मछुआरों को क्लोज सीजन का भत्ता नहीं

By: Mar 23rd, 2018 12:02 am

बिलासपुर— हर साल क्लोज सीजन के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से मिलने वाली दो करोड़ की बंद सीजन राहत राशि अभी तक मछुआरों को नहीं मिल पाई है। राज्य व केंद्र सरकारों की संयुक्त हिस्सेदारी के तहत यह राशि मिलती है, लेकिन अभी भी इस राशि के जारी न होने से मछुआरों के समक्ष आर्थिक संकट पैदा हो गया है। दूसरी ओर, गोविंदसागर जलाशय में चार साल में मछली का उत्पादन घटकर आधा रह गया है। गोविंदसागर में मत्स्य सहकारी सभाओं के माध्यम से मछली पकड़कर रोजी-रोटी कमा रहे हजारों मछुआरों के प्रति बेरुखी को लेकर केंद्र व प्रदेश सरकार की खिलाफत भी शुरू हो गई है। गुरुवार को पूर्व विधायक एवं राज्य सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष केके कौशल ने बताया कि हर साल केंद्र से दो करोड़ की राशि मछुआरों को बंद सीजन राहत भत्ते के रूप में मिलती है, लेकिन इस बार यह राशि उन्हें नहीं मिल पाई है। उन्होंने कहा कि गोविंदसागर में 39 मत्स्य सहकारी सभाओं के माध्यम से मछली पकड़ने का काम हो रहा है। इन सभाओं के 3903 शेयर होल्डर, जबकि 2413 लाइसेंस होल्डर हैं। ये सभी लोग भाखड़ा विस्थापित भी हैं। कोलडैम में विद्युत उत्पादन से एनटीपीसी सालाना अरबों रुपए कमा रही है। इसलिए उन्होंने मांग की है कि एनटीपीसी और प्रदेश सरकार मछुआरों को राहत प्रदान करे।

झील में मछली के ब्रीडिंग ग्राउंड तबाह

पूर्व विधायक एवं राज्य सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष केके कौशल के अनुसार कोलडैम बनने के बाद गोविंदसागर में मत्स्य उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। कोलडैम से पानी छोड़े जाने पर तेज बहाव की वजह से मछलियों के ब्रीडिंग ग्राउंड तबाह हो गए हैं। इतना ही नहीं, बहाव की वजह से मछुआरों द्वारा जलाशय में डाले जाने वाले जाल भी बह जाते हैं। मत्स्य विभाग के आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो वर्ष 2013-14 में गोविंदसागर में 1492 मीट्रिक टन मत्स्य उत्पादन हुआ था। उसके बाद 2014-15 में यह घटकर 1061, 2015-16 में 858.8 तथा 2016-17 में महज 753 मीट्रिक टन रह गया। मत्स्य विभाग करोड़ों रुपए के मछली बीज झील में डालता है। इसके बावजूद प्रोडक्शन नहीं बढ़ रही।


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