शिक्षक रोकें नकल

By: Feb 10th, 2017 12:01 am

( अमर सिंह, बलद्वाड़ा, मंडी )

मार्च में होने वाली वार्षिक परीक्षा में नकल पर कैसे नकेल कसी जाए, इसके लिए शिक्षा विभाग इसकी तैयारियों में पहले से ही जुट जाता है। जहां पहले इसे रोकने के लिए उड़नदस्ते बनाए जाते थे, अब विभाग परीक्षा हालों में सीसीटीवी लगाने की तैयारियां कर रहा है। हर साल शिक्षा विभाग द्वारा वार्षिक परीक्षा से पहले इसे रोकने के लिए नई-नई नीतियां बनाई जाती हैं। परीक्षा के दौरान हर साल सैकड़ों बच्चे नकल करते हुए पकड़े जाते हैं, फिर भी नकल का यह सिलसिला दिन-प्रतिदन घटने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है। जितने इसके रोकने के प्रबंध किए जा रहे हैं, बच्चों में उतनी ही अधिक नकल करने की प्रवृत्ति बढ़ती ही जा रही है। सारा साल पढ़ाई करने के बाद, आखिर नकल करने की क्या जरूरत होती है। सारा साल शिक्षकों द्वारा जो पढ़ाया जाता है, अगर उस पर बच्चे सही ढंग से अमल करें तो उन्हें नकल करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। आखिरकार इस नकल के सिलसिले को कैसे रोका जाए? बुद्धिजीवी वर्ग सोचने पर मजबूर है। इस नकल की प्रवृत्ति को एक वर्ग रोक सकता है, वह है शिक्षक वर्ग। वही इस भयंकर बीमारी  से निजात दिला सकता है। बच्चा जब प्राइमरी स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने आता है, तभी से ही शिक्षक उसे यह नैतिकता का पाठ पढ़ाए कि नकल करना अच्छी बात नहीं है। नकल के बजाय वह अपनी अक्ल से काम करे। यह जो सरकार द्वारा शिक्षकों को अच्छा रिजल्ट देने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, वह भी कहीं न कहीं नकल को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करती है। प्राइमरी स्कूलों में कक्षावार टीचर उपलब्ध करवाने से भी इस पर अंकुश लग सकता है। बच्चा कच्चे घड़े के समान होता है। अगर शिक्षक उसे नकल न करने के लिए प्रेरित करे, तो नकल का सिलसिला टूट सकता है।

 


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