किसी अजूबे से कम नहीं हैं रामायण के पात्र

By: Nov 14th, 2020 12:20 am

परंपरागत रूप से राम का जन्म त्रेता युग में माना जाता है। हिंदू धर्मशास्त्रों में, विशेषतः पौराणिक साहित्य में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार एक चतुर्युगी में 4320000 वर्ष होते हैं जिनमें कलियुग के 432000 वर्ष तथा द्वापर के 864000 वर्ष होते हैं। राम का जन्म त्रेता युग में अर्थात द्वापर युग से पहले हुआ था। चूंकि कलियुग का अभी प्रारंभ ही हुआ है (लगभग 5500 वर्ष ही बीते हैं) और राम का जन्म त्रेता के अंत में हुआ तथा अवतार लेकर धरती पर उनके वर्तमान रहने का समय परंपरागत रूप से 11000 वर्ष माना गया है…

-गतांक से आगे…

जन्म

रामजी की कथा से संबद्ध सर्वाधिक प्रमाणभूत ग्रंथ आदिकाव्य वाल्मीकीय रामायण में रामजी के जन्म के संबंध में निम्नलिखित वर्णन उपलब्ध है ः

चैत्रे नावमिके तिथौ।।

नक्षत्रेऽदितिदैवत्ये स्वोच्चसंस्थेषु पञ्चसु।

ग्रहेषु कर्कटे लग्ने वाक्पताविन्दुना सह।।

अर्थात् चैत्र मास की नवमी तिथि में, पुनर्वसु नक्षत्र में, पांच ग्रहों के अपने उच्च स्थान में रहने पर तथा कर्क लग्न में चंद्रमा के साथ बृहस्पति के स्थित होने पर, रामजी का जन्म हुआ। यहां केवल बृहस्पति तथा चंद्रमा की स्थिति स्पष्ट होती है। बृहस्पति उच्चस्थ है तथा चंद्रमा स्वगृही। आगे पंद्रहवें श्लोक में सूर्य के उच्च होने का उल्लेख है। इस प्रकार बृहस्पति तथा सूर्य के उच्च होने का पता चल जाता है। बुध हमेशा सूर्य के पास ही रहता है। अतः सूर्य के उच्च (मेष में) होने पर बुद्ध का उच्च (कन्या में) होना असंभव है। इस प्रकार उच्च होने के लिए बचते हैं शेष तीन ग्रह ः मंगल, शुक्र तथा शनि। इसी कारण से प्रायः सभी विद्वानों ने रामजी के जन्म के समय में सूर्य, मंगल, बृहस्पति, शुक्र तथा शनि को उच्च में स्थित माना है।

भगवान राम के जन्म-समय पर आधुनिक शोध

परंपरागत रूप से राम का जन्म त्रेता युग में माना जाता है। हिंदू धर्मशास्त्रों में, विशेषतः पौराणिक साहित्य में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार एक चतुर्युगी में 4320000 वर्ष होते हैं जिनमें कलियुग के 432000 वर्ष तथा द्वापर के 864000 वर्ष होते हैं। राम का जन्म त्रेता युग में अर्थात द्वापर युग से पहले हुआ था। चूंकि कलियुग का अभी प्रारंभ ही हुआ है (लगभग 5500 वर्ष ही बीते हैं) और राम का जन्म त्रेता के अंत में हुआ तथा अवतार लेकर धरती पर उनके वर्तमान रहने का समय परंपरागत रूप से 11000 वर्ष माना गया है। अतः द्वापर युग के 864000 वर्ष, राम की वर्तमानता के 11000 वर्ष, द्वापर युग के अंत से अब तक बीते 5100 वर्ष, कुल 880100 वर्ष। अतएव परंपरागत रूप से राम का जन्म आज से लगभग 880100 वर्ष पहले माना जाता है। प्रख्यात मराठी शोधकर्ता विद्वान डा. पद्माकर विष्णु वर्तक ने एक दृष्टि से इस समय को संभाव्य माना है। उनका कहना है कि वाल्मीकीय रामायण में एक स्थल पर विंध्याचल तथा हिमालय की ऊंचाई को समान बताया गया है। विंध्याचल की ऊंचाई 5000 फीट है तथा यह प्रायः स्थिर है, जबकि हिमालय की ऊंचाई वर्तमान में 29029 फीट है तथा यह निरंतर वर्धनशील है। दोनों की ऊंचाई का अंतर 24029 फीट है। विशेषज्ञों की मान्यता के अनुसार हिमालय 100 वर्षों में 3 फीट बढ़ता है।

 अतः 24029 फीट बढ़ने में हिमालय को करीब 801000 वर्ष लगे होंगे। अतः अभी से करीब 801000 वर्ष पहले हिमालय की ऊंचाई विन्ध्याचल के समान रही होगी, जिसका उल्लेख वाल्मीकीय रामायण में वर्तमानकालिक रूप में हुआ है। इस तरह डा. वर्तक को एक दृष्टि से यह समय संभव लगता है, परंतु उनका स्वयं मानना है कि वे किसी अन्य स्रोत से इस समय की पुष्टि नहीं कर सकते हैं। अपने सुविख्यात ग्रंथ ‘वास्तव रामायण’ में डा. वर्तक ने मुख्यतः ग्रहगतियों के आधार पर गणित करके, वाल्मीकीय रामायण में उल्लिखित ग्रहस्थिति के अनुसार राम की वास्तविक जन्म-तिथि 4 दिसंबर 7323 ईसापूर्व को सुनिश्चित किया है। उनके अनुसार इसी तिथि को दिन में 1.30 से 3.00 बजे के बीच श्री राम का जन्म हुआ होगा।


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