फर्जी बाबाओं की बाढ़

By: Oct 24th, 2017 12:05 am

( किशन सिंह गतवाल, सतौन, सिरमौर )

एक समय था, जब बड़े-बड़े संत, महात्माओं ने समाज में सुधार का बीड़ा उठाया था। तब ये सामाजिक बुराइयों को दूर करने की जिम्मेदारी को बखूबी निभाते थे, भूले-भटकों को राह दिखाते थे। भ्रमित लोगों को सही राह दिखाते और उनकी आध्यात्मिक ज्ञान की पिपासा शांत करते थे। वक्त के साथ समाज ने करवट बदली और कुछ नाकारा लोग संत और उपदेशक बनने लगे। ऐसे पाखंडी लोगों की नजर धन और सत्ता पर ज्यादा रहती है। चारों तरफ इन फर्जी संतों की बाढ़ सी आ गई है। पहले संत त्याग, तपस्या और करुणा के मूर्ति थे। आजकल के तथाकथित संत किलानुमा शानदार भवनों में निवास करते हैं और सच्ची भक्ति से कोसों दूर रहते हैं। ये सभी प्रकार की आधुनिक सुख-सुविधाओं पर नजर जमाए हैं। कइयों ने अपनी सुरक्षा व शासन-व्यवस्था तक कायम कर रखी है। प्राचीन और आधुनिक संतों के जीवन की तुलनात्मक समीक्षा की जाए, तो जमीन-आसमान का अंतर नजर आता है। देशवासियों के भले ही अच्छे दिन न आएं, पर कलियुगी संतों के दिन फिर आए हैं। ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि सच्चे संतों की भी कठिन परीक्षा और प्रशिक्षण होना चाहिए, ताकि पात्र लोग ही समाज का उत्थान कर सही मार्ग पर चलाएं और कोई भी गुरमीत जन भावनाओं से खिलवाड़ न कर सके। आखिर देश के हर आस्थावान नागरिक की सुरक्षा भी जरूरी है।

 


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