पाठकों के पत्र

बैसाखी का पर्व हिंदुओं और सिक्खों द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार है। 13 अप्रैल 1699 को सिक्खों के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। इसलिए इस त्योहार को हर्षोल्लास से मनाया जाता है।

इस बार जो लोकसभा का चुनाव होने जा रहा है, उम्मीद है कि मतदाता इस चुनाव में समझदारी से अपने कीमती मत का प्रयोग करेंगे। उम्मीद यह भी है कि शत प्रतिशत मतदाता चुनाव में भाग लेंगे। मुफ्तखोरी, लोभ-लालच, धर्म-जाति की भावनाओं से बचेंगे। दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र दिन प्रतिदिन कुछ स्वार्थी लोगों के कारण नेतातंत्र बनता जा रहा है। स्वार्थ के इस

बोए पेड़ बबूल के तो आम कहां से होए। रहीम जी का एक दोहा रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। पानी गए न ऊबरे मोती मानुष चून। इस दोहे के अलग अलग अनुवाद किए जा सकते हैं, लेकिन इसमें भी कोई दोराय नहीं है कि पानी बिन प्राणी जाति का कोई अस्तित्व नहीं है। अक्सर देखा गया है कि कुछ लोग सार्वजनिक स्थानों के रेलवे स्टेशन-बस स्टैंड के और अपने कार्यस्थल पर नल का प्रयोग करके इन्हें

हिमाचल के भाईचारे को अब तक कोई खतरा राजनीति से नजर नहीं आता था, लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव प्रचार और रैलियों में प्रमुख राजनीतिक दलों कांग्रेस और भाजपा के एक-दूसरे पर जो आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं, उन्हें देखकर लगता है कि हमारे प्रदेश में भी कहीं वैसे हालात न बन जाएं जैसे कि देश के दूसरे कुछ राज्यों में बनते हैं। धर्म और जातिवाद की राजनीति

चैत्र नवरात्र मंगलवार से शुरू हो रहे हैं। इन नौ दिनों में माता दुर्गा को प्रसन्न करने और मनचाही मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए लोग व्रत भी रखते हैं। हमारा देश देवभूमि है। यहां लगभग प्रतिदिन परमात्मा के साथ जुडऩे के लिए कोई न कोई पर्व और त्योहार मनाए जाते हैं। आजकल हमारे देश में नवरात्र का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है।

जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव की तारीखें निकट आती जा रही हैं, वैसे-वैसे सभी राजनीतिक गठबंधनों के बीच का अंदरूनी कलह बंद कमरे से बाहर निकल कर सडक़ों पर आता जा रहा है। महाराष्ट्र में 2019 के मुकाबले एकदम नई तरह की परिस्थितियां सामने आ गई

पूर्व राष्ट्रपति मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था कि भ्रष्टाचार मुक्त और सशक्त देश के निर्माण के लिए अधिक से अधिक संख्या में युवाओं को आगे आना चाहिए और यदि युवा राजनीति में शामिल होंगे तो राजनीति में गतिशीलता आएगी। आम चुनाव का मौसम शुरू हो र

देश में आम चुनाव का मौसम है। राजनीतिक दल मतदाताओं को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं, लेकिन कुछ राजनेता अभद्र, बेतुकी बयानबाजी भी इस दौरान करते हैं।

केंद्र सरकार ने हाल ही में रसोई गैस की कीमतों में दो सौ रुपए तक की कमी की है। इसी तरह व्यावसायिक सिलेंडर के दामों में भी कुछ कमी की गई है। विश्लेषक इसे चुनाव की दृष्टि से देख रहे हैं, तभी तो सरकार ने जैसे ही चुनाव निकट आ...