नॉन पेंशनर की सेहत में इन्कम का पेंच
स्वास्थ्य लाभ को 35 हजार रुपए वार्षिक आयसीमा तय होने से नहीं मिल रही सुविधा
हमीरपुर— हिमाचल प्रदेश के नॉन ईसीएचएस, नॉन पेंशनर व उनकी विधवाओं के स्वास्थ्य लाभ में इन्कम का पेंच सबसे बड़ी बाधा बन गया है। केंद्रीय सैनिक बोर्ड द्वारा तय 35 हजार रुपए इन्कम के दायरे ने उन्हें योजना के लाभ से वंचित कर दिया है। यही कारण है कि चाहकर भी नॉन पेंशनर इस योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। किसी भी बीमारी में इनके लिए राज्य सैनिक बोर्ड 25 हजार तथा केंद्रीय सैनिक बोर्ड एक लाख 25 हजार तक की राशि इलाज के लिए प्रदान करता है। वर्तमान में हिमाचल में कई नॉन पेंशनर या उनकी विधवाएं हैं, जिन्हें योजना के तहत लाभ नहीं मिल पा रहा है। वर्तमान में 35 हजार रुपए वार्षिक आय होना आम बात है। जब इन्कम का यह दायरा तय किया गया था, उस समय कई नॉन पेंशनर्ज को योजना का लाभ मिला। इसके बाद आय सीमा में किसी प्रकार का संशोधन न होने पर नॉन पेंशनरों की दिक्कतें बढ़ गई हैं। गौर हो कि हिमाचल के नॉन पेंशनर जिनके उपचार का खर्च 25 हजार तक आता है, उन्हें राज्य सैनिक बोर्ड ही यह राशि प्रदान कर देता है। इससे अधिक खर्च होने पर इनका केस केंद्रीय सैनिक बोर्ड को भेजा जाता है। इलाज पर हुए खर्च के रुपए केंद्रीय सैनिक बोर्ड देता है। एक लाख 25 हजार तक का स्वास्थ्य लाभ उन्हें केंद्रीय सैनिक बोर्ड द्वारा प्रदान किया जाता है।
कौन हैं नॉन पेंशनर
आजादी के बाद आपात स्थिति में सरकार ने सेना में भर्ती की। युद्ध के दौरान अपनी सेवाएं देने वाले लोगों को बाद में घर भेज दिया गया। उन्हें नॉन पेंशनर की संज्ञा दी गई है। उन्हें किसी प्रकार की पेंशन नहीं मिलती। बाद में सरकार ने उनके लिए योजना तैयार की। इसमें तय किया गया कि नॉन पेंशनर व उनकी विधवाओं को स्वास्थ्य लाभ के लिए केंद्र सरकार एक लाख 25 हजार तक की मदद करेगी। प्रदेश रकार ने भी इनकी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए 25 हजार रुपए देने की बात कही।
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