूप में है। भारत में काले धन की व्यवस्था को समानांतर अर्थव्यवस्था भी कहा जाता है। इसका सरल सा अर्थ

डा. भरत झुनझुनवाला ( डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं ) सरकार द्वारा केवल वही सार्वजनिक माल उपलब्ध कराए जाते हैं, जिन्हें अमीर व्यक्तिगत स्तर पर हासिल नहीं कर सकता है, जैसे कानून व्यवस्था एवं करंसी। सरकार द्वारा उन सार्वजनिक माल को हासिल कराने में रुचि नहीं ली जाती है, जिन्हें अमीर

( बीरबल शर्मा लेखक, मंडी से हैं ) शिकारी क्षेत्र में पिछले कई सालों से लोग फंसते आ रहे हैं, जिन्हें बचाव दलों ने जान पर खेल कर बचाया है। इसके बावजूद ऐसा कोई उपाय नहीं किया गया कि ऐसी स्थिति में कोई आगे न जा पाए। पहले तो सौभाग्य से जानें बचाई जाती रहीं,

( अनुज आचार्य लेखक, बैजनाथ से हैं ) भारतवर्ष के उच्चतम न्यायालय ने स्वीकार किया है कि सेवानिवृत्ति के बाद नियमित पेंशन पाना किसी भी सरकारी कर्मचारी का अधिकार है। केवल गंभीर कदाचार के आरोपों के चलते ही किसी सरकारी कर्मचारी को पेंशन देने से इनकार किया जा सकता है अथवा पेंशन को जब्त किया