स्त्री-पुरुष दोनों को परायणा का हक

By: Feb 20th, 2019 12:05 am

पत्नी की मृत्यु या कई बार अनबन हो जाने से पुनर्विवाह भी होते हैं, जिन्हें परायणा कहते हैं। पति भी पत्नी के मर जाने या भाग जाने पर तथा पत्नी भी पति की मृत्यु पर परायणा करने को स्वतंत्र है। एक और विवाह जो कुछ वर्ष पहले यहां प्रचलित था, वह है रीत। परित्यक्ता या विधवा के घर वालों को मूल्य देकर उसे ब्याह कर लाया जाता था। यह परंपरा अब समाप्त है…

गतांक से आगे …

अधिकमास (काला महीना) :

विवाह के बाद पहली बार आए श्रावण एवं भाद्रपद मास को काला महीना कहते हैं और इन महीनों में नववधू सास का मुंह नहीं देखती। अतः ये दो माह नव वधू अपने मायके में गुजारती है। यह प्रथा आजकल कम ही है। क्योंकि वर वधू तो गांव में माता-पिता के पास कम ही रहते हैं। विवाह के बाद अधिकांश शहर में या नौकरी व्यवसाय से अयंत्र रहते हैं।

पुनर्विवाह  :

विवाह के बाद पत्नी की मृत्यु या कई बार अनबन हो जाने से पुनर्विवाह भी होते हैं, जिन्हें परायणा कहते हैं। पति भी पत्नी के मर जाने या भाग जाने पर तथा पत्नी भी पति की मृत्यु पर परायणा करने को स्वतंत्र है। एक और विवाह जो कुछ वर्ष पहले यहां प्रचलित था रीत परित्यक्ता या विधवा के घर वालों को मूल्य देकर उसे ब्याह कर लाया जाता था। यह परंपरा अब समाप्त है। इन्हीें धार्मिक परंपरा के साथ विवाह, प्रदेश में संपन्न हो जाता है। दहेज मांगने जैसी बुराइयों से यह प्रदेश भी प्रभावित है। पिछले कुछ सालों में दहेज के लोभी ससुराल वालों के कई नवविवाहिताएं अकाल मृत्यु का शिकार हुई हैं।

हिमाचल प्रदेश में क्षेत्रानुसार विवाह कई प्रकार से संपन्न किए जाते हैं।

झंजराड़ा :

झंजराड़ा नामक विवाह, जो आमतौर पर विधवा या त्यक्ता स्त्री से संपन्न किया जाता है, में दूल्हे के संबंधी लड़की/औरत को जाकर घर ले जाते हैं। घर में आने पर दुल्हा उसके सिर पर चुनी उढ़ाता है और उसके नाक में बालू या नथ आदि डालता है। इस प्रकार का विवाह निम्न श्रेणी में आता है तथा सामाजिक मान्यता भी लंबे समय के उपरांत ही मिलती है।

बराड़फुक या जराड़फुक या झिंडी फुक विवाह ः

इसके अतिरिक्त विवाह की एक अन्य किस्म भी प्रचलित थी जो अब समाप्त प्रायः ही समझी जाए, क्योंकि अब व्यस्क होने पर शिक्षित लड़के, लड़कियां, यदि उन्होंने मां-बाप की इच्छा के विरुद्ध शादी करनी है,अदालत का सहारा लेते हैं। इस प्रकार के विवाह को जिसका अभी वर्णन किया जा रहा है, निम्न क्षेत्रों में बराड़फुक, मध्य क्षेत्रों में जराड़फुक और चंबा आदि में झिंडीफुक विवाह करते हैं। इस विवाह में नौजवान लड़की, मां-बाप या संबंधियों की इच्छा के बिना किसी पुरुष से संबंध जोड़कर शादी कर लेती है। शादी के समय पुरुष लड़की को नथ या अन्य नाक का गहना पहनाता है। दोनों किसी ‘बराड़ या झाड़ी’ – को आग लगाते हैं और हाथ में हाथ लेकर आग के सात या आठ फेरे लेते हैं। पुरुष लड़की को घर या अपने रहने के स्थान पर ले जाता है और विवाह पूर्ण माना जाता है, परंतु ऐसी शादियों का रिवाज, अब नहीं रहा।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App