एओर्टिक स्टेनोसिस क्‍या है

By: Mar 25th, 2017 12:05 am

जब हृदय पंप करता है, तो दिल के वाल्व खुल जाते हैं, जिस से रक्त आगे जाता है और हृदय की धड़कनों के बीच तुरंत ही वे बंद हो जाते हैं ताकि रक्त पीछे की तरफ  वापस न आ सके। एओर्टिक वाल्व रक्त को बाएं लोअर चैंबर (बायां वैंट्रिकल) से एओर्टिक में जाने के निर्देश देते हैं।  एओर्टिक मुख्य रक्त वाहिका है, जो बाएं लोअर चैंबर से निकल कर शरीर के बाकी हिस्सों में जाती है। अगर सामान्य प्रवाह में व्यवधान पड़ जाए, तो हृदय प्रभावी तरीके से पंप नहीं कर पाता। गंभीर एओर्टिक स्टेनोसिस यानी एएस में एओर्टिक वाल्व ठीक से खुल नहीं पाते।

कार्डियोलॉजिस्ट डा. प्रवीण चंद्रा कहते हैं कि गंभीर एओर्टिक स्टेनोसिस की स्थिति में आप के हृदय को शरीर में रक्त पहुंचाने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है। समय के साथ इस वजह से दिल कमजोर हो जाता है। यह पूरे शरीर को प्रभावित करता है और इस वजह से सामान्य गतिविधियां करने में दिक्कत होती है। जटिल एएस बहुत गंभीर समस्या है। अगर इस का इलाज न किया जाए तो इस से जिंदगी को खतरा हो सकता है। यह हार्ट फेल्योर व अचानक मृत्यु का कारण बन सकता है।

लक्षण पहचानें- एओर्टिक स्टेनोसिस के कई मामलों में लक्षण तब तक नजर नहीं आते, जब तक रक्त का प्रवाह तेजी से गिरने नहीं लगता। इसलिए यह बीमारी काफी खतरनाक है। हालांकि यह बेहतर रहता है कि बुजुर्गों में सामने आने वाले विशिष्ट लक्षणों पर खासतौर से नजर रखनी चाहिए। ये लक्षण छाती में दर्द, दबाव या जकड़न, सांस लेने में तकलीफ, बेहोशी, कार्य करने का स्तर गिरना, घबराहट या भारीपन महसूस होना और तेज या धीमी दिल की धड़कन होना है। बुजुर्ग लोगों को एओर्टिक स्टेनोसिस का बहुत रिस्क रहता है क्योंकि इस का काफी समय तक शुरुआती लक्षण नहीं दिखता है। जब तक लक्षण जैसे कि छाती में दर्द या तकलीफ, बेहोशी या सांस लेने में तकलीफ विकसित होने लगते हैं, तब तक मरीज की जीने की उम्र सीमित हो जाती है। ऐसी स्थिति में इस का इलाज सिर्फ  वाल्व का रिप्लेसमेंट करना ही बचता है।

एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट

टीएवीआर से उन एओर्टिक स्टेनोसिस रोगियों को बहुत लाभ मिलेगा, जिन्हें ओपन हार्ट सर्जरी करने के लिए अनफिट माना गया है। इस उपचार की सलाह उन मरीजों को दी जाती है, जिन का आपरेशन रिस्क भरा होता है। इस से उन के जीने और कार्य क्षमता में बहुत सुधार होता है। गंभीर एओर्टिक स्टेनोसिस में जान जाने का खतरा रहता है और अधिकतर मामलों में सर्जरी की ही जरूरत पड़ती है। कुछ सालों तक इस बीमारी का इलाज ओपन हार्ट सर्जरी ही थी, लेकिन टीएवीआर के आने से अब काफी बदलाव हो रहे हैं। टीएवीआर मिनिमल इंवेसिव सर्जिकल रिप्लेसमेंट प्रक्रिया है, जो गंभीर रूप से पीडि़त एओर्टिक स्टेनोसिस रोगियों और ओपन हार्ट सर्जरी के लिए रिस्की माने जाने वाले रोगियों के लिए उपलब्ध है। इस के अलावा जो रोगी कई तरह की बीमारियों से घिरे हुए हैं, उन के लिए भी यह काफी प्रभावी और सुरक्षित प्रक्रिया है।

समय पर चैकअप जरूरी

गौरतलब है कि एएस की बीमारी आमतौर पर जब तक गंभीर रूप नहीं ले लेती, तब तक इस बीमारी के लक्षणों का पता नहीं चलता। इसलिए आपको नियमित चैकअप कराने की सलाह दी जाती है। उम्र बढ़ने के साथ एएस के मामले भी बढ़ते जाते हैं। इसलिए बुजुर्ग रोगियों के वाल्व फंक्शन टेस्ट के बारे में डाक्टर से पूछना चाहिए और गंभीर एओर्टिक स्टेनोसिस के इलाज की आधुनिक तकनीकों की जानकारी भी लेते रहना चाहिए। इस तरह समय रहते आप बचाव कर सकते हैं।


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