दो धु्रवों के बीच जनता

By: Jan 31st, 2019 12:05 am

पीके खुराना

राजनीतिक रणनीतिकार

प्रियंका गांधी को कांग्रेस में महासचिव बनाए जाने की खबर विश्व भर में बड़ी खबर बनी। विभिन्न चैनलों और वेबसाइटों के सर्वे कांग्रेस की बढ़ी हुई सीटों की बात करते हैं। निश्चय ही तीन राज्यों की जीत ने कांग्रेसजनों में आशा और उत्साह की नई लहर जगाई है, लेकिन एक मतदाता के रूप में मैं यह अवश्य समझना चाहूंगा कि कांग्रेस मेरे लिए क्या करने वाली है…

हमने आज से पांच वर्ष पूर्व का कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूपीए का शासन देखा है। अपने अंतिम सालों में यूपीए सरकार अपने निकृष्टतम दौर में थी जब भ्रष्टाचार चरम पर था और निर्णयहीनता के कारण सरकार पंगु हो गई थी। डा.मनमोहन सिंह ने पूरी तरह से भीष्म पितामह की भूमिका अदा की। वे सोनिया गांधी के प्रति निष्ठावान बने रहे और भ्रष्टाचार की अनेकों घटनाओं के बावजूद चुप रहे। इससे भी बढ़कर उनका अपराध यह है कि वे कुर्सी से चिपके रहे। हमारे देश ने बहुत से बुरे दौर देखे हैं। देश का इससे बड़ा दुर्भाग्य नहीं हो सकता कि कोई प्रधानमंत्री अयोग्य हो, कुर्सी के लालच में समाज को बांट दे, देशहित को भुला दे या भ्रष्टाचार के प्रति आंखें बंद करके बैठा रहे। किस प्रधानमंत्री ने क्या किया, या क्या नहीं किया, इस इतिहास में जाने का कोई लाभ नहीं है। हम बीते हुए समय को वापस नहीं ला सकते, पर हमें अपने वर्तमान और भविष्य की चिंता अवश्य करनी चाहिए।

मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बन जाने से राहुल गांधी और कांग्रेस को राजनीतिक जीवनदान मिला है। जनसामान्य ही नहीं, मीडियाकर्मी भी राहुल गांधी को नई निगाह से देखने लगे हैं। प्रियंका गांधी को कांग्रेस में महासचिव बनाए जाने की खबर विश्व भर में बड़ी खबर बनी। विभिन्न चैनलों और वेबसाइटों के सर्वे कांग्रेस की बढ़ी हुई सीटों की बात करते हैं। निश्चय ही तीन राज्यों की जीत ने कांग्रेसजनों में आशा और उत्साह की नई लहर जगाई है, लेकिन एक मतदाता के रूप में मैं यह अवश्य समझना चाहूंगा कि कांग्रेस मेरे लिए क्या करने वाली है और इस समय कांग्रेस की ओर से जो वायदे हो रहे हैं, उन्हें पूरा करने के लिए उसके पास क्या योजना है? कांग्रेस का नया शिगूफा यह है कि हर गरीब व्यक्ति को एक न्यूनतम आय की गारंटी होगी। क्या हमारे पास उसके लिए पर्याप्त धन है? क्या हम उसके लिए और कर्ज लेंगे। पिछले साढ़े चार सालों में हमारे देश पर चढ़ा विदेशी कर्ज 50 प्रतिशत बढ़ गया है, ऐसे में क्या हम नई लोकलुभावन घोषणाओं के लिए तैयार भी हैं या यूं ही नोट छापते चलेंगे और किसी दिन दीवालिया हो जाएंगे? कांग्रेस के पास इन सवालों के क्या जवाब हैं? कुछ दिन पूर्व हमने एक छोटा-सा सर्वे किया था जिसमें हमारा एक सवाल यह भी था कि क्या आप विपक्ष की भूमिका से खुश हैं? जवाब चौंकाने वाले थे। इकहत्तर प्रतिशत लोगों ने कहा कि विपक्ष की भूमिका बहुत खराब है क्योंकि विपक्ष सरकार की नीतियों पर उथली राजनीति करता है।

