सुनी सुनाई
विस चुनावों के लिए भले ही किसी पार्टी ने अभी तक पत्ते नहीं खोले हों, लेकिन क्षेत्र में चुनावों को आहट ने जहां दावेदारी जताने वालों की धुकधुकी बढ़ा दी है, वहीं सियासी चाटुकार भी पूरी तरह सक्रिय हो गए हैं। एक दल विशेष में अंदरखाते तैयार उम्मीदवारों की लंबी-चौड़ी फौज जहां अपने स्तर पर गोटियां फिट करने में लगा है, वहीं एक तबका ऐसा भी सामने आया है, जो खुलकर अपने चहेते दावेदार को खुश करने निकल पड़ा है। सर इसा बारी तां तुसां दी टिकट पक्की है, तुसां कयो टेंशन लेइयो। तुसां जो दरकिनार करी पार्टिया जाना कुथु जो है। टिकट के दावेदारों में ऐसी हवा भरी जा रही है मानों टिकट का निर्धारण यही करेंगे। अपने शुभ चिंतकों के मुंह से निकल रहे ऐसे जुमलों से कई नेता टाइप लोग फूले नहीं समा रहे। इतना ही नहीं, कई लोग तो मजा लेने के लिए छुटपुट कार्यकर्ताओं को भी ऐसे सब्जबाग दिखा कर उकसाने में लगे हैं, जो कभी वार्ड पंच का चुनाव भी नहीं जीत पाए हैं। हैरत की बात तो यह है कि यही लोग एक ही रटा रटाया जुमला एक से अधिक दावेदारों पर भी बेझिझक चेप दे रहे हैं, जिससे वह कार्यकर्ता भी आत्ममंथन करने को मजबूर हो रहा है, जिसने अभी इस बाबत सोचा ही नहीं था। कुल मिला कर चुनावी मौसम में नुक्कड़ चर्चाओं का बाजार धीरे-धीरे गर्म होना शुरू हो गया है, जबकि हकीकत यह भी है कि हाइकमान से मिले कठोर निर्देशों के चलते कोई भी दावेदार सार्वजनिक रूप से अपनी पैरवी की हिम्मत नहीं दिखा पा रहा है।
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