संपादकीय

पर्यटन की सद्भावना ही इसकी फितरत है और इस हिसाब से आती बहार को लौटने तक की उमंगों में बांध कर देखना होगा। इसमें दो राय नहीं कि इस बार पिछले साल से बढ़ कर पर्यटन का सीजन बरसा और यह भी कि शिमला ने पानी पिलाना सीख लिया, सारे हिमाचल ने कमाना। पर्यटन के

आज कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के इस्तीफे से उपजे असमंजस की बात करेंगे। राहुल ने इस्तीफा दिया, लेकिन पार्टी के बार-बार आग्रहों के बावजूद उसे वापस नहीं लिया। अपने इरादे पर अडिग रहे, लिहाजा सतही तौर पर उसे ‘नाटक’ करार नहीं दिया जा सकता। राहुल गांधी व्यथित हैं। उनकी पीड़ा बयां भी हुई है कि

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी आजकल खौफजदा हैं। अचानक उन्हें एहसास होने लगा है कि वामपंथी दल और कांग्रेस, तृणमूल के साथ मिलकर, गठबंधन तैयार करें और आगामी चुनाव में जाएं। अकेली दीदी भाजपा से नहीं लड़ सकती, लिहाजा सभी दलों को मिलकर वोट बिखरने से रोकना चाहिए। इसी

बीपीएल मुक्त होने की नई व्याख्या में हिमाचल के ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र कंवर के प्रयास साहसी व क्रांतिकारी दिखाई दे रहे हैं, हालांकि यह विषय लाभप्रद राजनीति का हिस्सा रहा है। प्रदेश में दो लाख बयासी हजार बीपीएल परिवारों के समूह का सियासी आवरण अपने भीतर एक तरह से वोट बैंक की सत्ता रही

‘यदि मुसलमान ‘गटर’ में रहना चाहें, तो उन्हें पड़ा रहने दें।’ यह वाक्यांश कांग्रेस के पुराने मंत्री रहे और फिर बागी बने आरिफ मुहम्मद खान ने कहा था या पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव ने कहा था, इसका प्रामाणिक आधार कोई नहीं है। नरसिंह राव आज इस दुनिया में नहीं हैं और आरिफ के बयान

हिमाचल के नए कदम जो तय कर रहे हैं, उनकी प्रगति के आईने में हम बदलते अरमानों की डोर देख सकते हैं, लेकिन मंजिल को अपने दीदार की सदी का इंतजार है। कुछ इसी तरह इन्वेस्टमेंट की फिराक में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के विदेश दौरे करवटें बदलने लगे हैं, तो एक नया नजरिया भी प्रदेश

संयोग था कि राष्ट्रपति अभिभाषण पर प्रधानमंत्री मोदी को जवाब 25 जून को देना पड़ा। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह एक ‘काली तारीख’ है। 1975 में इसी तारीख की रात में आपातकाल की घोषणा की गई थी। सारी लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं, संस्थाओं, न्यायपालिका और मीडिया को ठप्प कर दिया गया। सेंसर के पहरे बिठा दिए

धरोहर व सांस्कृतिक पर्यटन की तड़प में हिमाचल की राजसी वंशावलियां अब अगर इसी प्रारूप में अपने अतीत को रेखांकित करने की कोशिश कर रही हैं, तो सरकार को इसे पर्यटन के नए सहयोग से जोड़ना होगा। अतीत के त्रिगर्त को नए पर्यटन की खुशबू से जोड़ने की एक कोशिश पुराने राजपरिवारों में एक समूह

क्या मोदी सरकार किसी भी स्तर पर कश्मीर में हुर्रियत कान्फें्रस के अलगाववादी नेताओं से बातचीत करेगी? क्या पाकपरस्त और आतंकियों के पैरोकारों से बातचीत की जाएगी? क्या हत्यारे, भारत-विरोधी, हवाला के दलालों और भ्रष्ट चेहरों से भी बातचीत की जा सकती है? क्या ऐसा करना आतंकवाद के साथ बातचीत को नकारने की नीति का