देवभूमि से जल्द भागेंगी बुरी शक्तियां

By: Jan 17th, 2017 12:05 am

कुल्लू  —  देवभूमि कुल्लू की शांत वादियों में रह रहे लोगों को सताने के लिए पनपी बुरी शक्तियों का जल्द ही खात्मा होने वाला है। घाटी के देवी-देवताओं के आशीर्वाद और सहयोग से जिला के देव समाज के लोग इन बुरी  शक्तियों को अपने इलाके से दूर भगाने के लिए अभियान का आगाज कर चुके हैं। जानकारी के अनुसार लोगों ने मकर संक्रांति के बाद से अपने घरों के बाहर रात को मशालें जलानी आरंभ कर दी हैं और यह सिलसिला आने वाले सात दिनों तक चलेगा। आधि-व्याधियों और बूरी शक्तियों के वर्चस्व वाले काला माह पोष का गत दिन अंत हो गया है और घाटी में देवी-देवता  एक बार फिर अपने भक्तों व हारियानों की रक्षा के लिए लौट आए हैं।  देव समाज से जुड़े लोगों से मिली जानकारी के अनुसार देवी-देवताओं के सहयोग से जिला वासी सात दिनों तक अपने घरों में मशालें जलाकर और जगह-जगह देवालयों में भी मशालें जलाकर , अश्लील गालियां देकर अपने इलाके  को बुरी शक्तिओं से बचाएंगे। गत दिन देर शाम से  इन दुष्ट शक्तियों को भगाने का सिलसिला जिला की रूपी घाटी के साथ महाराजा घाटी, बंजार उपमंडल और दूसरे स्थानों पर देव विधियों के साथ आरंभ हुआ और अगले सात दिनों तक चलेगा। लोगों के अनुसार भूत प्रेतों को भगाने की इस प्रक्रिया को दियाली व सदियाला के नाम से पुकारा जाता है। रूपी घाटी के चौंग, भ्रैण, दियार, हवाई, खोखण, नरोगी, पीज, आदि में यह पर्व विशेष तौर पर मनाए जाते हैं, तो बंजार उपमंडल के साथ अन्य स्थानों पर भी यह परंपरा निभाई जाती है। जानकारी के अनुसार माघ संक्रांति के सातवें दिन सदियाले पर सभी हारियान मंदिर परिसर में एकत्रित होंगे और मशालें जलाकर गांव की परिक्रमा करेंगे तथा इस दौरान भूत-प्रेतों को अश्लील गालियां देकर भगाएंगे। अश्लील गालियां देने की इस प्रक्रिया को जीहरू भी कहा जाता है। दियाली उत्सव पर भी इसी प्रकार की प्रक्रिया को पूरा किया गया।

सदियों से चली आ रही परंपरा

जानकारों के अनुसार सदियाला का रिवाज जिला में सदियों से चला आ रहा है और आज ही इसका निर्वहन किया जाता है। साथ ही देव समाज के प्रतिनिधियों ने दावा भी किया है कि इस प्रक्रिया को अपनाने से निश्चित तौर पर बुरी शक्तियां इलाके को त्याग देती हैं।

कारकारिंदे  करेंगे देव नृत्य

हारियानों के अनुसार सदियाले के दिन सुबह के समय सभी हारियान मंदिर में एकजुट होने के बाद मशालें जलाएंगे और बुरी शक्तियों को गालियां देकर दूर भगाएंगे। इसके बाद मंदिर परिसर में ही जागरा जलाकर देवता के वरिष्ठ कारकारिंदे देव नृत्य भी करेंगे।


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