वैचारिक लेख

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार इसी मोड़ पर आकर ममता बनर्जी और भाजपा में टकराव है। भाजपा को बंगाल से खड़े होकर भारत को विश्वगुरु के पद पर स्थापित करने की अपनी यात्रा को नई चेतना और ऊर्जा से अनुप्राणित करना है, लेकिन ममता बनर्जी को यहीं से अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को स्थापित

भारत के दूसरे प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने 1965 में जब देश पर युद्ध और अकाल का खतरा इकट्ठा बन आया था, देश की सीमाओं पर बाहरी मुल्क ने हमला कर दिया था जिससे देश की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो गया था और दूसरी तरफ भारत के अंदर इतना भयानक अकाल

प्रो. एनके सिंह अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार लाखों टन गेहूं तथा अन्य फसलें बारिश, तूफान या आग में नष्ट हो जाती हैं, लेकिन वहां पर्याप्त वेयरहाउसिंग क्षमता नहीं है। इस क्षेत्र में आधारभूत सुविधाएं जुटाने के लिए निवेश करने के लिए तथा आधुनिकीकरण के लिए निजी क्षेत्र को आगे आना ही चाहिए। अंबानी अथवा अडानी द्वारा

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक हिमाचल प्रदेश में बहुत कम प्रशिक्षण केंद्र हैं। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाला खिलाड़ी बनने के लिए स्कूल व कालेज समय में खिलाड़ी को अच्छी खेल सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए। पूरे संसार में जहां के खिलाड़ी श्रेष्ठ हैं, वहां पर स्कूल व कालेज स्तर पर बहुत ही उत्तम खेल सुविधाएं मुहैया

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार भारतीय खाद्य निगम पर भी अडानी का बोर्ड लग गया है और पानीपत के पास नौल्था गांव में लगभग सौ एकड़ जमीन पर अडानी का विशाल गोदाम बन रहा है जहां हरियाणा और आसपास के राज्यों से खरीदी गई फसल का भंडारण होगा। भंडारण शायद एक गलत शब्द है, सही शब्द

मनोचिकित्सक जेम्स लिंच और एरन कैचर के अनुसार पालतू जीवों के संसर्ग में रहने वालों को मानसिक तनाव और रक्तचाप से भी छुटकारा मिल सकता है। इतना ही नहीं, दिल के दौरे पड़े हुए मरीजों को जानवर पालने से चमत्कारी लाभ प्राप्त होता है। समय-समय पर सरकारें भी पशुओं को लेकर संरक्षण व संवर्धन प्रोजेक्ट

महाराष्ट्र के शोलापुर जिले में एक गांव की राजकीय प्राथमिक पाठशाला में कार्यरत प्राथमिक अध्यापक रणजीत सिंह डिस्ले को विश्व का ग्लोबल पुरस्कार मिलना सारे देश के लिए गर्व का विषय है। इस देश को ऋषि-मुनियों का देश होने के कारण विश्व गुरु कहा जाता है। डिस्ले ने विश्व गुरु बनकर बता दिया कि वह

इस पौन सदी में हमने हर जनपथ को शार्टकट बना सफलता लेने की पगडंडी में बदलते देखा है। इस पगडंडी का रास्ता कूड़े के उपलों पर नकारने में नहीं, बल्कि उसकी जगह उन पर एक मनभावन कलई करके स्वच्छ भारत सिद्ध कर देने की मुस्कराती घोषणा के साथ होता है। इस चुंधयाई हुई आंखों के

उसकी इस हालत का पूरा लाभ वे तत्त्व उठाते हैं जो उत्पादन प्रक्रिया के अंग नहीं हैं और अपने पैसे के बल पर किसानों की मेहनत को लूट कर मालामाल हो रहे हैं। परिवार के विभाजन के साथ-साथ कृषि भूमि का विभाजन लगातार हो रहा है। देश के अधिकतर किसान आज या तो हाशिए के