विचार

स्वतंत्र भारत के इतिहास में पालाबदल और क्रॉस वोटिंग का सबसे सनसनीखेज और विवादास्पद उदाहरण 1969 का राष्ट्रपति चुनाव था। 16 अगस्त, 1969 को पांचवें राष्ट्रपति का चुनाव हुआ। लोकसभा के पूर्व स्पीकर नीलम संजीवा रेड्डी कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार थे, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उनकी उम्मीदवारी से सहमत नहीं थीं, लिहाजा उन्होंने पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ, अपने उम्मीदवार के तौर पर, लोकप्रिय मजदूर यूनियन नेता वीवी गिरि को चुनाव मैदान में उतार दिया। गिरि ने निर्द

सहज संन्यास घर छोडऩे, परिवार छोडऩे, दुनिया छोडऩे, कपड़े रंगवाने, सिर मुंडाने या बाल बढ़ाने की आवश्यकता नहीं है। हम जैसे हैं, वैसे ही रहें। हम जो काम कर रहे हैं, वो पूरी तन्मयता से, पूरी ईमानदारी से, पूरी लगन से, पूरी मेहनत से, पूरी निष्ठा से, पूरी काबलियत से करें। जो करें वह ऐसा हो जो सबके भले के लिए हो, तो हम संन्यासी हैं। जब हम लालच छोड़ दें, क्रोध छोड़ दें, ईष्र्या छोड़ दें, ऊंच-नीच का विचार

इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर द्वारा वैश्विक स्तर पर कैंसर की व्यापकता पर जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में 75 वर्ष की आयु से पहले कैंसर से मरने का जोखिम 7.2 फीसदी है। अधिकांश देश सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (यूएचसी) के हिस्से के रूप में प्राथमिकता वाले कैंसर और उपशामक देखभाल सेवाओं को पर्याप्त रूप से वित्तपोषित नहीं करते हैं...

बहुत दिन से हमें रंगों की तमीज करनी भूल गई! काला रंग सदा डराने वाला लगता था, आज कितना अपना-सा लगने लगा है। काला रंग जो रात के उतरने का सूचक होता है। यह रंग अंधेरे का सहोदर है। आज जिस आजादी का अमृत महोत्सव हम मना रहे हैं, उसकी शुरुआत ही कभी एक आधी रात को किसी जननायक ने अपनी क्षीणकभीर वाणी से की थी। ‘रात के बारह बज गए। अब देश में आजादी की नई सुबह होगी। सदियों की गुलामी भरा यह काला अंधेरा छंट जाएगा। फिर क्षितिज पर उषा की लालिमा उभरेगी। नया सवेरा नई आजाद सांसों का ध्वजवाहक होगा।’ काला रंग विदा होगा, नए सूरज की सफेदी इस धरा पर उतरेगी। हर हा

‘हमें अपनों ने लूटा, गैरों में कहां दम था, मेरी किस्ती भी डूबी वहां, जहां पानी कम था।’ कांग्रेस हाईकमान और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुक्खू इस गाने के बोल को गुनगुना रहे होंगे। हिमाचल राज्यसभा चुनाव में क्रास वोटिंग होना और प्रदेश की सुक्खू सरकार पर गिरने के बादल छाना, यह सिद्ध करता है कि कांग्रेस के अपने ही लोग अपनी ही पार्टी से परेशान हैं और पार्टी हाईकमान भी इस मनमुटाव को दूर करने में पूरी तरह नाकाम है।

इस क्षेत्र में घरेलू हिंसा को रोकने और कम करने के लिए, लिंग-तटस्थ कानून लागू किए जाने चाहिए और लिंगवादी कानून नहीं बनाए जाने चाहिए। पुरुषों के खिलाफ मानसिक और शारीरिक प्रताडऩा, न तो अब संवेदनहीन मुद्दा है, न ही इस पर बात करना महिला अधिकारों का किसी प्रकार का अतिक्रमण है। जहां तक पुरुषों के उत्पीडऩ का प्रश्न है, इस पर बात करना मानव अधिकारों का, समाज में संतुलन बनाए रखना है। एक देशी डॉक्यू

भारत सरकार ने राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) का 2022-23 के घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण का सारांश छापा है। औसतन भारतीय परिवार, उसके खर्च और ‘गरीबी’ पर यह महत्वपूर्ण आर्थिक डाटा है। नीति आयोग ने इसकी रपट जारी की है। सबसे महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह है कि देश की आबादी का 5 फीसदी से भी कम लोग, यानी 7.20 करोड़ भारतीय ही, ‘गरीब’ रह गए हैं। गरीबी का यह डाटा 2011-12 के बाद सामने आया है। एक ऐसा ही सर्वेक्षण 2017-18 में भी आया था। उसमें ‘गरीबी’ बढ़ती हुई दिख रही थी, लिहाजा मोदी सरकार ने वह रपट छिपा ली थी। तब सरका

शिमला के मॉल रोड पर कफन बिकने लगे, हमारी आंखों के सामने कत्ल दिखने लगे। जिस मॉल रोड पर हिमाचल की कानून व्यवस्था ना•ा करती है। जहां भीड़ में भी शिष्टाचार की संगत चलती है। जहां पुलिस चौकसी के इंतजाम गारंटी देते हैं कि हिमाचल शांत है, वहां पुलिस रिपोर्टिंग रूम में कफन ओढ़े एक युवा अपने ही कत्ल की शिकायत कर गया। यह दृश्य वीभत्स है और हमारी व्यवस्था के सामने लाश बनकर कई प्रश्न उठा देता है। बेशक कत्ल की वारदात एक रेस्तरां के भीतर होती है, लेकिन गुनाह की परतें मॉल रोड से होकर गुजरीं और एक निर्मम हत्या की चीखों के बीच ह

28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य देश में विद्यार्थियों की विज्ञान में रुचि बढ़ाना और लोगों को इसके प्रति सचेत करना भी है। हमारा देश विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। हाल ही में चंद्रयान 3 की सफलता ने दुनिया को बता दिया कि हमारा देश विज्ञान के क्षेत्र में भी काफी विकास कर रहा है और हमारे देश के वैज्ञानिक भी उन दूसरे देशों से कम नहीं हैं जो तकनीक और विज्ञान के क्षेत्र में अपने आपको सुपर पावर मानते हैं।