कब तक शोषण झेले नारी

By: May 10th, 2017 12:05 am

(रमेश सर्राफ धमोरा)

भारत में नारी को देवी के रूप में देखा गया है। भारत में स्त्रियों की दशा सदैव एक जैसी नहीं रही अपितु समय एवं काल के साथ उसमें परिवर्तन आते गए। किसी युग में नारी को सम्मान दिया गया, तो कहीं उसका अपमान, उत्पीड़न, अत्याचार किया गया। भारत में आज भी सामाजिक ताना-बाना ऐसा है, जिसमें अधिकांश महिलाएं पिता या पति पर ही आर्थिक रूप से निर्भर रहती हैं तथा निर्णय लेने के लिए भी परिवार में पुरुषों पर निर्भर रहती हैं। महिलाओं को न तो घर के मामलों की निर्णय प्रक्रिया में शामिल किया जाता है और न ही बाहर के मामलों में। विवाह से पूर्व वे पिता व विवाह के बाद पति के अधीन रहते हुए जीवनयापन करती हैं। हालांकि देश के संविधान में महिलाओं को सदियों पुरानी दासता एवं गुलामी की जंजीरों से मुक्ति दिलाने के प्रावधान किए गए हैं। आज 21वीं सदी में भी नारी घरेलू हिंसा से मुक्त नहीं हो पाई हैं। घरेलू हिंसा की घटनाएं आदिकाल से लेकर आज तक घटित हो रही हैं। महिलाओं के बिना हम किसी समाज की कल्पना तक नहीं कर सकते। इसके बावजूद क्यों उन्हें इस तरह की प्रताड़ना से गुजरना पड़ता है। लिंगानुपात का घटना भी महिलाओं के लिए किसी अपराध से कम नहीं है। हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश समेत देश के कई प्रमुख राज्यों में लिंगानुपात बहुत बड़ी समस्या है। इससे हम और आप यही कल्पना कर सकते हैं कि एक दिन भारत में महिलाओं की दयनीय स्थिति हो जाएगी प्रधानमंत्री द्वारा चलाए गए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान इस समस्या से निपटने में कारगर सिद्ध हो सकती है और हम सबको इसका समर्थन भी करना चाहिए।

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