बच्चे-महिला-बुजुर्ग को स्वाइन फ्लू

By: May 23rd, 2017 12:15 am

शिमला आईजीएमसी में तीन साल का मासूम, मंडी में भी दो हुए शिकार

newsशिमला  – हिमाचल में स्वाइन फ्लू के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे। अब छोटे बच्चे भी रोग की चपेट में आने लगे हैं। सोमवार को आईजीएमसी में एक और शिशु की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है, जबकि रविवार को भी आईजीएमसी में तीन बच्चों के टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। आईजीएमसी के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डा. रमेश चंद ने कहा कि सोमवार को आईजीएमसी में चार लोगों के टेस्ट किए गए थे, जिसमें तीन साल के बच्चे की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। बच्चा उपनगर संजौली का रहने वाला है। आए दिन स्वाइन फ्लू के मामले सामने आने से लोगों में भय का माहौल है। प्रदेश में अब तक स्वाइन फ्लू के 82 टेस्ट किए जा चुके हैं, जबकि रोग से ग्रसित मरीजों का आंकड़ा 20 तक पहुंच गया है। आईजीएमसी शिमला में स्वाइन फ्लू से पीडि़त लोगों का आंकड़ा 10 तक पहुंच गया है।

मंडी – जिला मंडी में स्वाइन फ्लू के दो मामले सामने आए हैं। इस बार मंडी में पहले मामले में एच1-एन1 की शिकार महिला हुई है, जबकि दूसरे में एक बुजुर्ग में स्वाइन फ्लू के लक्षण मिले हैं। इन दोनों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि स्वास्थ्य विभाग मंडी की लैब में हुई है। इनमें से दोनों की पहले से एक एक अन्य बीमारी से भी पीडि़त होने की बात सामने आई है, लेकिन चिकित्सकों द्वारा स्वाइन फ्लू की जांच की गई तो दोनों इसके लक्षण भी पॉजिटिव आए हैं। दोनों कुछ दिन पहले मनाली भी जाकर आए हैं। स्वाइन फ्लू की शिकार महिला को घर में आइसोलेट कर दिया गया है, जबकि दूसरे मरीज को मंडी अस्पताल के आइसोलेट वार्ड में रखा गया है। महिला मरीज के सदस्यों को दवाइयां भी दी जा रही हैं। हालांकि महिला के घर में किसी अन्य में स्वाइन फ्लू के लक्षण नहीं पाए गए हैं, वहीं महिला के आसपास पड़ोस में भी लोगों को इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग ने जागरूक किया है। दोनों मरीजों की हालात में सुधार भी बताया जा रहा है। हालांकि इन दोनों मामलों के सामने आने से पहले ही जिला स्वास्थ्य विभाग मंडी ने मोर्चा संभाल लिया था। जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. देशराज ने बताया कि घबराने की कोई बात नहीं है। एच1-एन1 वायरस में भी सामान्य सर्दी जुकाम होता है। ऐसे में पहले ही एहतियात बरते जाएं तो कोई चिंता की बात नहीं है।

पहली स्टेज में ही खा लें पैरासिटामोल

स्वाइन फ्लू की तीन स्टेज होती हैं। ऐसे में पहली स्टेज में मामूली सी सर्दी जुकाम होता है। इसी स्टेज में पैरासिटामोल ही फ्लू को खत्म कर देती है। इसके बाद बी और सी स्टेज में बुखार काफी बढ़ जाता है। बखुरा 104 से 105 तक भी पहुंच सकता है। फिर पीडि़त को आइसोलेशन वार्ड में रखना पड़ता है और इलाज कड़ी निगरानी में किया जाता है।

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