बजट 2020 में हिमाचली खेल

By: Mar 6th, 2020 12:05 am

भूपिंदर सिंह

राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक

हमारे देश में भी जो राज्य हर प्रकार से समृद्ध हैं वे खेलों में भी अग्रणी हैं। आज जब गांव का जीवन खत्म हो कर शहरीकरण होता जा रहा है, इससे शारीरिक श्रम बिलकुल खत्म हो रहा है। इसलिए सामान्य फिटनेस के लिए अधिक से अधिक खेल सुविधाओं की जरूरत बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। हिमाचल प्रदेश के बजट में इसलिए भी खेल क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं के लिए बहुत ज्यादा धन की आवश्यकता है। हिमाचल प्रदेश में कई खेलों के लिए अंतररराष्ट्रीय स्तर का आधारभूत ढांचा वर्षों से तैयार पड़ा-पड़ा खंडहरों में तबदील हो रहा है। हिमाचल प्रदेश खेल विभाग सात-आठ वर्ष बीत जाने के बाद भी यहां पर प्ले फील्ड की देखभाल के लिए चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी नियुक्त नहीं कर पाया है…

खेलें आज के आधुनिक युग में मानव जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गई हैं। खेल किसी सभ्यता के लिए कितने जरूरी हैं, इस बात का अंदाजा मनुष्यों को रोज मिलने वाली सूचनाओं से भी पता चलता है। समाचारपत्रों में प्रतिदिन एक पूरा पृष्ठ खेल समाचारों के लिए होता है। ओलंपिक खेलों की पदक तालिका से किसी भी देश की तरक्की व खुशहाली का पता आसानी से चलता है। संसार के विकसित देश ओलंपिक में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करते देखे जा सकते हैं। अमरीका सहित क्रमशः सभी विकसित देश पदक तालिका में शीर्ष पर मिलते हैं। हमारे देश में भी जो राज्य हर प्रकार से समृद्ध हैं वे खेलों में भी अग्रणी हैं। आज जब गांव का जीवन खत्म हो कर शहरीकरण होता जा रहा है, इससे शारीरिक श्रम बिलकुल खत्म हो रहा है। इसलिए सामान्य फिटनेस के लिए अधिक से अधिक खेल सुविधाओं की जरूरत बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। हिमाचल प्रदेश के बजट में इसलिए भी खेल क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं के लिए बहुत ज्यादा धन की आवश्यकता है। हिमाचल प्रदेश में कई खेलों के लिए अंतररराष्ट्रीय स्तर का आधारभूत ढांचा वर्षों से तैयार पड़ा-पड़ा खंडहरों में तबदील हो रहा है। हिमाचल प्रदेश खेल विभाग सात-आठ वर्ष बीत जाने के बाद भी यहां पर प्ले फील्ड की देखभाल के लिए चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी नियुक्त नहीं कर पाया है।

प्रशिक्षकों की नियुक्ति के मामले में भी खेल विभाग बहुत पीछे है। विभाग के पास बहुत कम प्रशिक्षक हैं। कई खेलों में तो पूरे जिला स्तर पर एक भी प्रशिक्षक नियुक्त नहीं है। इस बजट में सौ विभिन्न खेलों के प्रशिक्षकों व इतने ही मैदान कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए धन का प्रावधान होना चाहिए। बहुत अधिक खेल सुविधाओं व प्रशिक्षकों की नियुक्ति इसलिए भी जरूरी हो जाती हैं क्योंकि आज का युवा ही नहीं किशोरावस्था से ही हमारी आगामी पीढ़ी नशे के अंधेरे में गुम हो रही है। अधिक खेल सुविधाएं व प्रशिक्षक होंगे तो अधिक संख्या को फिटनेस मिलेगी, नशे से दूरी भी बनेगी। जब बहुत अधिक खिलाड़ी मैदान का रुख करेंगे तो उन्हीं में से कुछ प्रतिभाशाली खिलाड़ी भी मिल जाएंगे। स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद अधिकतर खिलाड़ी हिमाचल प्रदेश में महाविद्यालय स्तर पर प्रशिक्षण सुविधाओं के अभाव में विद्यार्थी पंजाब व अन्य पड़ोसी राज्यों के खेल विंगों का रुख अख्तियार करते हैं। हिमाचल प्रदेश के जिन-जिन महाविद्यालयों में जिस खेल की सुविधा है उस खेल का छात्रावास या विंग चलाने के लिए बजट में धन राशि इस बजट में रखी जाए। व्यक्तिगत खेलों में जो खिलाड़ी बिना किसी सरकारी सहायता के राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं उन्हें खेल छात्रावासों में रह रहे खिलाडि़यों पर होने वाले खर्च के बराबर वजीफा देने का भी प्रावधान रखा जाए। हिमाचल प्रदेश में पिछले कई सालों से पंजाब की तर्ज पर राज्य खेल संस्थान बनाने की बात हो रही है।

