1% से भी कम वोट से बदल गई सरकार, 37947 ज्यादा वोट मिलने से बढ़ गई कांग्रेस की 15 सीटें

By: Dec 9th, 2022 12:08 am

भाजपा को 43 फीसदी वोट मिले; कांग्रेस को 43.9 प्रतिशत, 37947 ज्यादा वोट मिलने से बढ़ गई कांग्रेस की 15 सीटें

राज्य ब्यूरो प्रमुख — शिमला

हिमाचल में पहले कहा जाता था कि सरकार बदलने के लिए सिर्फ अढ़ाई लाख वोट ज्यादा चाहिए, लेकिन इस बार तो हद ही हो गई। कांग्रेस को 40 सीटें मिली और भाजपा को 25, लेकिन इन 15 ज्यादा सीटों का फैसला महज एक फ़ीसदी से कम वोट से हो गया। विधानसभा चुनाव में वोट शेयर की बात करें तो भाजपा को इस बार 43 फ़ीसदी वोट मिले हैं। कुल मतों में से इनकी संख्या 1814530 है, जबकि कांग्रेस को 43.9 फ़ीसदी वोट पड़े और इनकी संख्या 1852504 है। मतलब यह है कि कांग्रेस को भाजपा से 37947 वोट ज्यादा मिले और इसी अंतर में 15 सीटें कांग्रेस को ज्यादा मिल गई। बागी होकर चुनाव लड़े निर्दलीयों ने भी 10 फ़ीसदी से ज्यादा वोट शेयर हासिल किया है। इन्हें पूरे प्रदेश में 436413 वोट पड़े हैं, जबकि आम आदमी पार्टी एक फ़ीसदी पर ही सिमट के रह गई। माकपा को एक फ़ीसदी से भी कम वोट मिला और नोटा भी आधा फ़ीसदी तक ही पहुंच पाया। इस चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच में वोट शेयर का अंतर हैरान करने वाला है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 1846000 वोट मिले थे, वहीं इस बार 1814000 मिले हैं, लेकिन इतने कम अंतर से कांग्रेस के मुकाबले 15 सीटों का फर्क आ गया है। विधानसभा चुनाव में कुल वोट प्रतिशत भी बढक़र 75.78 फ़ीसदी हो गया है।

इससे पहले यह माना जाता था कि हिमाचल में सरकार बदलने के लिए चार से सात फ़ीसदी वोट सिंह की जरूरत होती है, लेकिन इस बार तो 1 फ़ीसदी से कम में ही फैसला हो गया। यह अपने आप में नया रिकॉर्ड होगा। हिमाचल की राजनीति में वोट का विभाजन 1998 में हुआ था, जब पं. सुखराम ने हिमाचल विकास कांग्रेस बनाकर मंडी जिला को बांट दिया था। उस चुनाव में कांग्रेस को भाजपा से 1.14 लाख वोट ज्यादा मिले थे, लेकिन दोनों दलों की सीटें 31-31 ही आई थी। हिविंका ने इस चुनाव में करीब अढ़ाई लाख वोट लेकर 5 सीटें हासिल कर ली थी और धूमल पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। फिर से अगला चुनाव 2003 में हुआ, जब महज 1.71 लाख ज्यादा वोट के अंतर से कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की थी। इसके बाद 2007 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा और कांग्रेस के वोट का अंतर महज 1.60 लाख था, लेकिन भाजपा की सीटें कांग्रेस से दोगुनी थी। 2012 के विधानसभा चुनाव में भी यह अंतर और कम हुआ, क्योंकि करीब 4 लाख वोट निर्दलीय ले गए और 05 जीत कर भी आए। इस चुनाव में कांग्रेस को भाजपा से 146563 वोट ज्यादा मिले, जबकि 10 सीटें ज्यादा आ गई। 2017 के पिछले विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने कांग्रेस से 228982 वोट ज्यादा लिए और सीटें भी दोगुनी से ज्यादा आईं।

हिमाचल प्रदेश की 14वीं विधानसभा में 21 नए चेहरे

शिमला — चौहदवीं विधानसभा में 18 सीटों में से करीब 21 सीटों पर नए चेहरे जीत कर आए हैं। इनमें से सबसे ज्यादा कांग्रेस में तेरह भाजपा में सात और एक निर्दलीय विधायक बने हैं। कांग्रेस में पहली बार विधानसभा एंटर करने में शिमला शहरी से हरीश जनार्था, ठियोग से कुलदीप राठौर, धर्मपुर से चंद्रशेखर, नगरोटा बगवा से आरएस बाली, शाहपुर से केवल सिंह पठानिया, कसौली से विनोद सुल्तानपुरी, नाहन से अजय सोलंकी, भोरंज से सुरेश कुमार, चंबा शहरी से नीरज नैयर, मनाली से भुवनेश्वर गौड़, गगरेट से चैतन्य शर्मा, कुटलैहड़ से देवेंद्र भुट्टो और चिंतपूर्णी से सुदर्शन बबलू शामिल हैं। यदि भाजपा की बात करें तो भाजपा ने सबसे ज्यादा 25 नए चेहरे इस बार अपने टिकट पर मैदान में उतारे थे। इनमें से सरकाघाट से दिलीप ठाकुर, करसोग से दीप राज कपूर, नूरपुर से रणवीर निक्का, बिलासपुर शहरी से त्रिलोक जमवाल, भरमौर से डा. जनक राज, डलहौजी से डीएस ठाकुर और अन्य से लोकेंद्र ने चुनाव जीत लिया है, जबकि हमीरपुर शहरी सीट से आशीष शर्मा निर्दलीय विधायक के तौर पर पहली बार विधानसभा पहुंचे हैं।


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