केंद्र की गलत नीतियों से सुसाइड कर रहे किसान

By: Feb 6th, 2017 12:01 am

नाहन — केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण देश के किसान आत्महत्याएं करने को विवश हैं। यह बात हिमाचल किसान सभा के राज्य स्तरीय सम्मेलन के समापन अवसर पर किसान सभा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष डा. बीजू कृष्णन ने कही।  उन्होंने कहा कि केंद्र की नवउदारवादी गलत नीतियों के कारण किसानों की आत्महत्याओं का आंकड़ा 42 प्रतिशत तक बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि देश में गत वर्ष 12260 किसानों ने आत्महत्याएं की हैं। इनमें से भाजपा शासित राज्यों में 62 प्रतिशत किसान आत्महत्या करने को विवश हुए हैं। डा. कृष्णन ने बताया कि अकेले महाराष्ट्र में गत वर्ष 4291 किसानों ने मौत को गले लगाया है। उन्होंने बताया कि किसान सभा के हस्तक्षेप से कर्नाटक में 40 लाख किसानों के पास जमीन के पट्टे न होने के बावजूद उन्हें जमीन से बेदखल करने से बचाया गया। इसी तरह आंध्र प्रदेश व तेलंगाना के किसानों को बेदखली से बचाया गया है। उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत 100 दिन का कार्य देने के लिए 65 हजार करोड़ रुपए की आवश्यकता है, जबकि केंद्र ने मनरेगा का कुल बजट 48 हजार करोड़ रुपए ही रखा है। इसमें भी करोड़ों रुपए की गत वर्ष की देनदारियां शामिल हैं। सम्मेलन में किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरा राम ने बताया कि किसानों की दुर्दशा केंद्र की किसान विरोधी नीतियों के कारण हो रही है। उन्होंने कहा कि एफडीआई के बढ़ने व बहुराष्ट्रीय कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए किसान दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज हो रहा है। किसान सभा के सदस्यों ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में किसानों की बेदखली के खिलाफ जनआंदोलन खड़ा किया जाएगा। इसी के चलते पांच अप्रैल को हिमाचल प्रदेश किसान सभा विधानसभा के समक्ष प्रदर्शन करेगी। किसान सभा के राज्य अध्यक्ष डा. कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि सरकार की नवउदारवादी नीतियों के कारण प्रदेश में रोजगार घट रहे हैं। उन्होंने बताया कि राज्य में 2000 के बाद नियमित भर्तियों पर रोक लगाई गई है, जिसके कारण नौजवानों को अंशकालीक व अनुबंध के आधार पर नौकरियां दी जा रही हैं। दिनोंदिन बढ़ रही बेरोजगारी के चलते प्रदेश के नौजवानों को वेतन के नाम पर न्यूनतम मजदूरी भी नहीं मिल रही है। उन्होंने बताया कि भाजपा व कांग्रेस दोनों ही एक सिक्के के दो पहलू हैं। किसान सभा का कहना है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, सार्वजनिक परिवहन व अन्य सेवाओं पर ऊर्जा चार्ज लगाकर सरकार लोगों से पैसा ऐंठ रही है। साथ ही निजीकरण के चलते सरकारी क्षेत्र में कर्मचारियों को आउटसोर्स के आधार पर रखा जा रहा है जो प्रदेश की जनता के साथ खिलवाड़ है।


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