कानूनी बंदिशों से टूटने लगा गरीबों का ख्वाब

By: Apr 30th, 2017 12:15 am

आवास योजना खटाई में, शहरों और ग्रामीण इलाकों में मुफ्त जमीन के लिए फंसा एफसीए का पेंच

NEWSशिमला— हिमाचल प्रदेश सरकार की शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के गरीबों के लिए बनी मुफ्त जमीन देने की योजना खटाई में पड़ती जा रही है। लगभग दो साल से अधिक समय से प्रदेश में यह योजना चलाई जा रही है, मगर इसका रिजल्ट नहीं मिल पा रहा। शहरी क्षेत्रों व ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लगभग चार हजार से अधिक गरीबों ने इस योजना के तहत जमीन लेने के लिए आवेदन कर रखा है, लेकिन अभी तक मात्र 300 से 400 लोगों के लिए ही आवास सुविधा को जमीन की मंजूरी मिल सकी है। इस योजना के तहत राज्य सरकार गरीबों को आवास बनाने के लिए जमीन मुहैया करवाती है। बताया जाता है कि जमीन  के लिए अधिकांश वन क्षेत्र ही है और वहां पर दो से तीन बिस्वा जमीन दे पाना मुश्किल साबित हो रहा है। जमीन के लिए पहले एफसीए की मंजूरी केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से लेनी पड़ती है और वहां से मंजूरी मिल नहीं पा रही। ऐसे में प्रदेश सरकार की गरीबों को जमीन देने की योजना कमोवेश खटाई में पड़ चुकी है। सूत्रों के अनुसार चार हजार से अधिक लोगों ने आवेदन कर रखे हैं। शहरी क्षेत्रों में दो बिस्वा जमीन देने की योजना सरकार की है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में तीन बिस्वा जमीन इन गरीबों को दी जानी है। अभी तक 300 से 400 आवेदन ही मंजूर हो सके हैं और वे भी सरकारी जमीन के हैं। एफसीए में मंजूरी के लिए सरकार मामले केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को भेजती है, जहां से मंजूरी नहीं मिल पा रही। दूसरी ओर जिलाधीश इस संबंध में पटवारियों के स्तर पर रिपोर्ट मंगवा रहे हैं, ताकि पता चल सके कि आवेदक के पास अपनी कोई जमीन है या नहीं। क्योंकि इस मामले में कई तरह की पेचीदगियां  हैं, लिहाजा प्रक्रिया को गंभीरता से पूरा किया जा रहा है। पहले प्रक्रिया पूरी करने में समय लग रहा है और इसके बाद जिलाधीश तक मामला पहुंचता है। उसके बाद मामला एफसीए के पेंच में फंस रहा है।


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