हिमाचल फोरम

कोरोना वायरस से बचने के लिए देश में सरकार ने लॉकडाउन कर रखा है। इसके कारण दुकानें भी बंद हैं, लेकिन कर्फ्यू में ढील मिले  पर लोग बाजारों में पहुंचकर वस्तुओं की खरीददारी कर रहे हैं। इससे लोगों को जरूरी सामान उपलब्ध हो रहा है, वहीं इससे सुविधा का भी भरपूर लाभ उठा रहे हैं।

विश्वभर में फैली कोरोना वायरस से बचने के लिए देश में सरकार ने लॉकडाउन कर रखा है। इसके कारण दुकानों को भी बंद रखा गया था। इससे लोगों को जरूरी सामान उपलब्ध नहीं हो रहा था।  दूर-दराज में ग्रामीण इलाकों के लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था, लेकिन कर्फ्यू में ढील मिलने

लॉकडाउन के बाद केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा बाजार की समस्त दुकानों को कर्फ्यू में ढील देते हुए चार घंटों की छूट देते हुए खोला गया है। वहीं लगभग एक माह से ज्यादा समय के बाद एकाएक सारी दुकानें खुलने के बाद ग्राहकों ने भी बाजारों का रुख किया। जब ‘दिव्य हिमाचल’ ने डैहर के

कंगना रणौत के दीवाने जहां देशभर के युवा हैं, वहीं आज कंगना रणौत को हिमाचल के युवा बेहद पसंद करते हैं। मिनी बालीवुड कुल्लू-मनाली की अगर बात करें तो आज कंगना के दीवाने कुल्लू-मनाली में भी हैं, जो कंगना की एक्टिंग के मुरीद हैं, लेकिन कंगना के जो तेवर हैं वे कुल्लू-मनाली के कुछ युवाओं

गगरेट –अहिंसा के पुजारी मोहन दास कर्मचंद गांधी के जन्मदिवस को आज हम गांधी जयंती के रूप में मना रहे हैं। वह अहिंसा का पुजारी जिसने लाठी नहीं बल्कि अहिंसा के मंत्र से ही इस देश को आजाद करवाने में अहम भूमिका निभाई। भगवान बुद्ध ने अगर शांति का मंत्र दिया था तो महात्मा गांधी

स्वारघाट –दो अक्तूबर को महात्मा गांधी जी की 150वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। व्यक्तित्व की दृष्टि से देखें तो गांधीजी राजनीतिज्ञ हैं, दार्शनिक हैं, सुधारक हैं, आचारशास्त्री हैं, अर्थशास्त्री हैं और क्रांतिकारी भी। समग्र दृष्टि से गांधी के व्यक्तित्व में इन सबका सम्मिश्रण है। मगर इस व्यक्तित्व का मूल आधार धार्मिकता है। आज के दौर में

प्रदेश सरकार भले ही फाइव डे वर्किंग वीक का प्रस्ताव पर्यटन की दृष्टि से बना रही हो, लेकिन ऊना में कुछ सरकारी नौकरी करने वाले कर्मचारी इससे कार्य से थोड़ा रिलेक्स होने के लिए अच्छा मान रहे हैं, लेकिन कुछ कर्मचारी इसको निकार रहे है। कर्मचारियों का मानना है कि अगर भारत सरकार की तरह

साहित्य या तो कालेजों-स्कूलों के पुस्तकालयों की शान बना रहा या फिर लेखकों-साहित्यकारों के घरों की अलमारी में कैद रहा। हिमाचल में साहित्य की रुचि-अभिरुचि का इसी से पता चलता है कि युवा पीढि़ प्रदेश के चंद साहित्यकारों का नाम तक नहीं जानती। हालांकि सोशल मीडिया के युग में जहां हर हाथ में मोबाइल हैं

वर्तमान में साहित्य का अपना ही महत्त्व है। साहित्य पढ़ने से व्यक्ति के ज्ञान में भी वृद्धि होती है, लेकिन आज के युवाओं की साहित्य पढ़ने में कम ही रुचि दिखाई दे रही है। युवा ज्यादातर नौकरी पाने के लिए प्रतियोगी पुस्तकें पढ़ने में ही दिलचस्पी दिखा रहे हैं। वहीं, सोशल मीडिया की ओर से