विचार

( किशन सिंह गतवाल, सतौन, सिरमौर ) भारत ने अग्नि-4 और अग्नि-5 मिसाइल का परीक्षण क्या किया कि पड़ोसी चीन का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया। उसकी सिट्टी-पिट्टी ही जैसे गुम हो गई हो। वह धमकी भरे लहजे में कह रहा है कि भारत ने अगर अपनी हरकतें न रोकीं, तो वह पाकिस्तान को

( होशियार सिंह, नूरपुर, कांगड़ा ) अगर दो बार राज्य स्तरीय कुश्ती प्रतियोगिता में प्रिया स्वर्ण पदक जीतती है, तो फिर भी उसे राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की तैयारी के लिए सरकारी सहयोग क्यों नहीं मिलता? अगर प्रिया अपनी मेहनत के बलबूते राज्य स्तर पर दो बार स्वर्ण पदक जीत सकती है, तो तीन बार राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं

हिमाचल को कुदरत ने ऐसा सौंदर्य बख्शा है, जो हर किसी को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। हर साल आबादी से दोगुना यहां पहुंचने वाले सैलानी पहाड़ की खूबसूरती पर मुहर लगाते हैं। बेशक सैलानियों की आमद ज्यादा हैं पर वे एक या दो दिन रुकने के बाद लौट जाते हैं। दखल

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ( लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं ) असली सवाल और गहरा है। आखिर जम्मू-कश्मीर सरकार इस बात पर क्यों बजिद है कि 1944 के बाद रियासत में किसी को रहने का अधिकार नहीं है? इसका उत्तर सरकार तो नहीं, लेकिन हुर्रियत कान्फ्रेंस से लेकर नेशनल कान्फ्रेंस तक दे रही है। उनका कहना

व्यवस्था का असली हकदार कौन, यह प्रश्न बिलासपुर के विधायक से पूछने के कारण लगातार बढ़ रहे हैं। घटनाक्रम की आफत कौन मोल ले रहा है, इससे पहले ही यह तय हो चुका है कि विधायक बंबर ठाकुर अपने अधिकार की रूपरेखा में राजनीतिक शक्तियों का प्रयोग कर रहे हैं। पहले वन अधिकारी से उलझे

नोटबंदी पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की टिप्पणी चौंकाने वाली है। राष्ट्रपति की आशंका है कि नोटबंदी से अस्थायी मंदी पैदा हो सकती है। पहला सवाल तो यह है कि राष्ट्रपति का यह आकलन किन तथ्यों और आंकड़ों पर आधारित है? अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों तक ने आर्थिक मंदी की बात नहीं की है, बल्कि अर्थव्यवस्था में

( इंदु पटियाल लेखिका, स्वतंत्र पत्रकार हैं ) अब तक के आंकड़ों पर नजर डालें, चाहे औद्योगिक कंपनियां हों या विद्युत कंपनियां, इनमें बाहर वाले ‘साहब’ और हिमाचली युवा ‘नौकर’ ही बन पाए हैं। इस प्रदेश में हेल्पर व मजदूर का काम पाने के लिए भी युवाओं को नेताओं की सिफारिश के लिए जुगत भिड़ानी

( किशन सिंह गतवाल, सतौन, सिरमौर ) लोकतंत्र में मनाना-रूठना चलता रहता है, हर बात में हर शक्स यूं ही मचलता है। मांगें पूरी करो वरना पल में होते टोपलैस बात-बात में मनचले, चढ़ते पानी की टंकी पर। मन माफिक दो नौकरी, काम चलता धमकी पर, उठाते सिर पर आसमान, सुने न कोई बात। आईआरडीपी

( सुनीता पटियाल, अणु, हमीरपुर ) पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की घडि़यां जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही हैं, सियासी सरगर्मियां लगातार बढ़ती जा रही हैं। इसी क्रम में अपनी दो जनवरी को लखनऊ में आयोजित  रैली में नरेंद्र मोदी ने एक साथ तीनों दलों पर निशाना साधने की कोशिश की। हालांकि इस बार के