बिजली संशोधन विधेयक का विरोध

By: Oct 1st, 2018 12:02 am

जालंधर -बिजली कर्मचारी और इंजीनियरों की राष्ट्रीय समन्वय समिति (एनसीसीओईईई) ने ऐलान किया है कि बिजली संशोधन विधेयक 2014 एवं केंद्र एवं राज्य स्तर पर चल रही निजीकरण की कार्रवाई के विरोध में देश के लगभग 15 लाख बिजली कर्मचारी और इंजीनियर आठ और नौ जनवरी, 2019 को दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल करेंगे। एनसीसीओईईई के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने जारी बयान में कहा कि यदि संशोधन विधेयक को संसद के शीत कालीन सत्र से पहले पारित करने की कोशिश हुई तो बिना कोई अधिसूचना दिए देश भर के बिजली कर्मचारी एवं इंजीनियर हड़ताल पर चले जाएंगे। उन्होंने बताया कि 29 सितंबर को दिल्ली में हुई बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि राष्ट्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर देश के सभी सरकारी विभागों और सार्वजनिक उपक्रमों में निजीकरण के विरोध में आठ और नौ जनवरी को होने वाली हड़ताल का बिजली कर्मी पूरा समर्थन करते हैं। श्री दुबे ने कहा कि बिजली उत्पादन के क्षेत्र में निजी घरानों के घोटाले से बैंकों का अढाई लाख करोड़ रुपए पहले ही फंसे हुए हैं, किंतु निजी घरानों पर कोई कठोर कार्रवाई करने के बजाय केंद्र सरकार नए विधेयक के जरिए बिजली आपूर्ति निजी घरानों को सौंप कर और बड़े घोटाले की तैयारी कर रही है। ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के प्रवक्ता विनोद कुमार गुप्ता  ने  बताया कि बिजली कर्मचारी और इंजीनियरों की राष्ट्रीय समन्वय समिति में ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ पॉवर डिप्लोमा इंजीनियर्स, इलेक्ट्रिसिटी इंपलाइज फेडरेशन आफ इंडिया (सीटू), ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंपलाइज (एटक), इंडियन नेशनल इलेक्ट्रिसिटी  वर्कर्ज फेडरेशन (इंटक), ऑल इंडिया पावरमेंस फेडरेशन तथा राज्यों की अनेक बिजली कर्मचारी यूनियन सम्मिलित हैं।

क्या है बिजली संशोधन विधयेक     

 संशोधन विधेयक के अनुसार बिजली वितरण और विद्युत आपूर्ति के लाइसेंस अलग-अलग करने तथा एक ही क्षेत्र में कई विद्युत अपूर्ति कंपनियां बनाने का प्रावधान है। विधेयक के अनुसार सरकारी कंपनी को सबको बिजली देने (यूनिवर्सल पावर सप्लाई ऑब्लिगेशन ) की अनिवार्यता होगी, जबकि निजी कंपनियों पर ऐसा कोई बंधन नहीं होगा। स्वाभाविक है कि निजी आपूर्ति कंपनियां मुनाफे वाले बड़े वाणिज्यिक और ओद्यौगिक घरानों को बिजली आपूर्ति करेंगी, जबकि सरकारी क्षेत्र की बिजली आपूर्ति कंपनी निजी नलकूप, गरीबी रेखा से नीचे के उपभोक्ताओं और लागत से कम मूल्य पर बिजली टैरिफ के घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति करने को विवश होगी और घाटा उठाएगी।


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