कविता

By: Jan 30th, 2019 12:05 am

ऐसी एक पतंग बनाएं

जो हमको भी सैर करवाए।

कितना अच्छा लगे अगर

उड़े पतंग हमें लेकर

पेड़ों से ऊपर पहुंचे

धरती से अंबर पहुंचे

इस छत से उस छत जाए

आसमान में लहराए

खाती जाए हिचकोले

उड़न खटोले सी डोले

डोर थमा कर डटे रहे

साथ मित्र के सटे रहे।

विजय पताका फहराएं

हम भी सैर कर जाएं।

-चंद्रकला गंगवाल

 


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