खेल परिषद की बैठक से उपजी संभावनाएं

By: Aug 10th, 2018 12:05 am

भूपिंदर सिंह

लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं

सरकार को भी चाहिए कि वह खेलों के लिए विश्वविद्यालय को अलग से अनुदान जारी करे, क्योंकि प्रदेश के लगभग 95 प्रतिशत युवा खिलाड़ी महाविद्यालय तथा विश्वविद्यालय से ही होते हैं। इस वर्ष साहसिक खेलों के लिए भी थोड़ा सा बजट में परिषद ने प्रावधान किया है…

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय परिषद शिमला के समर हिल में विश्वविद्यालय खेल परिषद की वार्षिक बैठक में जहां सत्र 2018-19 के लिए अंतर महाविद्यालय खेलों तथा यूथ फेस्टिवल का कैलेंडर घोषित हुआ, वहीं पर कई खेल सुविधाओं को बढ़ाने तथा कठिनाइयों को दूर करने पर भी सार्थक चर्चा हुई। प्रदेश विश्वविद्यालय खेल परिषद का गठन विश्वविद्यालय से संबद्धता प्राप्त सभी महाविद्यालयों के प्राचार्यों तथा शारीरिक शिक्षा के प्राध्यापकों में से हर वर्ष चुनाव द्वारा होता है। इस वर्ष अध्यक्ष पद पर शिमला जिला के राजकीय महाविद्यालय सीमा के प्राचार्या डा. प्रमोद चौहान का चयन हुआ है और उपाध्यक्ष पद पर शारीरिक शिक्षा के प्राध्यापक गोपाल देष्टा को चुना गया है। इसी बैठक में सत्र 2017-18 के अंतर विश्वविद्यालय खेलों में हैंडबाल, वालीबाल, कबड्डी, मुक्केबाजी, ताइक्वांडो तथा याचिंग में विजेता खिलाडि़यों को नकद इनाम तथा बलेजर आदि देकर सम्मानित किया गया है, साथ ही  इन खिलाडि़यों व टीमों के प्रशिक्षकों तथा प्रबंधकों को भी सम्मानित किया गया है। अगले वर्ष से अंतर विश्वविद्यालय खेलों के विजेता खिलाडि़यों की माताओं को भी सम्मानित करने का प्रस्ताव पास किया गया।

पिछले सत्र के अंतर महाविद्यालय खेलों में ऑलओवर ट्रॉफी से पुरुष वर्ग में राजकीय महाविद्यालय ऊना तथा महिला वर्ग राजकीय महाविद्यालय धर्मशाला को नवाजा गया है। यह ट्रॉफी सबसे अधिक खेलों में विजेता तथा उपविजेता ट्रॉफियां जीतने वाले महाविद्यालय को मिलती हैं। इस वर्ष पहली बार बैठक में राज्य के खेल मंत्री गोबिंद ठाकुर ने भी शिरकत की, नई बन रही खेल नीति में प्रदेश के महाविद्यालय तथा विद्यालयों के प्रशासन व शारीरिक शिक्षकों की भी चर्चा हो, इसके लिए भी खेल मंत्री ने आश्वासन दिया है। प्रदेश के लाखों विद्यार्थी राज्य के शिक्षा संस्थानों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि नई बन रही खेल नीति में किशोर तथा युवा खिलाडि़यों की सुविधा व कठिनाइयों को ध्यान में रखकर नई खेल नीति बने। प्रदेश विश्वविद्यालय को खेल बजट के लिए 35 लाख रुपए रखे हैं, मगर यह राशि अंतर विश्वविद्यालय खेलों में टीमों को भेजने तथा पूर्व प्रतियोगिता प्रशिक्षण शिविर लगाने के लिए कम पड़ रही है। इस राशि को भी 50 लाख तक करने की मांग बैठक में की गई। विश्वविद्यालय को हर महाविद्यालय अपने यहां से हर वर्ष प्रति विद्यार्थी की दर से खेल व अन्य गतिविधियों के लिए शुल्क भेजता है, मगर वह पूरा खेल परिषद को नहीं मिलता है।

