सेब की फसल को मिली संजीवनी

By: Jan 15th, 2017 12:05 am

पतलीकूहल – घाटी में जनवरी के पहले सप्ताह में हुई भारी बर्फबारी से सेब की फसल के लिए वांछित 1200 से 1600 घंटों का चिलिंग समय पूरा हो सकता है। वैसे भी इस फसल के लिए विंटर में जिस तरह का तापमान चाहिए  था वह गत वर्ष नहीं मिला, लेकिन फिर भी फसल हुई।  घाटी में बर्फ बारी का होना सेब की फसल के लिए जरूरी रहता है, जिससे वायरल व बैकटेरिया को पनपने का अवसर नहीं मिलता है और सेब गुणवत्ता वाला  होता है। इस वर्ष पिछले चार महीनों से जिस तरह से मौसम का मिजाज शुष्क चल रहा था, उससे बागबानों को सेब की फसल को लेकर भारी चिंता होने लगी थी, लेकिन देर से आई इस बर्फबारी ने बागबानों को सेब की बढि़या फसल होने की उम्मीद जगा दी है। हालांकि अभी और बर्फबारी होने का पूर्वानुमान है, जिससे सेब के लिए वांछित चिलिंग आवर्ज मिल सकते हैं। बागबानी विशेषज्ञों का कहना है कि घाटी में बर्फबारी होने से तथा बागानों तक पहुंची इस बर्फ से सेब के 50 फिसदी रोग इससे समाप्त हो जाते हैं, बाकि बागबान दवाइयों के छिड़काव से कई तरह के रोगों व कीटों से फसल की सुरक्षा से स्प्रे कर इसे भगा देते हैं। चार महीनों से जिस तरह से घाटी ही नहीं बल्कि प्रदेश में मौसम का माहौल बना हुआ था, उससे कृषि व बागबानी पर खतरे के बादल मंडराने शुरू हो गए थे। यही वजह रही की लोगों की बिजाई का कार्य भी दो महीने लेट हो गया। इस बर्फबारी से खेत व खलिहान दोनों तर हो गए हैं, जिससे निचले क्षेत्रों में जुताई का कार्य शुरू हो गया है  घाटी की मुख्य फसल सेब के लिए जिस तरह से कुदरत  ने राहत बन कर बर्फबारी दी है, उससे सेब की फसल को संजीवनी प्रदान हो गई है।


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