कौशल विकास केंद्रों में अफरा-तफरी

By: May 5th, 2017 12:05 am

शिलाई —  प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे कौशल प्रशिक्षण भत्ते के आधा दर्जन केंद्रों का गुरुवार को एजी कार्यालय शिमला की टीम ने औचक निरीक्षण किया, जिससे शिलाई में कार्यरत प्रशिक्षण केंद्रों में हड़कंप मच गया। निरीक्षण टीम उस समय सकते में आ गई जब उन्हें केंद्रों में प्रशिक्षण ले रहे एक भी छात्र मौका पर नहीं मिले। केंद्र के संचालकों से जब छात्रों के न आने की वजह पूछी गई तो उनके पास कोई जवाब नहीं था और कहा की बच्चे बिशु मेले में गए हैं, जबकि क्षेत्र के बिशु मेले 26 अप्रैल को संपन्न हो चुके हैं। टीम ने जब हाजिरी रजिस्टर चैक किए तो वह भी आधे-अधूरे मिले। पूरे दिन कौशल विकास केंद्रों में अफरा-तफरी का माहौल रहा। बताते चलें कि प्रदेश सरकार कौशल विकास भत्ते पर हर माह करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, लेकिन इस योजना की जमीनी हकीकत चौंकाने वाली है। गुरुवार को एजी कार्यालय शिमला की टीम ने निरिक्षण कर पाया कि रजिस्टर पर सैकड़ों दर्ज हैं, लेकिन मौका पर इक्का-दुक्का छात्र ही प्रशिक्षण लेते हुए मिला। हाजिरी रजिस्टर आधे-अधूरे, 150  मीटर के दायरे में आधा दर्जन से ज्यादा प्रशिक्षण केंद्र पाए गए। अधिकांश छात्रों के बैंक खाते बाहर के बैंकों में पाए गए। शिलाई केंद्रों के बैंक खाते संगड़ाह व पांवटा साहिब के बैंकों में पाए गए हैं। यही नहीं प्रशिक्षण ले रहे छात्रों के खाते ऑटो डेविड भी पाए गए जो कि गैर कानूनी है। उल्लेखनीय है कि जिला रोजगार कार्यालय के पत्र संख्या-5135 दिनांक छह जनवरी, 2013 में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि कोई भी केंद्र संचालक किसी भी प्रशिक्षु का खाता ऑटो डेविड नहीं करवा सकता है न ही पासबुक व एटीएम ले सकता है, लेकिन शिलाई में चल रहे केंद्र संचालकों ने प्रशिक्षण ले रहे छात्रों के बैंक खाते अपनी सुविधा हेतु संगड़ाह व पांवटा साहिब में खुलवाकर ऑटो डेविड करवाए हैं, जिससे साफ जाहिर होता है कि पर्दे के पीछे चल रहा यह सारा खेल चांदी कूटने के लिए किया जा रहा है और सरकार को हर माह करोड़ों का चूना लग रहा है।  उधर, एजी कार्यालय से निरिक्षण पर आए लेखा परीक्षा अधिकारी एमपी शर्मा व सुमित कुमार ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि अधिकांश केंद्रों में उन्हें छात्र नहीं मिले तथा छात्रों के खाते ऑटो डेविड पाए गए व अन्य बहुत सारी कमियां पाई गई हैं। सारी रिपोर्ट बनाकर सरकार को भेजी जाएगी। उन्होंने माना कि इन केंद्रों का निरीक्षण न होने कि वजह से भी कमियां सामने आ रही हैं। केंद्र संचालक अपने बचाव में एक दूसरे के केंद्र को फर्जी बताकर खूब सच्चाई उगल रहे थे, लेकिन माया के इस हमाम में सभी नंगे पाए गए। भले ही सच्चाई आने में कुछ समय लगे लेकिन सारा खेल विभाग व सरकार के नाकों तले चल रहा है।

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