सरकार को भी चाहिए कि वह खेलों के लिए विश्वविद्यालय को अलग से अनुदान जारी करे, क्योंकि प्रदेश के लगभग 95 प्रतिशत युवा खिलाड़ी महाविद्यालय तथा विश्वविद्यालय से ही होते हैं। इस वर्ष साहसिक खेलों के लिए भी थोड़ा सा बजट में परिषद ने प्रावधान किया। इससे राजकीय महविद्यालय पांगी के द्वारा ट्रैकिंग का आयोजन कुछ चुनिंदा विद्यार्थियों के लिए किया गया है। इस समय अंतर महाविद्यालय खेलों में दैनिक भत्ता 120 रुपए है तथा अंतर महाविद्यालय में यह राशि 200 रुपए प्रतिदिन है। आज के इस महंगाई के दौर में यह राशि तीन समय का खाना व खुराक खाने के लिए बहुत ही कम है। इसको भी बढ़ाने का प्रस्ताव पास हुआ है। अंतर महाविद्यालय खेलों में 200 रुपए तथा अंतर विश्वविद्यालय खेलों में यह भत्ता 500 रुपए करने की वकालत की है। अंतर विश्वविद्यालय खेलों के लिए जब खिलाड़ी ट्रेन में दो-तीन दिन की लंबी यात्रा करते हैं, तो उस समय धन की कमी के कारण तो कई खिलाड़ी खाना खाने से भी वंचित रहते हैं। इसलिए  यात्रा के समय दैनिक भत्ता और अधिक होना चाहिए। समर कोचिंग कैंप लगे वर्षों बीत गए हैं। तीन दशक पूर्व हर वर्ष वार्षिक परीक्षाओं के बाद लगभग हर खेल के लिए समर कोचिंग कैंप आयोजित होते थे, उसके बाद कुछ खेलों के लिए राजकीय महाविद्यालय संजौली में केवल एक बार समर कैंप लगा है। पड़ोसी विश्वविद्यालय पंजाब व हरियाणा से आकर हर वर्ष हिमाचल में समर कोचिंग लगाते हैं। प्रदेश विश्वविद्यालय को भी चाहिए कि हर वर्ष एक बार फिर से समर कोचिंग कैंप शुरू करवाए जाएं। हिमाचल प्रदेश में खेल प्रशिक्षकों की कमी सबके सामने है। खेल परिषद के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में विभिन्न खेलों के एक दर्जन से भी अधिक प्रशिक्षक नियुक्त थे। जब विश्वविद्यालय में एमए शारीरिक शिक्षा शुरू हुई, तो कुछ प्रशिक्षक यहां पर शिक्षक बन गए थे और फिर धीरे-धीरे अब सभी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इन खाली पड़े पदों को भी भरने की बात इस बैठक में हुई है। प्रदेश विश्वविद्यालय प्रशासन को चाहिए कि वह प्रशिक्षक के पदों को जल्द से जल्द भरें।

व्यक्तिगत स्पर्धाओं में अंतर विश्वविद्यालय खेलों में पदक जीतने वाले खिलाडि़यों के प्रशिक्षकों को भी भविष्य में खिलाड़ी के साथ इस बैठक के समय सम्मानित करने का चलन भी विश्वविद्यालय को आगामी वर्ष से शुरू कर देना चाहिए, ताकि खेल छात्रावासों व अन्य जगह प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे छात्रों पर वहां के प्रशिक्षक और ज्यादा ध्यान दें। प्रदेश विश्वविद्यालय खेल परिषद के सचिव व शारीरिक शिक्षा व अन्य गतिविधियों के निदेशक डा. सुरेंद्र शर्मा के आने के बाद कई खेलों को अंतर महाविद्यालय खेल प्रतियोगिताओं में शामिल किया है। वार्षिक बैठक में भी कई खेल सुविधाओं पर चर्चा करवाकर सुधार करने की पहल की गई है।


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