मंत्री का एक फोन और मतियाणा ब्लॉक में सीएमओ का छापा

By: Aug 23rd, 2019 12:01 am

291.89 लाख की दवा गड़बड़ी का हुआ खुलासा; ऑडिट में सामने आया सच, ‘दिव्य हिमाचल’ में छपी खबर के बाद लिया एक्शन

शिमला  – दो करोड़ की दवाएं आखिर कहां हैं, इसे लेकर जिला सीएमओ शिमला ने गुरुवार को मतियाणा ब्लॉक में छापा मारा है। ‘दिव्य हिमाचल’ में छपी खबर ‘आखिर कहां गई दो करोड़ की दवाएं’ मामले पर संज्ञान लेते हुए प्रदेश स्वास्थ्य मंत्री ने जिला सीएमओ से फोन के माध्यम से संबंधित केस पर जल्द रिपोर्ट देने के लिए कहा है। लिहाजा जिला सीएमओ सुबह ही शिमला से 50 किलोमीटर दूर मतियाणा चले गए। जिला सीएमओ सहित उनकी चार सदस्यीय टीम द्वारा दवा रिकार्ड को खंगाला जा रहा है। गौर हो कि शिमला में दो करोड़ की दवा आबंटन गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। शिमला के मतियाणा ब्लॉक में हुए इस गोलमाल की पुष्टि एजी के ऑडिट रिपोर्ट में हुई है, जिसमें हैरान कर देने वाला खुलासा यह हुआ है कि अधिकारियों द्वारा दवा आबंटन संबंधित दस्तावेजों को स्वास्थ्य विभाग को सौंपा ही नहीं गया है। इन सभी बिंदुआें को लेकर रिकार्ड की जांच की जा रही है। मौके पर अभी दस्तावेजों को चैक किया गया है। रिपोर्ट को जल्द ही प्रदेश सरकार को सौंपा जाने वाला है। फिलहाल ऑडिट के दौरान भी यह पाया गया है कि संबंधित अधिकारियों से दवाआें को लेकर कोई भी दस्तावेज मौके पर ऑडिट अधिकारियों को नहीं दिए गए हैं। कई बार ऑडिट पैरा को लेकर जवाब मांगा गया है, जो अभी तक नहीं मिलने की सूचना है। फिलहाल ऑडिट रिपोर्ट में 291.89 लाख की गड़बड़ बताई गई है। वहीं सात फरवरी 2018 को ऑडिट पैरा लगा है, जिसमें  दवाआें की खरीद के बारे में भी बताया गया है। ऑडिट पैरा में उठाए गए सवालों को लेकर अब जिला सीएमओ छानबीन में लगे हैं। फिलहाल अब देखना है कि आखिर पांच वर्षों से दवा आबंटन का रिकार्ड में क्या निकलकर सामने आता है। रिकार्ड अभी तक क्यों नहीं मिल पाया है, इसकी पूछताछ भी की जा रही है।

2013-18 तक के दस्तावेज नहीं

एजी द्वारा किए गए ऑडिट रिपोर्ट में सामने आया है कि वर्ष 2013 जनवरी से वर्ष 2018 के दवा रिकार्ड के  दस्तावेज प्राप्त नहीं हुए हैं। जानकारी के मुताबिक स्टेट सिविल सप्लाई के माध्यम से भी दवाआें की खरीद जा रही है। इसके अलावा अन्य फर्म से भी समय दर समय दवाआें की खरीद की जाती है, जिसे सिविल अस्पताल, प्राइमरी हैल्थ सेंटर और हैल्थ सब-सेंटर को आबंटित होती है, लेकिन इस प्रक्रिया को लेकर मतियाणा के संबंधित अधिकारियों की ओर से कोई भी दस्तावेज ऑडिट के दौरान प्राप्त नहीं हुए हैं।


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