विचार

हमारा देश घोटाला प्रधान है। घोटालों में हमारा मुकाबला नहीं है। ओलंपिक्स में यदि घोटाला प्रतियोगिता हो तो नि:संदेह हम हर हालत में स्वर्ण पदक प्राप्त करके रहें। एक घोटाले की जांच प्रारम्भ भी नहीं हो पाती कि दूसरा खुल पड़ता है। मेरे एक मित्र हैं। घोटालों के अनुभव सिद्ध पुरुष हैं। तीन बार गबन-घोटाले के चक्कर में निलंबित हो चुके हैं। लेकिन हर बार न्यायालय उन्हें बेदाग साबित करके पुन: सेवा में बहाल कर देता है और वे फिर घोटाला प्रक्रिया में लिप्त हो जाते हैं। एक दिन आए तो मैंने कहा-‘मित्रवर, घोटालों के कीर्तिमान तोड़े जा रहे हैं और आप हैं कि दम साधे पड़े हैं।’ ‘शर्मा क्या बताऊं यार, घोटाला तो कर चुका लेकिन अभी तक पकड़ा नहीं जा

देश में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक की खबरें सुर्खियों में आती हैं। जिस देश में भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी हो चुकी हों, चंद पैसों की खातिर जहां लोग अपना ईमान बेच देते हों, वहां पेपर लीक के मामले शायद ही रुकें। बेशक सरकारें इसके लिए सख्त कानून ही क्यों न बना दें, हमारे देश में कानूनों का

तमिलनाडु में सत्तारूढ़ पार्टी द्रमुक न केवल सनातन-विरोधी है, बल्कि भारत-विरोधी भी है। संविधान धार्मिक आस्था और पूजा-पद्धति की अनुमति तो देता है, लेकिन भारत-विरोध का कोई प्रावधान नहीं है। भारत-विरोध के मायने हैं कि आप देश की संप्रभुता, एकता, अखंडता और राष्ट्र के तौर पर अपमान कर रहे हैं। कोई साजिश रच रहे हैं। उन्हें चुनौती दे रहे हैं। यह सरासर देशद्रोह है और नई न्याय संहिता में इस अपराध की सजा स्पष्ट हो जाएगी। यह संहिता 1 मार्च से देश भर में लागू हो रही है। द्रमुक सरकार ने एक विज्ञापन छपवाया है, जो इसरो

कांग्रेस खुद पर अफसोस या गुस्सा करे, अहंकार की दौलत में बिक रहा जमाना। जाहिर है हिमाचल से राज्यसभा की यात्रा ने एक सरकार के वजूद को छील दिया और इस छिछालेदर में सारी खुन्नस निकल गई। राजनीति अपनी बस्ती नहीं चुन सकती, तो अपनी ही अस्थि उठानी पड़ेगी, वरना भाजपा के कुल 25 विधायकों के सामने कांग्रेस के चालीस इतने सक्षम थे कि अभिषेक मनु सिंघवी यहां से राज्यसभा का तिलक लगाकर लौटते, मगर लुटिया डूबी जहां आशाएं तैर रही थीं। इस गिनती पर कौन भरोसा करे जिसने भाजपा के हर्ष में अपनी तौहीन कबूल की। आश्चर्य यह कि जिस अकड़ से सत्ता चल रही थी, उसकी

स्वतंत्र भारत के इतिहास में पालाबदल और क्रॉस वोटिंग का सबसे सनसनीखेज और विवादास्पद उदाहरण 1969 का राष्ट्रपति चुनाव था। 16 अगस्त, 1969 को पांचवें राष्ट्रपति का चुनाव हुआ। लोकसभा के पूर्व स्पीकर नीलम संजीवा रेड्डी कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार थे, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उनकी उम्मीदवारी से सहमत नहीं थीं, लिहाजा उन्होंने पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ, अपने उम्मीदवार के तौर पर, लोकप्रिय मजदूर यूनियन नेता वीवी गिरि को चुनाव मैदान में उतार दिया। गिरि ने निर्द

सहज संन्यास घर छोडऩे, परिवार छोडऩे, दुनिया छोडऩे, कपड़े रंगवाने, सिर मुंडाने या बाल बढ़ाने की आवश्यकता नहीं है। हम जैसे हैं, वैसे ही रहें। हम जो काम कर रहे हैं, वो पूरी तन्मयता से, पूरी ईमानदारी से, पूरी लगन से, पूरी मेहनत से, पूरी निष्ठा से, पूरी काबलियत से करें। जो करें वह ऐसा हो जो सबके भले के लिए हो, तो हम संन्यासी हैं। जब हम लालच छोड़ दें, क्रोध छोड़ दें, ईष्र्या छोड़ दें, ऊंच-नीच का विचार

इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर द्वारा वैश्विक स्तर पर कैंसर की व्यापकता पर जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में 75 वर्ष की आयु से पहले कैंसर से मरने का जोखिम 7.2 फीसदी है। अधिकांश देश सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (यूएचसी) के हिस्से के रूप में प्राथमिकता वाले कैंसर और उपशामक देखभाल सेवाओं को पर्याप्त रूप से वित्तपोषित नहीं करते हैं...

बहुत दिन से हमें रंगों की तमीज करनी भूल गई! काला रंग सदा डराने वाला लगता था, आज कितना अपना-सा लगने लगा है। काला रंग जो रात के उतरने का सूचक होता है। यह रंग अंधेरे का सहोदर है। आज जिस आजादी का अमृत महोत्सव हम मना रहे हैं, उसकी शुरुआत ही कभी एक आधी रात को किसी जननायक ने अपनी क्षीणकभीर वाणी से की थी। ‘रात के बारह बज गए। अब देश में आजादी की नई सुबह होगी। सदियों की गुलामी भरा यह काला अंधेरा छंट जाएगा। फिर क्षितिज पर उषा की लालिमा उभरेगी। नया सवेरा नई आजाद सांसों का ध्वजवाहक होगा।’ काला रंग विदा होगा, नए सूरज की सफेदी इस धरा पर उतरेगी। हर हा

‘हमें अपनों ने लूटा, गैरों में कहां दम था, मेरी किस्ती भी डूबी वहां, जहां पानी कम था।’ कांग्रेस हाईकमान और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुक्खू इस गाने के बोल को गुनगुना रहे होंगे। हिमाचल राज्यसभा चुनाव में क्रास वोटिंग होना और प्रदेश की सुक्खू सरकार पर गिरने के बादल छाना, यह सिद्ध करता है कि कांग्रेस के अपने ही लोग अपनी ही पार्टी से परेशान हैं और पार्टी हाईकमान भी इस मनमुटाव को दूर करने में पूरी तरह नाकाम है।