विपक्ष में रहते हुए विपक्ष के पास जनहित का कोई कार्यक्रम नहीं हैं। विपक्ष सिर्फ सपने दिखाता है, यानी विपक्ष जो कुछ करेगा, सत्ता में आने के बाद करेगा, उससे पहले विपक्ष की भूमिका सदन से वाकआउट, शोर-शराबे और प्रदर्शन-धरने तक ही सीमित है। बाइस प्रतिशत लोगों ने कहा कि विपक्ष को ज्यादा जिम्मेदार होने की आवश्यकता है। एक वरिष्ठ राजनेता ने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले जनता राहुल गांधी को लेकर गंभीर थी लेकिन पत्रकार उन्हें हल्के में लेते थे, अब पत्रकार राहुल गांधी को गंभीरता से ले रहे हैं लेकिन कांग्रेस-शासित तीनों राज्यों की जनता मोहभंग के शुरुआत की स्थिति में है। यह बहुत सटीक विश्लेषण है। जनता का दूसरा अनुभव मोदी सरकार के साथ है। ऐसा लगता है कि मोदी सरकार सारी घोषणाएं नींद में रहकर कर रही है। घोषणाओं पर कोई होमवर्क नहीं होता, बहुत सी घोषणाएं जनहित के अनुरूप नहीं हैं। सरकार का सारा ज़ोर झूठ फैलाने और जनता की आवाज दबाने में लग रहा है। प्रचार पर बेतहाशा खर्च किया जा रहा है, झूठे आंकड़े देकर जनता को भरमाने की कोशिश है। हिंदू-मुस्लिम का सवाल उठाकर जनता को बांटा जा रहा है और यह एक योजनाबद्ध ढंग से किया जा रहा है। लाखों की संख्या में बने व्हाट्सऐप ग्रुपों में झूठे और नफरत भरे संदेश बांटे जा रहे हैं। यह बहुत खतरनाक स्थिति है। हिंदू और मुसलमानों को ही नहीं, खुद हिंदुओं को भी बांटा जा रहा है। समस्याओं को हल करने के बजाय जनता को झुनझुने पकड़ाए, जा रहे हैं।

सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग से आतंक का राज चल रहा है और ऐसा लग रहा है कि मानो अघोषित आपातकाल हो। विरोध करने वाले पत्रकारों, कार्टूनिस्टों, कलाकारों, बुद्धिजीवियों को धमकाया जा रहा है या चुन-चुनकर जेल में डाला जा रहा है। गलतियां मानने और उन्हें सुधारने की जगह या तो जनता को ही गालियां दी जा रही हैं और उन्हें देशद्रोही तक कहा जा रहा है या फिर डर की मनोस्थिति में समाज के छोटे-छोटे वर्गों को खुश करके वोट बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। इसमें कोई शक नहीं है कि आज भाजपा के पास सबसे बड़ा और सक्रिय संगठन है। इस संगठन की शक्ति को कम करके नहीं आंका जा सकता। विपक्ष में मोदी के कद का कोई नेता भी दिखाई नहीं देता, तो भी यह सच है कि घुटी-घुटी आवाजों में मोदी का विरोध तेजी से बढ़ रहा है। काला धन बाहर निकालने के नाम पर मोदी का दमनचक्र चल रहा है। अपने दामन के धब्बों का जवाब देने के बजाय भाजपा, नेहरू-गांधी और शेष विपक्ष को ही नहीं बल्कि जनता को भी गालियां देने में व्यस्त है। असहमति जताने वालों को ट्रोल करना, धमकियां देना और पाकिस्तान जाने के लिए कहना आम बात है। सच्चाई यह है कि इससे जनता में बहुत रोष है और वह रोष वोट के समय ही प्रकट होता है। संगठन की कमी, धन की कमी, मैनपावर की कमी, नीतियों की कमी के बावजूद अगर तीन राज्यों में कांग्रेस जीती है तो उसके पीछे सबसे बड़ा कारण यही है कि लोगों का दबा हुआ गुस्सा मतदान के समय फूट रहा है।

यह दुर्भाग्य की बात है कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन के बाद सन् 1977 में जन्मी जनता पार्टी, सन् 1983 में बनी एनटी रामराव की तेलुगु देशम पार्टी, विश्वनाथ प्रताप सिंह और चौ. देवीलाल के नेतृत्व में सन् 1989 में जन्मा जनता दल आदि बिखर गए तथा अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के बाद अस्तित्व में आई आम आदमी पार्टी ने भी कहीं न कहीं जनता को निराश किया है। जनता इस समय दो धु्रवों के बीच बंटी हुई है। एक तरफ निकम्मापन है तो दूसरी तरफ घृणा और दमन का दौर। आज इस देश को किसी चमत्कार की जरूरत है वरना कोई भी जीते या कोई भी हारे, जनता हर बार हार ही रही है।

ई-मेलः indiatotal.features@gmail


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App