सीएम बन गए, फिर वोटों के ढेर लग गए, पहले भी मतों का अंबार लगा चुके हैं पांचों पूर्व मुख्यमंत्री

By: Nov 29th, 2022 12:06 am

राज्य ब्यूरो प्रमुख — शिमला

हिमाचल की राजनीति में जो नेता एक बार मुख्यमंत्री के पद तक पहुंचा, वह चुनाव में वोट का अंबार लगाता रहा है। राज्य के पांचों पूर्व मुख्यमंत्रियों के नाम इस तरह का रिकॉर्ड दर्ज है। हालांकि सर्वाधिक 93 फीसदी वोट तक सिर्फ दो पूर्व मुख्यमंत्री ठाकुर रामलाल और डा. वाईएस परमार ही पहुंच पाए थे। वर्तमान विधानसभा चुनाव के लिए मतगणना आठ दिसंबर को है। इसी दिन यह पता चलेगा कि इस बार सर्वाधिक वोट प्रतिशत या सर्वाधिक वोट किसके नाम रहता है? लेकिन राज्य का चुनाव इतिहास यह जरूर बताता है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद जनमत भी एक तरफ हो जाता है। राज्य में 1972 के चुनाव में दो बड़े दिग्गजों ने एक नया रिकॉर्ड बनाया था। जुब्बल कोटखाई से कांग्रेस प्रत्याशी ठाकुर रामलाल को कुल 16201 में से 15201 वोट पड़े थे और इनका वोट प्रतिशत 93.82 फीसदी था। हालांकि यह चुनाव उन्होंने करीब 90 फीसदी वोट के अंतर से जीता। इसी चुनाव में रेणुका चुनाव क्षेत्र से लड़े डा. वाईएस परमार को कुल 13000 में से 12140 वोट पड़ गए थे। यह भी 93 फ़ीसदी से थोड़ा अधिक था। हालांकि वह चुनाव 57 फ़ीसदी वोट के अंतर से जीते थे। इसके बाद 1990 के चुनाव में वीरभद्र सिंह ने रोहडू से 89 फ़ीसदी वोट हासिल कर 79 फ़ीसदी वोट के अंतर से यह चुनाव जीता।

उन्होंने भाजपा प्रत्याशी सत्यदेव बुशहरी को हराया था। 1982 में जुब्बल कोटखाई से ही रामलाल ठाकुर ने दोबारा से करिश्मा दिखाया और कुल 24332 वोट में से 20765 हासिल कर लिए। 85 फ़ीसदी से ज्यादा वोट एक तरफ पड़े। हालांकि उनकी जीत का अंतर 72 फ़ीसदी वोट का था। 1998 में वीरभद्र सिंह रोहडू से चुनाव लड़े और 81 फीसदी वोट ले गए, जबकि उनकी जीत 63 फीसदी वोट के अंतर से हुई थी। भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री रहे दो नेताओं प्रेम कुमार धूमल और शांता कुमार के नाम भी सर्वाधिक वोट का आंकड़ा है। प्रेम कुमार धूमल को 2007 के चुनाव में बमसन से कुल 39975 वोट में से 35054 वोट पड़ गए थे और 76 फ़ीसदी वोट वह अकेले ही ले गए थे। शांता कुमार 1977 में कांगड़ा के 16 विधानसभा क्षेत्रों से 17517 वोट में से 11832 वोट ले गए थे, जो कुल वोट का 68 फीसदी था। हालांकि उनकी जीत 35 फीसदी वोट के अंतर से हुई।

वीरभद्र-धूमल सबसे ज्यादा वोट लेने में भी आगे

वोट प्रतिशत के बजाय सर्वाधिक वोट का अंतर वीरभद्र सिंह और प्रेम कुमार धूमल का ही है। वीरभद्र सिंह 1998 के चुनाव में 26148 वोट के अंतर से जीते थे, जबकि धूमल ने 2007 में बमसन से 26007 वोट के अंतर से चुनाव जीता था। अब इस बार के चुनाव नतीजों में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के चुनावी रिकॉर्ड पर नजर रहेगी। वह जिस सराज विधानसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ते हैं, वहां कांग्रेस का वोट प्रतिशत अच्छा है। हालांकि मुख्यमंत्री बनने के बाद कुछ हवा बदली है और इस बार वह अपने नाम क्या सर्वाधिक वोट या सर्वाधिक मत प्रतिशत का रिकॉर्ड बना पाते हैं या नहीं? यह बड़ा सवाल होगा।


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