सावधानी समय की जरूरत

By: Feb 28th, 2019 12:07 am

पीके खुराना

राजनीतिक रणनीतिकार

पाकिस्तान के इस बयान के बावजूद हमें नहीं भूलना चाहिए कि अपने देश में किरकिरी से बचने के लिए अब पाकिस्तान ताबड़तोड़ कोशिशें करेगा, वहां के आतंकवादी संगठन भी सक्रिय होंगे। अतः आने वाला कुछ समय बहुत समझदारी और सावधानी की मांग करता है। ऐसा लग रहा है चोट खाया पाकिस्तान बड़ी वारदात की कोशिश करेगा…

पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति लंबे समय से खस्ताहाल है और वह कई बार दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुका है। आर्थिक स्थिति का बदहाल होना कई कारणों पर निर्भर करता है और कभी-कभार कोई भी देश किसी अस्थायी संकट में फंस सकता है। ऐसे में उस देश के कर्णधार अपनी नीतियों में समुचित परिवर्तन करके स्थिति संभालने का प्रयत्न करते हैं, परंतु पाकिस्तान इस मामले में सदैव उल्टा रवैया अपनाता रहा है। दरअसल, पाकिस्तान को खैरात पर जिंदा रहने की लत लग गई है। अमरीका और मुस्लिम देशों से मिलने वाली खैरात उसकी जीवनरेखा है। पाकिस्तान में तो सोशल मीडिया पर यह चुटकुला वायरल है कि कोई देश पाकिस्तान पर इसलिए पाबंदियां नहीं लगा सकता, क्योंकि पाकिस्तान हर किसी का कर्जदार है और नई पाबंदियां लगाने का मतलब होगा कि कर्ज वापस मिलने की संभावना खत्म हो जाएगी। महंगाई और बेरोजगारी से त्रस्त पाकिस्तानी जनता सचमुच बेहाल है। अपनी जनता का ध्यान बंटाए रखने के लिए पाकिस्तानी सरकार के  लिए कश्मीर के बहाने  भारत एक आसान टार्गेट बन गया है। कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाकर भी वह इसीलिए लाभ में है। कश्मीर में आतंकवाद चलता रहे और सेना आतंकवादियों का मुकाबला करती रहे, तो कश्मीर को मानवाधिकार मुद्दा बनाकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाना आसान है, पाकिस्तान वही कर रहा है। कश्मीर में इस्लाम की रक्षा का नारा लगाकर भी अन्य मुस्लिम देशों में पाकिस्तान ने अपनी छवि इस्लाम के रखवाले के रूप में बना रखी है, जिससे उसे मुस्लिम देशों से आर्थिक सहायता मिलती है।

