ड्रग्स से डरावना सोशल मीडिया

By: Jun 14th, 2017 12:05 am

newsएडिक्शन यानी लत। यह शब्द सुनते ही शराब और ड्रग्स ध्यान में आते हैं, लेकिन पिछले 20 सालों में एक नई तरह की लत उबरकर आई है। यह लत शराब या तंबाकू की तरह शारीरिक नुकसान तो नहीं पहुंचाती, लेकिन हमारी भावनाओं, व्यवहार और संबंधों पर लंबे समय तक बने रहने वाला नकारात्मक असर डाल सकती है। यह लत है सोशल मीडिया की लत। दि कन्वर्सेशन की रिपोर्ट के अनुसार, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जन्मे लोग, खासतौर पर युवा, शराब और ड्रग्स की चपेट में थे तो 1984 और 2005 के बीच जन्मी पीढ़ी (जिसे मिलेनीअल जनरेशन कहा जाता है) बुरी तरह सोशल मीडिया की चपेट में है। डिजिटल ऐज में पैदा हुई इस पीढ़ी ने अपने मनोरंजन और दूसरों से संपर्क बनाए रखने के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया। इनके लिए सोशल मीडिया जिंदगी का बहुत बड़ा सहारा है। यूं तो सभी आयुवर्ग के लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन युवा पीढ़ी को इससे ज्यादा नुकसान हो रहा है। सोशल मीडिया का बुरा असर लीवर या किडनी फेल नहीं करता, लेकिन मरीज का व्यवहार पूरी तरह बदल देता है। दरअसल, सोशल मीडिया की लत लगने के बाद व्यक्ति को इससे बाहर कुछ भी अच्छा नहीं लगता है। वह यहीं ज्यादा से ज्यादा वक्त गुजारने की कोशिश करता है। दूसरे लोगों और कामों को वह पूरी तरह भूल जाता है। सोशल मीडिया का दूसरा बड़ा असर मरीज की नींद पर पड़ता है। ज्यादा से ज्यादा वक्त स्क्रीन पर गुजारने के चलते उसका दिमाग सो नहीं पता है। डिप्रेशन और एकाकीपन भी सोशल मीडिया की बीमारियां हैं। ऐसे लोग आसानी से ऑनलाइन शोषण का शिकार हो सकते हैं। इन्हें यह लगने लगता है कि यदि उनके साथ कुछ गलत हुआ है तो ऑनलाइन कम्युनिटी मदद करेगी, जबकि ऐसा होता नहीं है, क्योंकि वहां अधिकांश अनजान लोग होते हैं।

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