अब दरकती पहाडि़यों से बचाएंगी आईआईटी की मशीनें

By: Jul 18th, 2017 12:15 am

हणोगी माता मंदिर के आसपास मंडी संस्थान के प्रोजेक्ट में बजेगा अलार्म, पौणाहारी के पहाड़ की ग्रेटिंग करेगा रुड़की संस्थान

newsमंडी – चंडीगढ़-मनाली एनएच-21 पर लगातार दरकती हणोगी की पहाडि़यां अब अनहोनी से पहले ही लोगों को आगाह कर देंगी। भले ही सालों से चली आ रही हणोगी की समस्या से निजात नहीं मिल पाई हो, लेकिन अब आईआईटी मंडी का प्रोजेक्ट लैंडस्लाइड मॉनिटरिंग सिस्टम बड़ी अनहोनी टाल सकता है। आईआईटी मंडी इस तकनीक को हणोगी माता मंदिर की आसपास की पहाडि़यों पर लगाने की तैयारी कर रही है। इसमें पहाड़ी पर कसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा (भू-स्खलन, भूकंप) से पहले ही अलार्म बज जाएगा, ताकि लोग सचेत होकर इलाका खाली कर सकें। प्रयोग सफल रहता है तो इसे पूरे राष्ट्र में उपयोग में लाया जाएगा। खास बात यह है कि प्रारंभिक तौर पर टेस्टिंगके बाद यह प्रोजेक्ट सफल रहा है और इसे फिलहाल आईआईटी कमांद की आसपास की पहाडि़यों पर भी लगा दिया गया है। स्टेट काउंसिल फार साइंस टेक्नोलॉजी एंड एन्वायरनमेंट हिमाचल प्रदेश द्वारा आईआईटी मंडी को उक्त प्रोजेक्ट दिया गया है। इस पर आईआईटी मंडी, रक्षा भू-भाग अनुसंधान प्रयोगशाला, रक्षा एवं विकास संगठन दिल्ली संयुक्त रूप से काफी अरसे से कार्य कर रहा है। हिमाचल की ओर से इस प्रोजेक्ट पर छह लाख रुपए का फंड दिया गया था। प्रोजेक्ट पर आईआईटी मंडी के कम्प्यूटर साइंस प्रोफेसर व प्रोजेक्ट प्रभारी डा. वरुण दत्त, सहायक प्रोफेसर और भौगोलिक विशेषज्ञ डा. उदय वी काला, डीआरडीओ दिल्ली से डा. प्रतीक चतुर्वेदी, इंडियन रेड क्रॉस सोसायटी के संयुक्त सचिव डा. वीर भूषण भी सहयोग प्रदान कर रहे हैं। आईआईटी मंडी के लैंडस्लाइड मॉनिटरिंग सिस्टम को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन भी सराह चुका है। इसमें आगे बड़े स्तर पर कार्य करने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अथारिटी भी आर्थिक सहायता प्रदान करेगी। प्रदेश द्वारा दिए गए करीब छह लाख के बजट से यह तकनीक डिवेलप की गई है। हालांकि इसे पहाडि़यों में स्थापित करने के लिए ज्यादा बजट की जरूरत है।

newsहमीरपुर – बाबा बालकनाथ दियोटसिद्ध मंदिर की दरकती पहाड़ी की ग्रेटिंग आईआईटी रुड़की करेगी। मंदिर न्यास ने हादसे रोकने के लिए खिसक रहे पहाड़ की ग्रेटिंग का प्रस्ताव पारित किया है। इसके चलते सतलुज जल विद्युत निगम (एसजेवीएन) को ग्रेटिंग के सर्वे का जिम्मा सौंपा गया था। एसजेवीएन ने मंदिर के साथ लगती पहाड़ी के एक छोटे से हिस्से की ग्रेटिंग के लिए 60 लाख का एस्टीमेट मंदिर न्यास को सौंपा था। इस आधार पर पूरी पहाड़ी की ग्रेटिंग का खर्चा करोड़ों में पहुंचने का अनुमान है। लिहाजा मंदिर न्यास ने अब ग्रेटिंग का जिम्मा आईआईटी रुड़की को सौंपने का फैसला लिया है। मंडी-कुल्लू मार्ग पर स्थित हणोगी मंदिर पर गिरी चट्टानों के बाद अब दूसरे न्यास भी सतर्क हो गए हैं। मंदिर न्यास बाबा बालकनाथ के लिए दियोटसिद्ध की दरकती पहाड़ी सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। मंदिर की पहाड़ी से पत्थर खिसककर नीचे आने लगे हैं। बंदरों की सैरगाह बनी यह पहाड़ी बाबा बालकनाथ मंदिर के लिए बड़ा खतरा बन रही है। इसके चलते मंदिर में पत्थर के गिरने से हादसे भी हो चुके हैं। बेतरतीब निर्माण तथा अंदर ही अंदर खोखली होती पहाड़ी से अब खतरा लगातार बढ़ने लगा है। सूचना के अनुसार मंदिर न्यास ने एसजेवीएन से सहयोग के रूप में ग्रेटिंग करने का प्रस्ताव दिया था। फिलहाल एसजेवीएन ने बिना पैसों के निर्माण कार्य पर हामी नहीं भरी है। इसके चलते मंदिर न्यास अब आईआईटी रुड़की से संपर्क कर रहा है।

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