यही कारण है कि कश्मीर में आतंकवाद जारी रखने के लिए पाकिस्तान हरसंभव तरीका अपना रहा है। यह हमारा दुर्भाग्य रहा है कि हमारी सरकारों ने इस समस्या के समाधान के लिए समग्रता में कार्रवाई नहीं की और लंबे समय से न हम इस समस्या से रू-ब-रू हैं। कश्मीर में आतंकवाद जारी रहने और भारत द्वारा उस पर कोई प्रभावी कार्रवाई न होने के कारण पाकिस्तान की सरकार और वहां के फौजी अधिकारी इस गुमान में रहने लगे थे कि पाकिस्तान कुछ भी करे, भारत उसके सामने असहाय है। भारतीय संसद पर हमला, जगह-जगह बम विस्फोट, मुंबई में ताज होटल में आतंकवादी हमला आदि ऐसी घटनाएं रहीं, जिनसे पाकिस्तान की सरकार, उनकी फौज और वहां पल रहे आतंकवादी संगठनों के हौसले बढ़ रहे थे। आतंकवादी घटनाओं को लेकर भारतीय जनमानस हताशा की स्थिति में जी रहा था। उसके बावजूद कुछ बुद्धिजीवी इस ख्याल से प्रेरित थे कि भारत की जनता और पाकिस्तान की जनता तो अमन चाहती है, इसलिए यदि दोनों देशों की जनता जोर डाले, तो पाकिस्तान की सरकार को विवश होकर अपना रवैया बदलना पड़ेगा। वाघा बार्डर पर मोमबत्तियां जलाना इसी उद्देश्य से होता था, लेकिन हम सब जानते हैं कि इन सद्प्रयासों का कोई लाभ नहीं हुआ। हमारे स्वर्गीय प्रधानमंत्री की लाहौर यात्रा, वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में नवाज शरीफ को निमंत्रण, मोदी द्वारा अचानक लाहौर पहुंच कर बिरयानी खाने आदि प्रयासों से माहौल नहीं सुधर सका। हां, यह जरूर हुआ कि पाकिस्तान की फौज और वहां पल रहे आतंकवादियों के हौसले और भी बुलंद होते रहे। यह सही है कि युद्ध बहुत खर्चीला होता है और भारतवर्ष की पूर्ववर्ती सरकारों ने युद्ध से होने वाली जन-धन की हानि से बचने के लिए बहुत संयम बरता। इस संयम को पाकिस्तान ने हमेशा कमजोरी ही समझा और अपनी आतंकवादी गतिविधियों को अधिकाधिक विस्तार देता चला गया। भारतीय फौजियों की लाशों के सिर काटना, लाश को क्षत-विक्षत कर देना आदि पागलपन के काम जारी रहे। इससे पाकिस्तान की फौज तथा वहां के आतंकवादी संगठनों को यह मुगालता हो गया कि भारत कुछ भी बर्दाश्त कर लेगा। समय के साथ-साथ हालात बदलना असमान्य नहीं है। ट्रंप के नेतृत्व में अमरीकी प्रशासन ने पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों को पसंद नहीं किया और उसे चेतावनी दी, पर पाकिस्तान की सरकार ने चेतावनियों की ज्यादा परवाह इसलिए नहीं की, क्योंकि ऐसी चेतावनियां उसे पहले भी मिलती रही हैं। आतंकवाद से त्रस्त विश्व अब आतंकवाद के समर्थन में नहीं है। अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य के इस परिवर्तन को पाकिस्तान नहीं भांप पाया। नरेंद्र मोदी पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों के जवाब में पाकिस्तान को सबक सिखाने के नारे के साथ प्रधानमंत्री बने थे। पुलवामा हमले के बाद उन पर बहुत दबाव था। लोकसभा के चुनाव भी नजदीक हैं और घरेलू फ्रंट पर उनका जादू उतरता-सा लग रहा था। बातों का समय नहीं था, मोदी के लिए कुछ करके दिखाना आवश्यक था। मोदी ने वही किया। इस बार पाकिस्तान पर जो हवाई हमला हुआ, वह पाकिस्तान के अंदर घुस कर हुआ और यह इस बात का संकेत था कि आवश्यक होने पर भारत सीमित युद्ध के लिए भी तैयार है। बालाकोट हमले के कारण जहां देशभर में मोदी की तूती बोलने लगी है, वहीं पाकिस्तान की खूब किरकिरी हुई है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भी पाकिस्तान अलग-थलग पड़ गया है। ऐसे में पाकिस्तान का बौराना भी समझ में आता है।

जल्दबाजी में किए गए हमले में पाकिस्तान के जेट नौशेहरा सेक्टर में घुसे, तो भारतीय वायुसेना ने उनका एक जेट मार गिराया। इसी दौरान भारत का एक मिग विमान भी गिरा और पायलट विंग कमांडर अभिनंदन लापता बताए जाते हैं, जबकि पाकिस्तान ने दावा किया है कि दो भारतीय पायलट उसकी हिरासत में हैं। पाकिस्तान सरकार के आधिकारिक ट्विटर एकाउंट से इन पायलटों की तस्वीरें भी पोस्ट की गई हैं। फिलहाल पाकिस्तानी सरकार ने कहा है कि बुधवार का उनका हमला सिर्फ यह दिखाने के लिए था कि वह अपनी रक्षा में समर्थ है। इसीलिए यह हमला सूरज की भरपूर रोशनी में किया गया और पाकिस्तानी वायुसैनिकों ने बम गिराते समय खाली स्थानों को निशाना बनाया, क्योंकि पाकिस्तान युद्ध नहीं चाहता, लेकिन यदि उसे युद्ध में धकेला गया, तो वह भी पीछे नहीं हटेगा।

पाकिस्तान के इस बयान के बावजूद हमें नहीं भूलना चाहिए कि अपने देश में किरकिरी से बचने के लिए अब पाकिस्तान ताबड़तोड़ कोशिशें करेगा, वहां के आतंकवादी संगठन भी सक्रिय होंगे। अतः आने वाला कुछ समय बहुत समझदारी और सावधानी की मांग करता है। ऐसा लग रहा है कि चोट खाया पाकिस्तान बड़ी वारदात की कोशिश करेगा। हमारी सरकार और सेनाएं तो अपना कर्त्तव्य निभाएंगे ही, हम नागरिकों को भी जागरूक रहना होगा, ताकि पाकिस्तान किसी आतंकवादी दुर्घटना को अंजाम देने में कामयाब न हो सके। सावधानी भी हमारी सुरक्षा है।

ई-मेलः indiatotal.features@gmail


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