शिक्षा की गुणवत्ता

By: Apr 30th, 2018 12:05 am

लक्की, रोहड़ू, शिमला

शिक्षा के क्षेत्र में आज भारत दिन-दोगुनी रात-चौगुनी उन्नति कर रहा है। विद्यालयों में बीते दिन आ रहे परीक्षा परिणामों में सुधार हो रहा है। यह राष्ट्र के लिए एक अच्छी खबर है, क्योंकि आज का विद्यार्थी कल का राष्ट्र निर्माता बनेगा। यह तभी   संभव है, अगर समय के साथ अच्छी गुणवत्ता   की शिक्षा प्रदान की जाए। जहां शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं, वहीं शिक्षा के नाम पर व्यापार भी हो रहा है, जिससे गरीब परिवार का विद्यार्थी फीस जुटा पाने में असमर्थ हो जाता है। आजकल निजी स्कूलों का प्रचलन अधिक हो रहा है। प्रत्येक अभिभावक अपने बच्चे को निजी स्कूल में दाखिला दे रहा है, इसका मुख्य कारण है सरकारी स्कूलों में शिक्षा प्रदान करने के लिए आधुनिक तकनीकों का अभाव, और गिरती शिक्षा की गुणवत्ता। सरकारी स्कूल चिंता का विषय बने हुए हैं। ऐसे में इसके लिए सरकार को शीघ्र उचित कदम उठाने होंगे। शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश सरकार ने विद्यार्थियों की वर्दी में जो परिवर्तन किया है, यह एक सफल प्रयास हो सकता है, ताकि निजी स्कूलों की अपेक्षा सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या में वृद्धि हो। एक गरीब परिवार का विधार्थी भी समय के साथ उच्च शिक्षा प्राप्त सके, इसके लिए सरकार को सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए शिक्षकों की कमी को दूर करना चाहिए। शिक्षकों को भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए बच्चों को पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ पढ़ाना चाहिए। शिक्षकों की कमी ही सरकारी स्कूलों में बच्चों की कमी का मुख्य कारण बना हुआ है। दूसरी ओर प्रदेश सरकार सेमेस्टर प्रणाली को खत्म करने के लिए जो प्रयास कर रही है, यह भी शिक्षा को प्रभावशाली बनाने में कारगर सिद्ध हो सकता है, क्योंकि एक छात्र को पढ़ने के अलावा कई अन्य औपचारिकताएं पूरी करने के लिए बैंकों के चक्कर काटने पड़ते हैं, जिससे उनका कीमती समय नष्ट होता है। सरकार को शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाना होगा, ताकि भारत के प्रत्येक नागरिक का चहुंमुखी विकास हो सके और एक शिक्षित राष्ट्र का निर्माण हो। तभी हमारा देश एक युवा और समृद्ध देश बन सकता है।

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