1857 को हुआ ब्रिटिश सेनापति जनरल जॉर्ज का देहांत

By: Mar 20th, 2019 12:04 am

27 मई, 1857 ई. को ब्रिटिश सेनापति जनरल जॉर्ज एनसन का अंबाला में देहांत हो गया। अंग्रेजी सैनिक शक्ति को इससे भारी धक्का लगा। शीघ्र ही जनरल सर एच बर्नार्ड को नया कमांडर-इन-चीफ नियुक्त किया गया। 28 मई, 1857 ई. को जतोग, स्पाटू, कसौली, डगशाई और कालका के देशी सैनिकों ने विद्रोह त्यागने का निर्णय लिया…

 गतांक से आगे …

27 मई, 1857 ई. को ब्रिटिश सेनापति जनरल जॉर्ज एनसन का अंबाला में देहांत हो गया। अंग्रेजी सैनिक शक्ति को इससे भारी धक्का लगा। शीघ्र ही जनरल सर एच बर्नार्ड को नया कमांडर-इन-चीफ नियुक्त किया गया। 28 मई, 1857 ई. को जतोग, स्पाटू, कसौली, डगशाई और कालका के देशी सैनिकों ने विद्रोह त्यागने का निर्णय लिया। अंग्रेजी सरकार के आदेश का पालन किया तथा देशी सैनिकों ने कालका, अंबाला और सहारनपुर की ओर कूच कर लिया। कसौली, स्पाटू और डगशाई में विद्रोह की आग काफी हद तक शांत हो चुकी थी, परंतु शिमला के अंग्रेज अभी भी अपने को असुरक्षित अनुभव कर रहे थे। सात जून, 1857 ई. को शिमला म्युनिसिपल कमेटी के प्रेजीडेंट कर्नल सीडी बलेयर और अन्य विदेशियों ने पंजाब के चीफ कमिश्नर जॉन लारेंस को एक आवेदन पत्र भेजकर शिमला के नागरिकों, सरकारी कोष और आपर संपत्ति की सुरक्षा के उपाय  शीघ्र करने की सिफारिश की तथा कैप्टन बिग्रज को मार्शल-ला की शक्ति देकर शिमला की सुरक्षा का भार सौंपने का भी आग्रह किया। अंग्रेजों को अब भी शहर के उत्तेजित नागरिकों और क्रांतिकारियों के हमले का खतरा था। परिणामस्वरूप, जॉन लारेंस के आदेश पर डिप्टी कमिश्नर, विलयम हेय ने डबल बैरल गन वाले 20 जवान, 50 पुलिस और 100 देशी गार्डज का प्रबंध किया।

10 जून, 1857 ई. को जालंधर के क्रांतिकारी सैनिकों ने पहाड़ों की ओर कूच किया। 600 के लगभग क्रांतिकारी सैनिक नालागढ़ तक पहुंचे और स्थानीय क्रांतिकारियों के साथ मिलकर शक्तिशाली विद्रोह किया। इनके शिमला की पहाड़ी रियासतों की ओर बढ़ने की आशंका से अंग्रेज और भी भयभीत हो गए। सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए। शिमला, स्पाटू, कसौली, डगशाई और कोटगढ़ में देशी नागरिकों के घरों की तलाशी ली गई और निजी हथियार छीन कर क्रांतिकारियों को निरस्त्र कर दिया गया। कालका में 60-नेटिव इंफैन्ट्री के एक दस्ते को निरस्त्र कर दिया तथा पब्लिक स्टोर और स्टेशन की सुरक्षा के लिए यूरोपीय सैनिकों की एक टुकड़ी तैनात कर दी गई। कसौली में कैप्टन ब्लैककॉल ने एक सैनिक दस्ता लेकर सभी संदिग्ध क्षेत्रों का दौरा किया और सभी क्रांतिकारी अड्डों  की छानबीन की। हर प्रकार के शस्त्र, विषैले पदार्थ आदि छीन लिए गए, ताकि किसी भी प्रकार से विदेशियों को खतरा न हो तथा विद्रोह की संभावना भी कम हो जाए। इस निरस्त्रीकरण से क्रांतिकारियों की गतिविधियों को गहरा धक्का लगा। अंग्रेजों ने कालका, कसौली, डगशाई, स्पाटू और शिमला में सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए तथा क्रांतिकारियों की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखी। सभी सार्वजनिक मार्गों पर चौकियां स्थापित कर नाका गार्डज तैनात किए गए।


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