इस खेल संस्थान का मुख्य उद्देश्य हिमाचल प्रदेश की खेलों को ऊंचाई तक ले जाने के लिए उच्च प्रशिक्षण कार्यक्रम चला कर राज्य की टीमों को राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं के लिए प्रशिक्षित करना व हिमाचल प्रदेश के स्कूलों व कालेजों में कार्यरत शारीरिक शिक्षकों को उनके द्वारा खेले व प्रशिक्षित खेल में उच्च दक्षता हासिल करने के लिए सेमिनार आदि लगाना प्रमुख कार्य होंगे। इस तरह के संस्थान के निर्माण के लिए क्या बजट में सरकार उपयुक्त धन राशि रख रही है। जिला व राज्य स्तरीय खेल प्रतियोगिताओं के लिए राज्य खेल परिषद अनुदान देती है, मगर राज्य व राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं की भागीदारी के लिए खेल संघों व खिलाडि़यों को स्वयं खर्च उठाना पड़ता है। क्या सरकार खेल संघों के अनुदान को बढ़ाने का प्रावधान कर रही है। स्कूली खेलों से भविष्य के स्टार खिलाड़ी निकलते हैं। स्कूल ही खिलाडि़यों की नर्सरी होते हैं। भविष्य के स्टार खिलाड़ी यहीं से निकलते हैं। हिमाचल प्रदेश के उच्च व वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों की खेल प्रतियोगिताएं विद्यार्थियों से लिए गए खेल शुल्क से आयोजित करवाई जाती हैं। इन खेल प्रतियोगिताओं में धन की किल्लत आम तौर पर देखी जा सकती है। इसलिए खंड स्तर से लेकर राज्य स्तर की स्कूली खेल प्रतियोगिताओं के लिए धन का प्रावधान अनिवार्य रूप से होना चाहिए। हिमाचल प्रदेश में आधे अधूरे पड़े खेल ढांचे को पूरा करने के लिए बजट में माकूल धनराशि का प्रावधान किया जाए। राज्य का जलवायु खेल प्रशिक्षण के लिए यूरोप व अमरीका जैसा है, यहां पर एक अच्छा प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया जा सकता है। देश व विदेश के खिलाड़ी यहां आकर गर्मियों में ट्रेनिंग शुल्क देकर प्रशिक्षण ले सकते हैं। इससे खेल पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा, बजट में ऐसी नई योजना को भी धन रखा जाए।

ई-मेल- bhupindersinghhmr@gmail.com

हिमाचली लेखकों के लिए

लेखकों से आग्रह है कि इस स्तंभ के लिए सीमित आकार के लेख अपने परिचय तथा चित्र सहित भेजें। हिमाचल से संबंधित उन्हीं विषयों पर गौर होगा, जो तथ्यपुष्ट, अनुसंधान व अनुभव के आधार पर लिखे गए होंगे। 

-संपादक


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App