शाह की विरासत संभालेंगे नड्डा
चुनाव चुनौती, एक करोड़ से ज्यादा नए सदस्यों को जोड़ना पहला लक्ष्य
नई दिल्ली – करीब 18 करोड़ सदस्यों वाली, दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी, भाजपा की कमान अब जगत प्रकाश नड्डा के हाथों में है। वह संघ की पहली पसंद के तौर पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए हैं। सभी पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्षों ने उनके पक्ष में नामांकन भरे थे। उनके सामने पहला लक्ष्य है कि एक करोड़ से ज्यादा नए सदस्यों को भाजपा के साथ जोड़ना और दुनिया भर के प्रमुख देशों और शहरों में पार्टी कार्यालय, संगठन स्थापित करना। प्रधानमंत्री ने श्री नड्डा को ‘यशस्वी’ होने की शुभकामनाएं दी हैं। श्री नड्डा की ताजपोशी छह माह पहले ही तय हो गई थी। इस पद तक पहुंचने में आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत और प्रधानमंत्री एवं तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह की साझा सहमति की मुख्य भूमिका रही। हालांकि कुछ और नाम भी मीडिया में छपते रहे। संघ की पहली पसंद के कारण ही श्री नड्डा को जून, 2019 में भाजपा का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था। अब भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद श्री नड्डा के सामने चुनौतियां तो हैं, लेकिन वे मंजिलें भी हैं, जो अमित शाह छोड़ गए हैं। चुनाव भी चुनौती होते हैं, लेकिन नए भाजपा अध्यक्ष को तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल सरीखे राज्यों में संगठन स्थापित करने हैं और नए सदस्य पार्टी के साथ जोड़ने हैं। बेशक बंगाल में इस बार 18 सांसद जीत कर आए हैं, लेकिन तमिलनाडु और केरल में भाजपा शून्य की स्थिति में है। केरल में मात्र एक विधायक है, जबकि तमिल राज्य में वह भी नहीं है। इन तीनों राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। अब भाजपा संपूर्ण उत्तरी भारत पर शासन करने के बाद दक्षिण में कर्नाटक से आगे बढ़ना चाहती है। इस लक्ष्य का नेतृत्व श्री नड्डा को करना है। इसी साल अक्तूबर के आसपास बिहार में भी चुनाव हैं। प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की है कि यदि नड्डाजी हिमाचल के बेटे हैं, तो बिहार का भी उन पर उतना ही हक है।’ यह टिप्पणी बिहार में चुनावी खेल को नई शुरुआत दे सकती है। श्री नड्डा की ताजपोशी के मौके पर भाजपा के शीर्षस्थ नेता लालकृष्ण आडवाणी और डा. मुरली मनोहर जोशी समेत सभी पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष भी मौजूद थे। एक बार फिर साबित हो गया कि एक अदद कार्यकर्ता भी भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकता है। पार्टी के सभी ‘सेनापति’ गैर-राजनीतिक परिवारों और पृष्ठभूमि से आए थे। श्री नड्डा भी उसी परंपरा में शामिल हो गए। वह युवा मोर्चे के कार्यकर्ता और दो बार अध्यक्ष रहे। उन्होंने सभी अध्यक्षों के साथ किसी न किसी भूमिका में काम किया। अमित शाह के कार्यकाल में वह महासचिव बने और सर्वोच्च संसदीय बोर्ड के सचिव भी रहे। आज वह भाजपा के ‘सिरमौर’ हैं। अब इस भूमिका में संगठन के भीतर के तालमेल और नए राज्यों में गठबंधन तथा चुनाव जीतने तक की मंजिलें उन्हें तय करनी हैं।
पार्टी के शिखर पर पहुंचने वाले पहले हिमाचली नेता बने
श्री नड्डा की ताजपोशी पर अंतिम मुहर राष्ट्रीय परिषद को लगानी है। यह औपचारिक कवायद है। अब नए भाजपा अध्यक्ष अपनी टीम और कार्यकारिणी का गठन करेंगे। वह पहले हिमाचली नेता हैं, जो पार्टी में शिखर तक पहुंचे हैं। सवाल यह है कि उन्हें प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से वैसी स्वायत्तता मिलती है या नहीं, जिस तरह अमित शाह को दी गई थी।
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