जीएसटी ने कंगाल किया हिमाचल

By: Apr 30th, 2018 12:08 am

नई कर प्रणाली से प्रदेश का राजस्व 47 प्रतिशत तक घटा, केंद्र ने अलर्ट की जयराम सरकार

शिमला – पहली जुलाई को आई जीएसटी की सुनामी ने हिमाचल प्रदेश को कंगाली की राह पर लाकर खड़ा कर दिया है। इस नई कर प्रणाली से राज्य के राजस्व में हैरतअंगेज 47 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है। प्रदेश की माली हालत पटरी से उतरने की पूरी संभावना बनी हुई है। इसके चलते केंद्र सरकार ने पत्र लिखकर जयराम सरकार को अलर्ट कर दिया है। केंद्र को हिमाचल के साथ अपनी केंद्रीय हिस्सेदारी कम होने की चिंता है। इस कारण केंद्रीय राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने हिमाचल सरकार से यह मामला प्रमुखता से उठाया है। अपने पत्र में राजस्व सचिव ने कहा है कि हिमाचल सरकार को जीएसटी प्रणाली प्रभावी रूप से लागू करनी होगी। जीएसटी टैक्स में राज्य और केंद्र दोनों की हिस्सेदारी है। लिहाजा इस नई कर प्रणाली में फिसड्डी साबित हो रहे हिमाचल से केंद्रीय हिस्सा भी प्रभावित होगा। इसके अलावा अगले तीन साल बाद हिमाचल सरकार को अपने संसाधनों से जीएसटी जुटाकर व्यवस्था का निर्वहन करना पड़ेगा। केंद्र सरकार की इस चिट्ठी के बाद हिमाचल सरकार हरकत में आ गई है। उधर, आबकारी एवं कराधान विभाग के प्रधान सचिव जगदीश शर्मा ने केंद्रीय आदेशों पर तुरंत कार्रवाई करते हुए वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से जीएसटी की समीक्षा की है। वहीं दूसरी ओर विभाग के आयुक्त देवेश कुमार ने जिला के अधिकारियों एटीसी तथा ईटीओ से जीएसटी पर रिपोर्ट तलब की है। विभागीय सचिव ने तमाम अड़चनों के समाधान का भरोसा देते हुए अफसरों को जीएसटी को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए कहा है।

तीन साल बाद मुश्किलें हो जाएंगी अपार

केंद्र सरकार ने जीएसटी लागू होने के बाद अगले चार साल तक टैक्स प्राप्ति के अंतर की भरपाई का आश्वासन दिया है। लिहाजा पहली जुलाई, 2017 को लागू इस कर प्रणाली के घाटे की भरपाई वर्ष, 2021 तक ही होगी।

वसूली में प्रदेश सबसे पीछे

जीएसटी प्रणाली के बाद कर वसूली में हिमाचल सबसे फिसड्डी राज्य साबित हुआ है। इस फेहरिस्त में तेलंगाना की भूमिका सराहनीय रही है। जीएसटी वसूली में तेलंगाना ने वैट के मुकाबले बेहतर राजस्व प्राप्त कर अपनी आर्थिकी मजबूत की है।

248 करोड़ रह गया टैक्स

हिमाचल सरकार को जीएसटी की नई कर प्रणाली से 248 करोड़ का टैक्स प्रतिमाह मिल रहा है। इससे पहले वैट के माध्यम से हर महीने सरकारी खजाने में 359 करोड़ आ रहे थे। इससे 4300 करोड़ का सालाना राजस्व घटकर 2179 करोड़ रह जाएगा।

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