अक्षय तृतीया से करें चार धाम यात्रा

By: May 4th, 2019 12:06 am

हिंदुओं की परम आस्था के केंद्र उत्तर भारत के चार धामों की यात्रा प्रारंभ होने वाली है। यमुनोत्री, गंगोत्री, केदरनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा करने कई लोग जाते हैं। उत्तराखंड के मनोहारी और मोक्षदायक माने जाने वाले श्रद्धा के ये केंद्र व यात्रा के दौरान कई मनोहारी दृश्य, वाटरफॉल, ऊंचे-ऊंचे पहाड़, गहरी नदियां इस यात्रा को आकर्षक बनाते हैं। शास्त्रों में चार धाम की यात्रा के बारे में वर्णन मिलता है,लेकिन चार धाम की यात्रा कब शुरू हुई इसके बारे में कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलता है। महाभारत के अनुसार वनवास के दौरान यह यात्रा पांडवों द्वारा भी की गई थी। महाभारत में केदारनाथ का वर्णन मिलता है, वहीं स्कंद पुराण  में भी गढ़वाल को केदारनाथ के नाम से वर्णित किया गया है। हालांकि उस समय इस यात्रा को हर व्यक्ति के लिए करना संभव नहीं था, परंतु जैसे-जैसे यात्रा के साधन और सुगम रास्तों का निर्माण हुआ अब चार धाम की ओर आम लोगों का झुकाव भी तेजी से बढ़ रहा है…

यमुनोत्री धाम

उत्तराखंड में स्थित इन धामों के दर्शन करने श्रद्धालु दूर-दूर से पहुंचते हैं। हिमालय की पर्वत शृंखलाओं में बसा यमुनोत्री धाम हिंदुओं के चार धामों में से एक है। यमुनोत्री मंदिर गढ़वाल हिमालय के पश्चिम में समुद्रतल से 3235 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर चार धाम यात्रा का पहला धाम अर्थात यात्रा की शुरुआत इस स्थान से होती है तथा यह चार धाम यात्रा का यह पहला पड़ाव है। इस बार 7 मई को यमुनोत्री धाम के कपाट खुल रहे हैं।

गंगोत्री

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में यह मंदिर मां गंगा को समर्पित है। यहां से करीब 18 किलोमीटर ऊपर गंगा जी का उद्गम स्थल है, जो गोमुख के नाम से जाना जाता है। यह चार धाम यात्रा का दूसरा पवित्र पड़ाव है , जो कि यमुनोत्री धाम के बाद आता है। गंगोत्री मंदिर भागीरथी नदी के तट पर स्थित है। यह मंदिर 3100 मीटर की ऊंचाई पर ग्रेटर हिमालय रेंज पर स्थित है। गंगोत्री मंदिर भारत का सबसे प्रमुख मंदिर है। गंगोत्री में गंगा का उद्गम स्रोत यहां से लगभग 24 किलोमीटर दूर गंगोत्री ग्लेशियर में 4, 225 मीटर की ऊंचाई पर होने का अनुमान है। गंगा मंदिर तथा सूर्य, विष्णु और ब्रह्मकुंड आदि पवित्र स्थल यहीं पर हैं। इस बार 7 मई को ही गंगोत्री धाम के कपाट खुल रहे हैं।

केदारनाथ

केदारनाथ हिमालय पर्वतमाला के बीच उत्तराखंड में स्थित है। यह शिव के 12 ज्येतिर्लिंगों में से एक है। उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में बसे चारों धाम हिंदू धर्म की आस्था का केंद्र हैं। चारों धाम यानी बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री, गंगोत्री को सभी तीर्थ यात्राओं में प्रमुख स्थान प्राप्त है। कहते हैं कि केदारनाथ धाम की यात्रा से जितना अधिक पुण्य मिलता है उतना और किसी धार्मिक यात्रा से नहीं। भगवान शिव के चमत्कारी और दुर्गम केदारनाथ मंदिर के कपाट अप्रैल-मई में खुलते है। केदारनाथ के कपाट दर्शन करने वालों के लिए 9 मई को पूजा-अर्चना के बाद खुलेंगे।

बद्रीनाथ

बद्रीनाथ धाम के कपाट 10 मई को खोले जाएंगे। बद्रीनाथ धाम अलकनंदा नदी के बाएं तट पर नर और नारायण नामक दो पर्वत श्रेणियों के बीच में स्थित है। ये पंच बद्री में से एक हैं। उत्तराखंड में पंच बद्री, पंच केदार तथा पंच प्रयाग पौराणिक दृष्टि से तथा हिंदू धर्म की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं। यह मंदिर भगवान विष्णु के रूप बद्रीनाथ को समर्पित है। ऋषिकेश से यह 214 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर दिशा में स्थित है। बद्रीनाथ मंदिर शहर में मुख्य आकर्षण है। प्राचीन शैली में बना भगवान विष्णु का यह मंदिर बेहद विशाल है। इसकी ऊंचाई करीब 15 मीटर है। माना जाता है कि आदि गुरु शंकराचार्य ने  8वीं सदी में मंदिर का निर्माण करवाया था। कहते हैं कि जीवन में व्यक्ति को एक बार तो चार धाम की यात्रा जरूर करनी चाहिए।


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