पाकिस्तान की असलियत

By: Feb 1st, 2020 12:08 am

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री

वरिष्ठ स्तंभकार

पूर्वी बंगाल के हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों और उन्हें बलपूर्वक मतांतरित किए जाने से पाकिस्तान के विधि मंत्री जोगेंद्र नाथ मंडल भी सकते में आ गए थे। वे बार-बार प्रधानमंत्री से इसे रुकवाने के लिए कह रहे थे, लेकिन स्थिति यह हो गई कि उन्हें अपने प्राण बचाने के लिए खुद भी भागकर हिंदोस्तान आना पड़ा। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि वहां आम हिंदुओं की हालत कैसी होगी…

शुरू के कुछ वर्षों में तो भारत सरकार ने पाकिस्तान से हिंदू-सिखों को भारत में आने दिया, लेकिन बाद में उनके आने पर प्रतिबंध लगा दिया। इतना ही नहीं उनके आने में अड़चनें भी डालना शुरू कर दीं। वैसे जिन्ना ने भी पाकिस्तान के हिंदू-सिखों को धोखे में रखने का प्रयास किया ही था। उसने पाकिस्तान की संविधान सभा में एक बहुत ही सेक्युलर टाइप का भाषण देकर भारत में कांग्रेस वालों की वाह-वाही लूटी थी, लेकिन उस भाषण के बाद ही पूर्वी पाकिस्तान में हिंदुओं को बलपूर्वक मतांतरित करने का काम तेजी से शुरू हो गया था। वैसे भी अपने जन्म के कुछ अरसे बाद ही पाकिस्तान ने व्यावहारिक रूप से अपने आप को इस्लामी गणराज्य घोषित कर दिया था, जिसका अर्थ स्पष्ट था कि पाकिस्तान मूलत: इस्लाम मत को स्वीकारने वाले लोगों का देश है। इससे पाकिस्तान से बचे-खुचे हिंदू-सिख भी हिंदोस्तान की ओर भागने लगे और कांग्रेस सरकार उन्हें हिंदोस्तान में आने नहीं दे रही थी। पूर्वी पाकिस्तान में यह समस्या और भी गहरी थी। इससे बंगाल में गुस्सा था। अब तक जिन्ना भी सुपुर्दे-खाक हो चुके थे। पूर्वी बंगाल के हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों और उन्हें बलपूर्वक मतांतरित किए जाने से पाकिस्तान के विधि मंत्री जोगेंद्र नाथ मंडल भी सकते में आ गए थे। वे बार-बार प्रधानमंत्री से इसे रुकवाने के लिए कह रहे थे, लेकिन स्थिति यह हो गई कि उन्हें अपने प्राण बचाने के लिए खुद भी भागकर हिंदोस्तान आना पड़ा। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि वहां आम हिंदुओं की हालत कैसी होगी? जाहिर है इससे मंत्रिमंडल में मतभेद उत्पन्न होगा। तात्कालिक उद्योग मंत्री डा. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने नेहरू के इस व्यवहार का सख्त विरोध किया।

उनका कहना था कि कांग्रेस ने सत्ता के लालच में पहले तो इन हिंदुओं की भारतीय नागरिकता छीन ली और जब वे पाकिस्तान के मजहबी अत्याचार से बचने के लिए भारत आना चाहते हैं तो नेहरू उन्हें घुसपैठिए की संज्ञा दे रहे हैं। ‘तगड़ा मारे भी और रोने भी न दे’। चारों ओर से पड़ रही फटकार से बचने के लिए नेहरू ने इसको लेकर पाकिस्तान के उस समय के खान प्रधानमंत्री लियाकर अली से एक समझौता कर लिया, जो ऊपर से पूर्वी पाकिस्तान के हिंदुओं के अधिकारों की रक्षा करने वाला लगता था, लेकिन व्यावहारिक रूप से वह निष्प्रभावी था, लेकिन नेहरू देशभर में अपने इस समझौते की खूबियां गिना रहे थे और पाकिस्तान के हिंदुओं को समझा रहे थे कि अब उन्हें पाकिस्तान में डरने की कोई जरूरत नहीं। वहां आराम से रहें और पंथनिरपेक्ष जीवन व्यतीत करें, लेकिन धरातल पर इस समझौते का क्या प्रभाव था, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ‘समझौता होने के बाद कुछ अरसे में ही पूर्वी पाकिस्तान से दस लाख हिंदू पश्चिमी बंगाल में आ गए।’ लेकिन भारत सरकार नेहरू-लियाकत समझौते की सफलता दर्शाने के लिए  पाकिस्तान से हिंदुओं का आना रोक ही नहीं रही थी, बल्कि पश्चिमी बंगाल में उनका जीवन दुष्कर कर रही थी, ताकि वे वापस पाकिस्तान चले जाएं। इससे नाराज होकर नेहरू मंत्रिमंडल के उद्योग मंत्री डा. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने तो पद से ही त्यागपत्र दे दिया और इस समझौते को कांग्रेस द्वारा हिंदुओं से किया गया दूसरा विश्वासघात बताया। यहां तक कि जब कुछ साल बाद बाबा साहेब अंबेडकर ने नेहरू मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दिया तो उन्होंने अपने वक्तव्य में यह भी कहा कि नेहरू को कश्मीर के मुसलमानों की ज्यादा चिंता है और वे पूर्वी बंगाल के दलित हिंदुओं की ओर तनिक ध्यान नहीं दे रहे, जिनकी स्थिति बहुत ही दयनीय होती जा रही है। लेकिन अब तक कांग्रेस सरकार की नजर में ये हिंदू-सिख अवैध विदेशी घुसपैठिए हो गए थे, जबकि पाकिस्तान मतांतरण के अपने मुगलकालीन एजेंडे पर कार्य करता रहा और अब तक कर रहा है। इसका एक उदाहरण तो चार जनवरी, 2020 को ननकाना साहिब में ही देखने को मिला। सिख परिवार की लड़की का अपहरण करके उसे मुसलमान ही नहीं बना लिया गया, बल्कि उसकी एक मुसलमान से शादी भी कर दी गई। इतना ही नहीं, पुलिस के संरक्षण में ननकाना साहिब गुरुद्वारे पर पथराव किया गया। कीर्तन कर रहे सिख श्रद्धालु गुरुद्वारे के अंदर घिर गए और बाहर हजारों मुसलमानों, सिखों को वहां से भगाने की धमकियां देते रहे। यही कारण है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश से अभी भी हिंदू और सिख किसी न किसी तरीके से हिंदोस्तान आ रहे हैं। लेकिन ताज्जुब है, भारत की सड़कों पर अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों की फौज लेकर कांग्रेस पार्टी और कम्युनिस्ट इस बात का विरोध कर रहे हैं कि मोदी सरकार पाकिस्तान में सताए जा रहे हिंदू-सिखों को शरण क्यों दे रही है?

ईमेल : kuldeepagnihotri@gmail.com


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