पशुपालक चाहेगा तो पैदा होगी बछिया

By: Nov 27th, 2018 12:02 am

अमरीकी तकनीक के प्रयोग से हो पाएगा संभव, 90 प्रतिशत संभावना

 बिलासपुर —अब गउओं को बछड़ा नहीं, सिर्फ बछिया ही पैदा होगी। अमरीकी तकनीक से विकसित किए गई सेक्सड सीमन तकनीक से ऐसा संभव हो सका है। इसके प्रयोग से बछिया पैदा होने की संभावना 90 फीसदी तक रहती है। हालांकि हिमाचल में इस सुविधा का लाभ लेने के लिए पशुपालकों को अभी इंतजार करना पड़ेगा। अभी तक यह सुविधा देश के कुछेक राज्यों में ही शुरू की गई है, लेकिन जल्द पायलट प्रोजेक्ट पर यह सुविधा हिमाचल में भी शुरू हो सकती है। पशुपालन विभाग बिलासपुर के असिस्टेंट डायरेक्टर डा. विनोद कुंदी ने बताया कि भविष्य में इस तकनीक के शुरू होने पर पशुपालकों को काफी लाभ मिलेगा। इससे न सिर्फ  हिमाचल में दूध उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि आर्थिक रूप से बोझिल बन चुके बैल की समस्या भी कम हो पाएगी। डा. विनोद कुंदी के अनुसार स्पर्मेटोजोआ सेग्रीगेशन तकनीक से नर पशु के सक्रिय शुक्राणुओं को अलग-अलग कर लिया जाता है। इसके बाद इनको एक खास मशीन पर रखा जाता है। सक्रिय एक्स और वाई क्रोमोजोम के शुक्राणु अलग-अलग हो जाते हैं। इनके जरिए ही कृत्रिम गर्भाधान से इच्छानुसार बछिया पैदा करना संभव बनी रहती है। सामान्य रूप से पैदा होने वाले नर और मादा संतति का अनुपात 50-50 फीसदी होता है। ऐसे में इस तकनीक के प्रयोग से बछिया पैदा होने की ही संभवानाएं अधिक होती हैं, लेकिन यह तकनीक थोड़ी महंगी होती है। बहरहाल अगर भविष्य में यह तकनीक हिमाचल में शुरू होती है, तो सड़कों पर घूमते आवारा सांडों के आतंक से भी मुक्ति मिलेगी।

ऐसे होगा नई तकनीक पर काम

पशु अस्पताल के डाक्टर अपनी देखरेख में गउओं को सीमन चढ़ाते हैं। इसके लिए देशी या विदेशी नस्ल की गउओं का चयन किया जाता है। सीमन चढ़ाने के पहले गउओं को प्रोटीनयुक्त मिक्सचर खिलाया जाएगा। इसके बाद हार्मोन का इंजेक्शन दिया जाएगा। इंजेक्शन देने के 12 दिन बाद सीमन चढ़ाया जाएगा। तीन महीने बाद विभाग द्वारा गउओं की जांच की जाती है।

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