लाभ की खेती ही चुनें

By: Oct 26th, 2017 12:02 am

(राजेश कुमार चौहान, सुजानपुर टीहरा )

‘किसान के आर्थिक पक्ष को मजबूत बनाइए’ लेख में कुलभूषण उपमन्यु ने किसानों की आय बढ़ाने पर बल दिया है। महात्मा गांधी ने भी किसानों को भारत की आत्मा कहा था। इसके बावजूद किसानों की समस्याओं पर ओछी राजनीति करने वाले ज्यादा और उनकी समस्याओं की तरफ ध्यान देने वाले कम हैं। हिमाचल एक कृषि प्रधान राज्य है, लेकिन यहां भी हरेक पार्टी का कृषि के विकास के प्रति ढुलमुल रवैया ही रहा है। इस कारण हिमाचल के लोगों की भी कृषि के प्रति रुचि कम हो रही है। भावी पीढ़ी तो थोड़ा-बहुत पढ़-लिख जाने के बाद खेतीबाड़ी करना तो अपनी शान के खिलाफ समझती है। पहाड़ में अधिकतर कृषि आज भी बारिश के पानी पर ही निर्भर है। जब बारिश कम होती है, तो सारी फसल सूखे की भेंट चढ़ जाती है। किसानों के आर्थिक पक्ष को मजबूत करने के लिए उन्हें जागरूक करना चाहिए कि वे अपनी हैसियत से ज्यादा सरकारों के भरोसे कर्ज न लें। इसके साथ ही जिन फसलों, फलों या सब्जियों की बाजार में ज्यादा मांग है, उनकी खेती को ही अपनाएं। अंत में यह भी कहना उचित है कि किसानों की खराब हालत के लिए कहीं न कहीं व्यवस्था में पसरा भ्रष्टाचार भी जिम्मेदार है। तभी तो जरूरतमंद किसानों को सरकारी योजनाओं का उचित लाभ नहीं मिलता है। सरकारों को इस तरफ भी गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। सत्ताधारियों को भी चाहिए कि वे किसानों की समस्याओं पर ओछी राजनीति करना बंद करके उनकी समस्याओं की तरफ गंभीरता से ध्यान दें, ताकि कृषि प्रधान देश भारत की साख पर कोई आंच न आए। सबकी भूख मिटाने वाला किसान किसी समस्या से न जूझे।


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